संजय सक्सेना
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक बेंच लखनऊ में भी है,लेकिन कई बार देखने में आता है कि लखनऊ बेच क्षेत्र के जिलों के कुछ पारिवारिक मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में कराये जाने की जगह इलाहाबाद हाईकोर्ट
भेज दिये जाते हैं जबकि यह मामले लखनऊ पीठ के क्षेत्राधिकार में आते हैं, उन्हें लखनऊ पीठ की ही दायर किया जाना चाहिए, न कि प्रयागराज स्थित प्रधान पीठ में। इस पर अब नाराजगी जताते हुए प्रधान पीठ ने कहा कि लखनऊ पीठ क्षेत्राधिकार में आने वाले पारिवारिक न्यायालयों द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ अपील सुनने के लिए सक्षम अपीलीय अदालत है। प्रधान पीठ में ऐसी अपील अक्षम्य होगी।
कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय अधिनियम और सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लेख इस संबंध में किया, विशेष रूप से धारा 22 (एक से अधिक न्यायालयों में दायर किए जा सकने वाले मुकदमों के स्थानांतरण की शक्ति) और धारा 23 (आवेदन किस न्यायालय में होगा)। धारा 23(1) सीपीसी कहती है कि जब क्षेत्राधिकार वाली कई अदालतें एक ही अपीलीय अदालत के अधीन होती हैं, तो कोई भी स्थानांतरण आवेदन (धारा 22 सीपीसी के तहत) अपीलीय अदालत में किया जाना चाहिए। धारा 23(3) में कहा गया है कि जहां ऐसे न्यायालय विभिन्न उच्च न्यायालयों के अधीनस्थ हैं, वहां आवेदन उस उच्च न्यायालय में किया जाएगा, जिसके अधिकार क्षेत्र की सीमा के भीतर वह न्यायालय है, जिसमें मुकदमा है। कोर्ट ने उदाहरण के साथ कहा कि यदि कोई आदेश गोंडा, बस्ती या सीतापुर अथवा लखनऊ बेंच के अधिकार क्षेत्र में आने वाले किसी अन्य जिले के पारिवारिक न्यायालय द्वारा पारित किया जाता है, तो धारा 19 के तहत अपील की जाती है। कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय अधिनियम की धारा 7 का भी उल्लेख किया। कोर्ट बरेली की शिविका उपाध्याय की अर्जी पर विचार कर रही थी।