गोपेंद्र नाथ भट्ट
नई दिल्ली : पंजाब की राजनीति के ‘पितामह’ कहे जाने वाले प्रकाश सिंह बादल के निधन से देश में सिखराजनीति का सबसे बड़ा स्तंभ ढह गया। उन्हें अपने सूबे के सबसे युवा और सबसे बुजुर्ग मुख्यमंत्री रहने कासौभाग्य मिला था।
प्रकाश सिंह बादल का राजस्थान से गहरा रिश्ता रहा। उनके राजस्थान के विभिन्न नेताओं और मुख्य मंत्रियोंमोहन लाल सुखाडिया, बरकतुल्लाह खान,हरिदेव जोशी,शिव चरण माथुर, हीरा लाल देवपुरा,जगन्नाथपहाड़िया, भैरों सिंह शेखावत,वसुन्धरा राजे और वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदि से लम्बा राजनीतिकऔर निजी सम्बन्ध रहा।
इंदिरा गांधी नहर परियोजना (राजस्थान केनाल) और अन्य परियोजनाओं को लेकर पंजाब और हरियाणा केसाथ हुए अंतर राज्य समझौतों.रावी व्यास आदि नदियों का जल बंटवारा और समझौता अनुसार राजस्थान कोअपने हिस्से का पूरा पानी का आवंटन,भाखड़ा व्यास नियन्त्रण मंडल में प्रतिनिधित्व और अंतर राज्यीय परिषदकी बैठकों आदि को लेकर कई बार ये नेता एक दूसरे के सामने आए लेकिन हर बार बादल ने अपने राज्य केहितों की रक्षा करते हुए उलझनों को सुलझाने के लिए आगे आकर पहल करने का प्रयास किया ।
जब किया था वसुन्धरा राजे के गुस्से को शान्त
मुझे स्मरण है एक बार नई दिल्ली में राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक केन्द्रीय मंत्री सेमुलाकात करने निर्माण भवन पहुंची तो उन्होंने वहां प्रकाश सिंह बादल और उनके पुत्र उप मुख्यमंत्री सुखबीरसिंह बादल को भी वहां बैठे हुए देखा । वसुन्धरा राजे रावी-व्यास आदि नदियों से इंदिरा गांधी नहर परियोजना(राजस्थान केनाल) में पंजाब से आने वाले गन्दे और जहरीले पानी की समस्या का पंजाब सरकार द्वारा कई बारअनदेखी किए जाने से इतना अधिक नाराज थी कि उन्होंने तिमतिमा कर बादल के सामने ही उनके पुत्र जूनियरबादल की क्लास ले ली और कहा कि आप लोगों की लापरवाही से राजस्थान के लोग और पशुधन गम्भीरबीमारियों की चपेट में आ कर मौत के मूँह में जा रहें है। साथ ही प्रदेश के खेत भी ऊसर होकर बर्बाद हों रहें है ।वसुन्धरा जी को बहुत ग़ुस्सा में देख प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि महारानी जी ठण्ड खाओं, हम सब चंगा करदेंगे। इसी प्रकार एक अन्य वाक़ये में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में राजस्थान की तत्कालीनसिंचाई मंत्री कमला बेनीवाल का पारा पंजाब द्वारा समझौता अनुसार राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानीका आवंटन नही करने को लेकर सातवें आसमान पर था और वे धारा प्रवाह अपने ग़ुस्से का ईजहार कर रही थीतब भी बादल और गहलोत के बीच बचाव से ही मामला शान्त हुआ था । बाद में स्वयं मुख्यमंत्री गहलोत ने मुझेतफ़सील से इस मामले की एतिहासिक पृष्ठ भूमि समझाई थी।
दिवंगत प्रकाश सिंह बादल के पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के साथ कितने अधिक अंतरंग सम्बन्ध थेइसका उदाहरण शेखावत के पैतृक गांव खाचरियावास के विकास के लिए बादल द्वारा राजस्थान सरकार कोएक करोड़ रुपये का दान देने का मशहूर क़िस्सा दर्शाता है।
बादल ने शेखावत के निधन के बाद राजस्थान के सीकर जिले के उनके जन्म स्थान खाचरियावास में शेखावतप्रतिमा के अनावरण समारोह के दौरान उनकी धर्म पत्नी सूरज कंवर को अपने राज्य कोष से एक करोड़ रु काचेक सौंपा था। इस समारोह में भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्रीवसुंधरा राजे और इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला भी शामिल हुए थे । इस अवसरपर बोलते हुए, बादल ने दिवंगत भेरौसिंह की जन्म भूमि खाचरियावास के विकास के लिए और अधिक अनुदानदेने का वादा भी किया था।
लम्बा राजनीतिक सफ़र
पंजाब के सबसे युवा और सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 कोपंजाब के खुराना नाम के गांव में हुआ था, जो वर्तमान समय में पाकिस्तान में है। वह रिकॉर्ड पाँच बार पंजाब केमुख्यमंत्री रहे। यही कारण है कि प्रकाश सिंह बादल को पंजाब की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा माना जाताथा ।
प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में आजादी के साथ ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर दी थी। साल1957 में महज 30 साल की उम्र में बादल ने पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था। इसके बाद साल1969 के चुनाव में वह दोबारा चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने गुरनाम सिंह की सरकार मेंकई मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाला।साल 1970 में महज 43 साल की उम्र में वे पहली बार पंजाब केमुख्यमंत्री बने थे। इसी के साथ वह पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री भी बन गए थे। इसके बाद साल 1977 मेंबादल एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। इसके बाद साल 1997 में वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। प्रकाश सिंहबादल ने वर्ष 2007 में चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। साल 2012 में प्रकाश सिंह बादल पांचवीं बारपंजाब के मुख्यमंत्री बने थे। तब वह 2017 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे और उनकी उम्र 90 वर्ष की हो चुकीथी। उस समय वह देश के सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री थे।
रिकॉर्ड 10 बार विधायक भी रहें
प्रकाश सिंह बादल पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री तो रहे ही, साथ ही वह रिकॉर्ड 10 बार पंजाब विधान सभा में विधायक भी रहे।वर्ष 1992 को छोड़ दें तो प्रकाश सिंह बादल वर्ष 1969 से 2022 तक लगातार राज्यविधानसभा के चुनाव जीतते आए हैं। साल 1992 में अकालियों ने चुनावों का बहिष्कार किया था,जबकि साल2022 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। साल 1977 में जनता पार्टी के शासन कालमें प्रकाश सिंह बादल केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे।
देश के बुजुर्ग नेता प्रकाश सिंह बादल के निधन पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ,उप राष्ट्रपति जगदीप धनख़ड़,प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , उनके मंत्रिपरिषद के साथियों और राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र,मुख्य मंत्रीअशोक गहलोत सहित अन्य मुख्यमंत्रियों और देश के सभी दलों के नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया हैं।