
सुनील कुमार महला
आज का युग डिजिटल युग है और इस डिजिटल युग में साइबर सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि डिजिटल युग के साथ ही भारत ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में डेटा की सुरक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा हो गया है। बड़ा मुद्दा इसलिए क्यों कि डिजिटल दुनिया में भी निजता(प्राइवेसी) और सुरक्षा वास्तविक दुनिया जितनी ही महत्वपूर्ण होती है। आज की दुनिया में डेटा या सूचना ही सबकुछ है। दरअसल, आज जिसके पास डेटा या सूचना उपलब्ध है, वह सबसे धनी है, क्यों कि सूचनाओं का इस्तेमाल करके बहुत कुछ किया जा सकता है। इसलिए डेटा या सूचना की सुरक्षा, जिसे हम इलेक्ट्रॉनिक सूचना का नाम भी दे सकते हैं, आज के इस डिजिटल होते युग में बहुत जरूरी हो चुकी है। दरअसल साइबर सुरक्षा हमारे कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क, प्रोग्राम और डेटा को डिजिटल हमलों से बचाने की प्रक्रिया है। वास्तव में इसका उद्देश्य विभिन्न एप्लीकेशंस, क्लाउड व , नेटवर्क तक किसी भी अनधिकृत पहुंच(अन अथराइज्ड रीच), उपयोग, प्रकटीकरण, व्यवधान, संशोधन या विनाश से सुरक्षा करना है। कहना ग़लत नहीं होगा कि साइबर सुरक्षा आज के डिजिटल युग में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम सभी अपनी डिजिटल जानकारी और प्रणालियों पर निर्भर हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो आज के समय में (डिजिटल युग में) हमारी निजी और पेशेवर जिंदगी का ज्यादातर हिस्सा ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों पर ही निर्भर हो चुका है। हम अपने आफिस, घर, व्यापार के लिए विभिन्न आनलाइन प्लेटफार्मों पर ही निर्भर हैं और ऐसे समय में हमारे डाटा की सुरक्षा(सूचनाओं की सुरक्षा)एक बहुत ही गंभीर व संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। जैसा कि आज के समय में साइबर अपराधी हमारे इस डाटा या हमारी सूचनाओं का दुरुपयोग करके वित्तीय धोखाधड़ी और अन्य अपराधों को कभी भी अंजाम दे सकते हैं, ऐसे में यह स्थिति उन लाखों-करोड़ों डिजिटल उपयोगकर्ताओं के लिए एक बड़े खतरे की घंटी है, जो अपनी विभिन्न दैनिक गतिविधियों के लिए इन प्लेटफॉर्मों पर ही निर्भर हैं। बहरहाल, पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में एप्पल, गूगल, फेसबुक, गिटहब और टेलीग्राम समेत कई अन्य कंपनियों(सरकारी एजेंसियों) के करीब 16 अरब पासवर्ड और लॉगइन क्रेडेंशियल लीक हो गये।डेटा लीक का यह कोई साधारण और छोटा मामला कहा जा सकता है। आज के इस डिजिटल युग में आम आदमी के डेटा में सेंध लगाई जा रही है और यह सेंध कहीं न कहीं साइबर सुरक्षा की कमजोरियों को ही उजागर करती है। आज यदि किसी व्यक्ति के अकाउंट आसानी से एक्सेस किए जा रहे हैं तो वास्तव में यह बहुत चिंताजनक बात है। आज डेटा की आनलाइन सेल तक की जा रही है। दरअसल,साइबर सिक्योरिटी रिसचर्स ने यह पाया है कि 16 अरब से ज्यादा क्रेडेंशियल डार्क वेब पर ऑनलाइन सेल के लिए उपलब्ध हैं। इस संबंध में एक्सपर्ट्स का यह कहना है कि अगर वक्त रहते इससे निपटा नहीं गया तो लोगों को फिशिंग अटैक, आईडी थेफ्ट और यहां तक कि अकाउंट का कंट्रोल तक खोना पड़ सकता है।बताया जा रहा है कि बड़े पैमाने पर पासवर्ड लीक के लिए कई इन्फोस्टेलर मैलवेयर जिम्मेदार हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार 30 डेटासेट लीक हुए, जिनमें प्रत्येक में 3.5 अरब से अधिक रिकॉर्ड शामिल हैं जिस वजह से ये आंकड़ा 16 अरब पहुंच गया। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि साइबर न्यूज और फोर्ब्स की रिपोर्ट का यह खुलासा हुआ है कि यह वह डाटा नहीं है, जो वर्षों से इंटरनेट की दुनिया में भटक रहा है, बल्कि यह तो नया डाटा है, इसलिए यह चिंताजनक हो जाता है। आज की इस डिजिटल दुनिया में साइबर अपराधी हर जगह सक्रिय हैं और फोन हैक करने से लेकर बैंक अकाउंट से पैसे तक निकाल लेते हैं। दरअसल, साइबर अपराधी हमारी पहचान, हमारे बारे में सूचनाएं व जानकारी चुराकर, प्राप्त कर हमारे साथ फ्रॉड(धोखाधड़ी) करते हैं। वे हमें ई-मेल या कोई लिंक भेजकर हमें शिकार बना लेते हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि साइबर अपराधी हमें विभिन्न फेक ऑफर्स का भी झांसा देते हैं, जिसमें वो हमारे फोन नंबर, बैंक अकाउंट नंबर, पेन कार्ड या क्रेडिट कार्ड के नंबर और पता आदि पूछते हैं। जैसे ही हम इन जानकारियों को उनके साथ शेयर करते हैं, इतने में ही साइबर अपराधी अपना काम कर डालते हैं और हम अपना सा मुंह लेकर बैठ जाते हैं।कई बार हम अपने विभिन्न सोशल मीडिया प्रोफाइल में अपना नंबर या कोई जानकारी, सूचना विशेष, फोटो या विडियो विशेष भी डाल देते हैं, जिसे साइबर अपराधी आसानी से देख सकते हैं और हमारे साथ फ्रॉड कर सकते हैं। इतना ही नहीं, अनेक बार फर्जी काल करके, हमारा वाई फाई, या कंप्यूटर लैपटॉप का पासवर्ड चुराकर भी साइबर अपराधी धोखाधड़ी करते हैं।ऐप से भी फ्रॉड की घटनाओं को ये आसानी से अंजाम देते हैं, क्यों कि लुभावने ऐप्स के चक्कर में हम इन्हें अपने कंप्यूटर, लैपटॉप या एंड्रॉयड मोबाइल फोन में इंस्टाल कर लेते हैं और हमारे इन गैजेट्स में उपलब्ध समस्त सूचनाएं साइबर अपराधियों तक पहुंच जाती हैं, क्यों कि कई ऐसे ऐप्स हैं जिन्हें डाउनलोड करने के बाद जब इन ऐप्स को हम परमिशन देते हैं तब सूचनाएं साइबर अपराधियों तक पहुंच जातीं हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज जाने अनजाने में साइबर स्पेस में हमारा बहुत सा डाटा, सूचनाएं बगैर किसी रोक-टोक के मौजूद रहता है, क्यों कि हम सूचनाओं, जानकारियों को इस साइबर स्पेस में खुला छोड़ देते हैं। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट उपभोक्ताओं में से एक है। पाठकों को बताता चलूं कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इंटरनेट बाजार है, जिसमें 900 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। आंकड़े बताते हैं कि भारत में दिसंबर 2024 के अंत तक, 970.16 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ता थे. इसमें से 928.96 मिलियन वायरलेस इंटरनेट उपभोक्ता और 41.21 मिलियन वायरलाइन इंटरनेट उपभोक्ता थे।भारत में कुल इंटरनेट उपभोक्ताओं में से, 944.96 मिलियन ब्रॉडबैंड इंटरनेट उपभोक्ता और 25.20 मिलियन नैरोबैंड इंटरनेट उपभोक्ता थे। न केवल शहरी बल्कि आज ग्रामीण भारत में भी इंटरनेट उपयोग बढ़ रहा है, और एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल यानी कि साल 2025 में 900 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की उम्मीद है। गौरतलब है कि इस वृद्धि में 488 मिलियन ग्रामीण इंटरनेट उपयोगकर्ता शामिल हैं, जो कुल इंटरनेट आबादी का 55% है। आज हमारे देश में डिजिटल क्रांति आई है और यही कारण है कि आज हम डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन शिक्षा, वर्चुअल मीटिंग्स और स्वास्थ्य सेवाओं, आफिस , व्यापार जहां देखो वहां डिजिटल युग में नजर आने लगे हैं। जैसे जैसे डिजिटाइजेशन बढ़ा है, वैसे-वैसे साइबर अपराधों में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। सोलह अरब पासवर्ड और लॉगइन क्रेडेंशियल का लीक होना कोई साधारण घटना नहीं है। देखा जाए तो यह एक प्रकार से साइबर सुरक्षा के प्रति हमें एक गंभीर व बड़ी चेतावनी ही है। वास्तव में साइबर सुरक्षा के लिए हमें यह चाहिए कि हम हमेशा मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें,उसे समय-समय पर बदलते रहें और कभी भी एक ही पासवर्ड का उपयोग कई खातों के लिए न करें। हमें यह चाहिए कि हम पासवर्ड मैनेजर का उपयोग करने पर विचार करें। हमें अपने सॉफ़्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट रखना चाहिए तथा एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना चाहिए। हमें अज्ञात प्रेषकों से ईमेल संलग्नक नहीं खोलना चाहिए तथा साथ ही अज्ञात प्रेषकों या अपरिचित वेबसाइटों से प्राप्त ईमेल में दिए गए लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं, हमें सोशल मीडिया साइटों, मोबाइल डिवाइस आदि के लिए स्थान सेवाओं को अक्षम करने पर विचार करना चाहिए, क्यों कि यह हमारे स्थान डेटा की सुरक्षा करने और हमारे बारे में जानकारी को ट्रैक करने से रोकने में मदद करता है। संवेदनशील ब्राउज़िंग के लिए सार्वजनिक कंप्यूटर, साइबर कैफे या मुफ्त वाई-फाई का उपयोग करने से भी हमें बचना चाहिए, क्यों कि ऐसा करने से हमारी सूचनाएं, जानकारियां कभी भी लीक हो सकतीं हैं।मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (एमएफए) का उपयोग हमारे अकाउंट को सुरक्षित करने का एक अतिरिक्त स्तर है। हमें यह चाहिए कि हम अपने डेटा का नियमित रूप से बैकअप लें, ताकि हम किसी भी डेटा हानि की स्थिति में इसे पुनर्प्राप्त कर सकें।हम अपने डेटा, सूचनाओं का बैकअप क्लाउड में या किसी बाहरी हार्ड ड्राइव में ले सकते हैं।इन सबके अलावा आज जरूरत इस बात की है कि हम सब साइबर सुरक्षा के बारे में अधिक से अधिक जानें और समझें ताकि कोई धोखाधड़ी होने से हम बच पाएं। इन सबके अलावा नियमित सुरक्षा ऑडिट और पारदर्शी डाटा प्रबंधन नीतियों के साथ ही साथ साइबर कानूनों को भी आज सख्त करने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा भी दी जा सके। वास्तव में आज जरूरत इस बात की है कि हम व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर साइबर सुरक्षा को प्राथमिकता दें। साइबर सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब पर है और यह किसी व्यक्ति विशेष, सरकार विशेष का विषय मात्र नहीं है। कुल मिलाकर यह बात कही जा सकती है कि डिजिटाइजेशन के साथ साइबर सुरक्षा आज की महत्ती आवश्यकता है।