प्रधानमंत्री का प्रस्तावित बीकानेर दौरा, राजस्थान की लम्बित रेल परियोजनाओं की वकालत का अच्छा अवसर

Prime Minister's proposed visit to Bikaner is a good opportunity to advocate for the pending railway projects of Rajasthan

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 22 अप्रैल को सीमावर्ती पश्चिम राजस्थान के ऐतिहासिक नगर बीकानेर आयेंगे और देशभर के 103 रेलवे स्टेशनों के सुदृढ़ीकरण कार्यों का लोकार्पण करेंगे। भारत पाकिस्तान के मध्य पिछले दिनों चले तनाव, सैन्य कार्यवाही और ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता के बाद देश की पश्चिमी सीमा पर पहली बार हो रहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान के साथ राजस्थान की सबसे लंबी 1070 किमी लम्बी सीमा लगी हुई है और बीकानेर जिला इसमें बहुत अहम स्थान रखता है।

बीकानेर केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का गृह संसदीय क्षेत्र है। पिछले लोकसभा चुनाव से पूर्व भी प्रधानमंत्री मोदी यहां आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित 22 अप्रैल की यात्रा की तैयारियों को देखने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने हाल ही बीकानेर का दौरा किया। केन्द्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी इस अवसर पर मौजूद थे।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजस्थान यात्रा पर प्रदेश की लम्बित रेल परियोजनाओं की वकालत करने का यह सबसे बढ़िया अवसर होगा। वैसे तो पिछले दस वर्षों में मोदी सरकार ने राजस्थान को कई नई रेल परियोजनाओं का उपहार दिया है तथा प्रदेश में रेल सुविधाओं का विकास सुदृढ़ीकरण आदि के कई कार्य प्रगति पर है। संयोग से वर्तमान में केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी पश्चिमी राजस्थान के पाली जोधपुर मूल के निवासी है। राज्यसभा में वे सांसद भले हो ओडिशा से है लेकिन राजस्थान के मिल के होने से उन्होंने प्रदेश की रेल परियोजनाओं को गति प्रदान करने में विशेष रुचि लेकर अहम भूमिका निभाई है।

राजस्थान, भौगोलिक दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। राज्य की आर्थिक प्रगति और बुनियादी ढांचे के विकास में रेलवे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राजस्थान में कई रेल परियोजनाएं लंबित हैं, जिनका उद्देश्य राज्य के विभिन्न हिस्सों को रेल नेटवर्क से जोड़ना और यात्री और माल ढुलाई की सुविधा में सुधार करना है।

प्रदेश में वर्तमान में जो प्रमुख लंबित रेल परियोजनाएं है उनमें अजमेर-उदयपुर रेल लाइन का दोहरीकरण करना शामिल है। यह परियोजना यात्री और माल ढुलाई की सुविधा में सुधार करेगी और दोनों शहरों के बीच यात्रा समय को कम करेगी। इसी प्रकार जयपुर-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल सेवा शुरू करना है। यह परियोजना दोनों शहरों के बीच यात्रा समय को कम करेगी । इसके अलावा बीकानेर-रेवाड़ी के बीच नई रेल लाइन बिछाना है। यह परियोजना क्षेत्र के लोगों को रेल सुविधा का लाभ प्रदान करेगी और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।

राजस्थान में बांसवाड़ा ऐसा आदिवासी जिला है जिसके किसी कोने से रेल नहीं गुजरती । इसी प्रकार निकटवर्ती प्रताप गढ़ मुख्यालय भी रेल सुविधाओं से वंचित है। दोनों जिला मुख्यालयों के निकटवर्ती रतलाम और नीमच रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश में है। डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना एक महत्वपूर्ण रेलवे परियोजना है जिसका उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल के डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों को मध्य प्रदेश के रतलाम से जोड़ना है। इस परियोजना के पूर्ण होने से रतलाम और अहमदाबाद के मध्य एक सुगम रेल कोरिडोर बन सकेगा । परियोजना के तहत कुल 191 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जाएगी, जिसमें से 143 किलोमीटर राजस्थान और 48 किलोमीटर मध्य प्रदेश में होगी।

कई वर्षों बन्द रहने के बाद अब इस परियोजना का कार्य प्रगति पर है। यह परियोजना का काम 2018-2019 में रुक गया था। अगस्त 2024 में सरकार ने इस कार्य को पुनः शुरू किया है¹।

इस परियोजना से डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों को रेल कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे क्षेत्र के लोगों को आवागमन में सुविधा होगी।

परियोजना के पूरा होने से वागड़ क्षेत्र के लोगों को लाभ होगा।डूंगरपुर स्टेशन उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉडगेज लाइन का एक महत्वपूर्ण स्टेशन है, और इस परियोजना के पूरा होने से इसकी महत्ता और बढ़ जाएगी।

इसी तरह पुष्कर मेड़ता रेल परियोजना भी एक महत्वपूर्ण रेलवे परियोजना है जो राजस्थान के पुष्कर और मेड़ता शहरों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने के लिए शुरू की गई है। इस परियोजना के तहत, 60 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है, जो पुष्कर और मेड़ता के बीच रेलवे कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

नाथद्वारा मारवाड़ जंक्शन रेल परियोजना के तहत मावली मारवाड़ ब्रॉडगेज रेल लाइन का काम जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इस परियोजना के लिए 2600 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी। नाथद्वारा से ब्यावर वाया कांकरोली, बर, देवगढ़ नवीन रेल लाइन मार्ग के साथ ही नाथद्वारा से भीलवाड़ा नवीन रेल लाइन स्वीकृत करना,अजमेर से पुष्कर रेलवे लाइन को मेड़ता तक संचालित करवाना आदि शामिल है। नाथद्वारा और देवगढ़ के बीच रेल संपर्क को बेहतर बनाना है। इस परियोजना के तहत लगभग 82 किलोमीटर लंबी ब्रॉडगेज लाइन बिछाई जा रही है, जिस पर लगभग 968 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल इस परियोजना का शिलान्यास किया था।

उदयपुर-जोधपुर रेल लाइन परियोजना के तहत जोधपुर से उदयपुर के बीच सीधी ट्रेन कनेक्टिविटी स्थापित की जा रही है। इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 770 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिसमें से जोधपुर से उदयपुर रेल लाइन के लिए 75 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

कामली घाट रेल परियोजना एक हेरिटेज ट्रेन सेवा है जो मारवाड़ जंक्शन से कामली घाट जंक्शन तक चलती है। यह ट्रेन राजस्थान के मेवाड़ और मारवाड़ क्षेत्रों को जोड़ने वाली मीटर गेज ट्रैक पर चलती है, जो अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।

नाथद्वारा-गोरम घाटी-मारवाड़ रेल परियोजना एक महत्वपूर्ण रेलवे परियोजना है, जिसका उद्देश्य नाथद्वारा और मारवाड़ के बीच रेल संपर्क को बेहतर बनाना है। इस परियोजना के तहत गोरम घाटी से होकर एक रेल लाइन बिछाई जाएगी, जो नाथद्वारा और मारवाड़ के बीच सीधी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

राजस्थान में लंबित रेल परियोजनाओं के पूरा होने से राज्य के आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के सुधार में महत्वपूर्ण योगदान होगा। सरकार और रेलवे प्रशासन को मिलकर इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए काम करना होगा। भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी चुनौतियों जैसी समस्याओं का समाधान निकालकर परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकता है।राजस्थान में रेल परियोजनाएं लंबित रहने के कई कारण हैं, जिनमें भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती है, जिससे परियोजनाओं की प्रगति धीमी हो जाती है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में समय लगता है और कई बार स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है।वित्तीय संसाधनों की कमी तकनीकी चुनौतियां और भी एक अन्य प्रमुख कारण है जिससे परियोजनाएं लंबित रहती हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में रेल लाइन बिछाना, सुरंगों का निर्माण और पुलों का निर्माण जैसी तकनीकी चुनौतियां परियोजनाओं की प्रगति को धीमा कर सकती हैं।

राजस्थान में लंबित रेल परियोजनाएं राज्य के आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इन परियोजनाओं के पूरा होने से यात्री और माल ढुलाई की सुविधा में सुधार होगा, यात्रा समय कम होगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। सरकार और रेलवे प्रशासन को मिलकर इन परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए काम करना होगा और भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधनों की कमी और तकनीकी चुनौतियों जैसी समस्याओं का समाधान निकालना होगा।