चाहिए मेट्रो लाइन विस्तार, नहीं चलेगा रोपवे से काम!

  • रोपवे प्रोजेक्ट पर लोगों की नाराज़गी निगम चुनावों में पड़ सकती है सत्तापक्ष को भारी!
  • जनता की मांग रोपवे प्रोजेक्ट नहीं मेट्रो लाइन विस्तार क्षेत्र की जनता की है दरकार!

दीपक कुमार त्यागी

दुनिया में हॉट सिटी के नाम से अपनी एक विशेष पहचान बना चुके गाजियाबाद शहर को दिल्ली से लगा हुआ होने के चलते लोगों के निवास स्थल के रूप में व संपत्ति में निवेश करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के पसंदीदा स्थलों में से एक माना जाता है। वैसे गाजियाबाद शहर के बुनियादी ढांचे को व्यवस्थित रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण व गाजियाबाद नगर निगम की है, उत्तर प्रदेश सरकार के यह दोनों महत्वपूर्ण विभाग समय-समय पर गाजियाबाद शहर की जनता की मांग व जन सुविधाओं के हिसाब से विभिन्न विकास कार्य करवाने का कार्य निरंतर करते रहते हैं। उसी क्रम में 30 अप्रैल 2022 में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने अपनी 159वीं बोर्ड बैठक में शहर में रोपवे चलाने के प्रोजेक्ट को हरी झंडी देने का कार्य किया गया है। इसके अन्तर्गत जीडीए के द्वारा शहर में रोपवे चलाने के लिए जो चार रूट फाइनल किए गए हैं, उनमें वैशाली मेट्रो स्टेशन से लेकर के मोहन नगर मेट्रो स्टेशन तक 5.2 किलोमीटर लंबा रूट, नया बस अड्डा मेट्रो स्टेशन से लेकर के गाजियाबाद रेलवे स्टेशन तक 3 किलोमीटर लंबा रूट, वैशाली मेट्रो स्टेशन से लेकर के नोएडा सेक्टर-62 मेट्रो तक का 6.8 किलोमीटर लंबा रूट और हिडन रिवर मेट्रो स्टेशन से लेकर के राजनगर एक्सटेंशन चौराहा तक का 8 किलोमीटर लंबा रूट शामिल है। जब से इस प्रस्ताव को जीडीए बोर्ड की हरी झंडी मिली है तब से ही महत्‍वाकांक्षी रोपवे प्रोजेक्ट ने जीडीए की फाइलों में तेज रफ्तार पकड़ने का कार्य किया है।

जिसके परिणाम स्वरूप जीडीए के द्वारा मेट्रो की रेड लाइन को मेट्रो की ब्लू लाइन से जोड़ने के लिए वैशाली मेट्रो स्टेशन से लेकर के मोहन नगर मेट्रो स्टेशन तक के 5.2 किलोमीटर लंबें रूट की डीपीआर तैयार कर ली गयी है, प्राधिकरण के सूत्रों के अनुसार सबसे पहले इस रूट पर ही रोपवे प्रोजेक्ट को बनाकर तैयार किया जायेगा, इस रूट की प्रस्तावित लागत 450 करोड़ रुपये आंकी गई है। वहीं बाकी रह गये तीन रूटों के लिए प्राधिकरण के द्वारा धरातल पर भौतिक परीक्षण कराते हुए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवाने का कार्य किया जा रहा है।

वहीं जीडीए के अधिकारी भी रोपवे प्रोजेक्‍ट को धरातल पर अमलीजामा पहनाने के लिए विभिन्न प्रकार के तकनीकी पहलुओं को जांचने में जुटे हुए हैं। लेकिन शहर के आम जनमानस के बीच जीडीए के इस रोपवे चलाने के प्रोजेक्ट का स्वागत होने की जगह विरोध शुरू हो गया है। शहर की पॉश कॉलोनी वसुंधरा में तो लोगों के द्वारा रोपवे प्रोजेक्ट के विरोध में पैदल मार्च तक निकाला गया है। सूत्रों के अनुसार ट्रांस हिंडन क्षेत्र की वसुंधरा, इंदिरापुरम, वैशाली आदि कॉलोनियों में आम लोग, आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी, समाजसेवी व जन प्रतिनिधि तक चुपचाप रोपवे प्रोजेक्ट की जगह क्षेत्र में मेट्रो लाइन के विस्तार करवाने के लिए विभिन्न प्रकार से मुहिम चला रहे हैं, इन कॉलोनियों में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है, धरने व प्रदर्शन भी होने शुरू हो गये हैं, सूत्रों के अनुसार क्षेत्र के लोग रोपवे प्रोजेक्ट के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा बनाने में जुटे हुए हैं।

गाजियाबाद शहर में रोपवे चलाने के मसले पर मैंने भी क्षेत्र के कुछ निवासियों से बात करके उनके विचार जानने का प्रयास किये हैं।

इस मसले पर मकनपुर गांव के निवासी वरिष्ठ समाजसेवी मनोज त्यागी कहते हैं कि जीडीए को अपने द्वारा प्रस्तावित मार्गों पर रोपवे प्रोजेक्ट लगाने के अपने निर्णय पर क्षेत्रवासियों व जनहित में पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि क्षेत्र की जनता व समय की मांग इन रास्तों पर मेट्रो लाइन के विस्तार करने की है ना कि रोपवे चलाने की, इसलिए जीडीए के द्वारा रोपवे के प्रोजेक्ट पर पैसा लगाना आज व भविष्य में एक बहुत बड़ी ग़लती साबित होगा।

इस मसले पर प्रहलादगढ़ी निवासी “किसान समिति गाजियाबाद” के महासचिव समाजसेवी व के वरिष्ठ किसान नेता आदेश त्यागी कहते हैं कि जीडीए पर शहर को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाते हुए उसके संवारने की जिम्मेदारी है, लेकिन जीडीए को यह समझना होगा कि रोपवे के लिए प्रस्तावित इन मार्गों पर यात्रियों की आज के समय में ही जबरदस्त भीड़ है और भविष्य में यह भीड़ शहर के विकास के साथ और तेजी के साथ बढ़ेगी, इसलिए इन मार्गों पर जीडीए के द्वारा रोपवे प्रोजेक्ट चलाने से ‘ऊंट के मूंह में जीरा’ वाली कहावत सत्य हो जायेगी, प्राधिकरण को समझना चाहिए कि लोगों की जरूरत इन मार्गों पर मेट्रो ट्रेन की है, लेकिन जीडीए फिर भी ना जाने क्यों लोगों को मेट्रो की जगह रोपवे में बैठाने के लिए कार्य करने में व्यस्त हैं, आज विचारणीय यह है कि जन विरोध के बाद भी जीडीए का यह रवैया आखिरकार क्यों है।

इस मसले पर वसुंधरा निवासी समाजसेवी व बिल्डर रमन त्यागी कहते हैं कि रोपवे प्रोजेक्ट से शहर के विकास को नये आयाम मिलेंगे इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन उसके लिए यह जरूरी है कि रोपवे प्रोजेक्ट का रूट ऐसा हो जो कि भविष्य में मेट्रो लाइन विस्तार, बड़ी सड़क परियोजना, फ्लाईओवर आदि में अड़चन नहीं पैदा कर पाये, तब ही रोपवे चलाने का शहर को वास्तविक लाभ होगा, फिलहाल जिन रूटों पर प्राधिकरण रोपवे चलाने की तैयारी कर रहा है वह भविष्य में प्राधिकरण की एक बहुत बड़ी भूल साबित होगा।

इस मसले पर वसुंधरा निवासी राजनेता व समाजसेवी विनोद पंत का कहना है कि इन मार्गों पर रोपवे चलाने का जीडीए का निर्णय लेना सरासर ग़लत है, इस प्रकार के अदूरदर्शिता के निर्णयों के चलते ही आज जीडीए पाई-पाई के लिए मौहताज है, जीडीए के इस निर्णय से टैक्स देने वाली जनता के पैसे का केवल दुरुपयोग ही होगा, क्योंकि जिस तेजी के साथ इस क्षेत्र में आबादी बढ़ रही है, उस स्थिति में मेट्रो लाइन के विस्तार करने की जरूरत है ना कि रोपवे चलाकर मेट्रो के रूट को खराब करने की जरूरत है।

इस मसले पर वसुंधरा निवासी समाजसेवी नरेंद्र कुमार उर्फ बबली चौधरी कहते हैं कि क्षेत्र के अधिकांश लोगों को यह आशंका है कि रोपवे प्रोजेक्ट बन जाने पर भविष्य में इन सभी रूटों पर मेट्रो लाइन के विस्तार की राह में रोपवे प्रोजेक्ट बड़ी अड़चन पैदा करने का कार्य करेगा, शहर की जनता को इन रूटों पर मेट्रो लाइन के विस्तार से वंचित रहना पड़ेगा,
जिसके चलते भविष्य में इस क्षेत्र में विकास की गति बेहद धीमी हो जायेगी। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में जिस तेजी के साथ जनसंख्या घनत्व में वृद्धि हो रही है उस स्थिति में जाम के झाम से सिर्फ मेट्रो लाइन का विस्तार ही निदान दिला सकता है, इसलिए शहर की जनता को प्रस्तावित रोपवे के रूटों का लाभ कम होगा बल्कि नुकसान अधिक होगा। इसलिए प्राधिकरण से निवेदन है कि वह इन रूटों पर रोपवे प्रोजेक्ट की जगह मेट्रो लाइन के विस्तार करने के लिए कार्य करें।

वहीं इस मसले पर वसुंधरा निवासी भाजपा नेता व समाजसेवी संजीव झा कहते हैं कि रोपवे प्रोजेक्ट शहर के उन रूटों पर शुरू करना चाहिए, जो रूट शहर में मेट्रो लाइन विस्तार की जद में नहीं आते हो, तब ही जनता के पैसे का सदुपयोग है। लेकिन अगर इन प्रस्तावित रूटों पर ही रोपवे चलाया जाता है तो भविष्य में रोपवे प्रोजेक्ट जनता के पैसे के दुरुपयोग का जीडीए के द्वारा जीता जागता नमूना बन जायेगा, भविष्य में शहर की जनता की जरूरत मेट्रो लाइन के विस्तार से ही पूरी हो पायेगी।

रोपवे प्रोजेक्ट पर अपनी राय रखते हुए राजनगर एक्सटेंशन निवासी ज्योतिषाचार्य व वरिष्ठ समाजसेवी अरुण कौशिक कहते हैं कि प्राधिकरण के द्वारा शहर को रोपवे प्रोजेक्ट का तोहफा देना विकास के लिए अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए प्राधिकरण ने जिन रूटों का चयन किया है वह सरासर ग़लत हैं, प्राधिकरण को शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने लिए शहर के अंदरुनी रूटों पर रोपवे प्रोजेक्ट का संचालन करना चाहिए और बाहरी रूटों पर मेट्रो लाइन का विस्तार करना चाहिए। कौशिक कहते हैं कि गाजियाबाद शहर को व्यवस्थित ढंग से जोड़ने के लिए राजनगर एक्सटेंशन से पुराना बस अड्डा अंबेडकर रोड़ होते रेलवे स्टेशन को जोड़ते हुए लाइन पार विजय नगर के क्षेत्र को जोड़ते हुए नोएडा तक रोपवे की लाइन बननी चाहिए, वहीं वेब सिटी से पुराना बस अड्डा होते हुए रोपवे चलाने की संभावनाओं पर कार्य होना चाहिए जिससे शहर के अंदरुनी रूटों पर भी बेहतर यातायात व्यवस्था बन सकें। लेकिन अगर प्राधिकरण अपने प्रस्तावित रूटों पर ही रोपवे चलाने का कार्य करेगा तो भविष्य में यह निर्णय गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की अदूरदर्शिता वह जनता के पैसे के दुरुपयोग को दर्शाने का कार्य करेगा और शहर में जाम की स्थिति फिर भी यथावत बनी रहेगी।

लेकिन सूत्रों की मानें तो यह भी एक कटु सत्य है कि जीडीए के रोपवे चलाने के इस प्रस्तावित प्रोजेक्ट का शहर की जनता में विरोध होने के बाद भी अभी तक तो गाजियाबाद विकास प्राधिकरण रोपवे प्रोजेक्ट बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। हालांकि जीडीए के इस निर्णय के चलते घर बैठे बिठाए ही विपक्षी दलों को सत्ता पक्ष भाजपा के खिलाफ आगामी नगर निगम के चुनावों में एक बड़ा मुद्दा मिल गया है, जिसका विपक्षी दल चुनावी रणभूमि में जमकर उपयोग करके क्षेत्र के मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास अवश्य करेंगे, जिसकी वजह से गाजियाबाद में भाजपा को निगम चुनावों में नुक़सान भी उठाना पड़ सकता है और अन्य दलों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है। हालांकि जन सरोकार के इस मुद्दे पर फिलहाल सत्ता पक्ष भाजपा के जन प्रतिनिधियों के साथ-साथ विपक्षी दलों के राजनेताओं की चुप्पी अभी तक तो क्षेत्र की जनता को आश्चर्यचकित करती है। खैर जो भी हो यह तो जनता के आंदोलन के रुख के बाद जीडीए ही तय करेगा कि क्षेत्र में मेट्रो लाइन विस्तार होगा या रोपवे बनेगा।