
रविवार दिल्ली नेटवर्क
“असली पढ़ाई किताबों से नहीं, गाँव के अनुभवों से होती है ” ये कहना है प्रोफेसर रिपुदमन का जो कि इस समय लॉयड कालिज में प्रोफेसर है।उन्होंने कहा कि में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के छोटे से गाँव सुनाना में पला-बढ़ा। वहाँ की ज़िंदगी आसान नहीं थी, लेकिन हर मुश्किल ने मुझे आज के कॉर्पोरेट जगत के लिए तैयार किया।
गाँव में हमारा जीवन सिर्फ़ पढ़ाई तक सीमित नहीं था। हमें खेती-बाड़ी संभालनी होती थी, मवेशियों की देखभाल करनी होती थी, और फिर अगर समय मिलता, तो क्रिकेट खेलते। यह संतुलन बनाना आसान नहीं था, लेकिन इसने मुझे समय प्रबंधन, अनुशासन और धैर्य सिखाया—जो आज मेरे पेशेवर जीवन में सबसे ज़रूरी गुण हैं।
क्रिकेट मेरा जुनून था, लेकिन ग्यारह खिलाड़ियों की टीम बनाना अपने आप में एक संघर्ष था। हर किसी की अपनी ज़िम्मेदारियाँ थीं, अपनी प्राथमिकताएँ थीं। लोगों को मनाना, उन्हें एक लक्ष्य के लिए तैयार करना और उन्हें प्रेरित रखना—ये सब अनजाने में मुझे टीम लीडरशिप और लोगों को साथ लाने की कला सिखा रहे थे।
पैसे की तंगी एक और चुनौती थी। हमारे पास महंगे बैट और बॉल खरीदने का साधन नहीं था, फिर भी हम कहीं से उधार लेकर, पुरानी गेंद जोड़कर, या नंगे पाँव खेलकर भी अपनी इच्छा पूरी कर लेते थे। यही संकट में समाधान निकालने और सीमित संसाधनों का सही उपयोग करने की सीख थी, जो आज के बिज़नेस वर्ल्ड में बेहद काम आती है।
सबसे बड़ी चुनौती थी गाँव की जात-पात की राजनीति। लोग एक-दूसरे से बात तक नहीं करना चाहते थे, लेकिन मैं चाहता था कि सब मिलकर खेलें। वहाँ मैंने सीखा कि कैसे लोगों को एक साथ लाया जाए, उनके बीच की दूरियाँ मिटाई जाएँ, और सबको एक लक्ष्य के लिए प्रेरित किया जाए। यह कौशल आज कॉर्पोरेट सेक्टर में टीमों को साथ लाने और विविधता को अपनाने में मेरी मदद करता है।
हमारी सबसे बड़ी जीत तब थी जब हमने एक बंजर ज़मीन को अपने क्रिकेट ग्राउंड में बदला। हमने खुद मैदान को समतल किया, पत्थर हटाए और उसे खेलने लायक बनाया। यही अनुभव था जिसने मुझे दृढ़ संकल्प, टीम वर्क और सपनों को हकीकत में बदलने की ताकत दी—आज बिज़नेस और करियर में यही गुण सबसे ज्यादा मायने रखते हैं।
आज जब पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो समझ आता है कि मेरी असली पढ़ाई किताबों से नहीं, गाँव के अनुभवों से हुई। गाँव ने मुझे नेतृत्व, संसाधन प्रबंधन, समस्या समाधान, विविधता को अपनाने और किसी भी मुश्किल को अवसर में बदलने की कला सिखाई।
गाँव में टीम बनाई, अब कॉर्पोरेट में लीड कर रहा हूँ। खेतों से बिज़नेस तक का सफर आसान नहीं था, लेकिन आज जो कुछ भी हूँ, अपने गाँव के सबक की वजह से हूँ।