रविवार दिल्ली नेटवर्क
गुड़गाँव : गुड़गाँव के साईं का आँगन मंदिर में मूल रूप से उड़िया भाषा में स्वरचित श्री गुरु भागवत के प्रथम खण्ड के पंजाबी अनुवाद का लोकार्पण डाॅ0 चन्द्र भानु सतपथी जी द्वारा किया गया। इस पुस्तक का पंजाबी अनुवाद डाॅ0 रंजीत सिंह और डाॅ0 जसविंदर कौर बिंद्रा ने किया है। श्रीमती हरजीत छाबड़ा और श्रीमती गीतिका ऋषिराज ने व्यक्तिगत रूचि लेकर इस कार्य को सम्पन्न करवाया।
यह पुस्तक उड़िया भाषा में आठ खण्डों में प्रकाशित होकर एक महाकाव्य का रूप ले चुकी है, जिसमें 34000 से अधिक पंक्तियाँ लिखी गई हंै। हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा कई प्रांतीय भाषाओं, जैसे संस्कृत, बंगाली, आसामी, तेलेगु, तमिल, गुजराती, सिन्धी, कश्मीरी, भोजपुरी, कन्नड़, मराठी में भी श्री गुरु भागवत के कुछ खण्ड प्रकाशित हो चुके हंै।
पंजाबी भाषा में अनुवादित इस महाकाव्य में मुख्यतः सद्गुरु की परिभाषा, गुरुओं के प्रकार-भेद, सन्यासियों के प्रकार-भेद, शुद्ध योगी-भ्रष्ट योगी, गुरु मण्डली, श्री गुरु भक्त-गुरुओं के प्रकार और भक्तों के प्रकार, गुरु की अंकित सन्तान, दीक्षा दान आदि विषयों के बारे में अति सरल और सहज भाषा में वर्णित है। सन् 2015 में श्री गुरु भागवत की प्रथम प्रार्थना के पंजाबी अनुवाद की सी0डी0 जिसको डाॅ0 सतपथी जी ने रचा एवं संगीतब़द्ध किया था, टाईम्स म्यूज़िक द्वारा निकाली गई थी। पंजाबी भाषा की प्रसिद्ध गायिका हर्षदीप कौर ने इसे अपने स्वरों से सजाया था, जो बहुत लोकप्रिय हुई थी।
इस कार्यक्रम में श्रीमती मोनीशा शर्मा के साथ साईं का आँगन के बच्चों ने पंजाबी में श्री गुरु भागवत प्रथम खण्ड की कुछ पंक्तियों का गायन किया। डाॅ0 सतपथी जी ने उपस्थित सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि साईं बाबा और अन्य जितने भी महान संत हुए वह सभी सरल थे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि यदि हम सरलता से चलेंगे तो कुछ प्रगति कर सकते हैं।