- प्रो लीग मैचों से हमें विश्व कप में बढिय़ा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी
- ओलंपिक के बाद हमारी टीम में हर कोई फोकस और बेहतर करने को बेताब
- महिला हॉ़की विश्व कप में बतौर टीम बढिय़ा खेलना होगा
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : गोलरक्षक सविता पूनिया पिछले करीब एक बरस से भारत की महिला हॉकी टीम की कप्तानी संभाल रही हैं। नियमित कप्तान स्ट्राइकर रानी रामपाल केे जांघ की मांसपेशी में आए खिंचाव के कारण टीम से बाहर रहने पर पहली जुलाई से स्पेन और नीदरलैंड में एफआईएच महिला हॉकी विश्व कप में भारत की कप्तानी कर उसे पहला पदक दिलाने का सपना लिए उतरेंगी। 2021-22 एफआईएच प्रो लीग में सविता की अगुआई में भारत की महिला हॉकी ने तीसरा स्थान हासिल कर विश्व कप में दमदार प्रदर्शन की आस जगाई है। सविता ने अपने करीब 13 बरस के अंतर्राष्ट्रीय हॉकी करियर में भारत को जकार्ता में 2018 में एशियाई खेलों में रजत पदक और बीते बरस टोक्यो ओलंपिक में बतौर उपकप्तान में किले की मुस्तैदी से चौकसी कर चौथा स्थान दिलाने में अहम रोल निभाया।
सविता ने कहा, ‘ एफआईएच महिला हॉकी प्रो हॉकी लीग में हमारे बढिय़ा अभियान ने हमें महिला हॉकी विश्व कप में बढिय़ा प्रदर्शन करने की प्रेरित किया। हमारा मकसद अब महिला हॉकी विश्व कप में बतौर टीम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। मैं खुश हूं कि मुझे एक बार फिर हॉकी के सबसे बड़े मंच पर भारत की नुमाइंदगी का मौका मिल रहा है। मैं जानती हूं कि हमारी भारतीय टीम महिला विश्व कप के पहले संस्करण में चौथे स्थान पर रही थी और अभी उसे इसमें अपने पदक का इंतजार है। हमारी टीम महिला हॉकी विश्व कप में शिरकत करने को लेकर खासी रोमांचित है। हमें बतौर टीम इस विश्व कप में कड़ा संघर्ष करना होगा। हम टोक्यो ओलंपिक में पदक से चूक गए और चौथा स्थान ही पा सके और इसका हमें आज भी मलाल है। हम ओलंपिक से बहुत कुछ सीखा कि हम जानते हें कि हम और बेहतर कर सकते हैं। हर दिन हर अभ्यास सत्र में हमने अपनी चीफ कोच यांकी शॉपमैन से बहुत कुछ सीखा। ओलंपिक के बाद हमारी टीम में हर कोई अब बेहद फोकस और बेहतर करने को बेताब है। हमारी टीम के लिए बढिय़ा टीमों के खिलाफ खेलना अच्छा अनुभव रहा।’
उन्होंने कहा, ‘ महिला हॉकी विश्व कप में हमारी भारतीय हॉकी टीम पूल बी में चीन, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के साथ है। अपने पूल की बाबत बस यही कहूंगी कि आज के जमाने में हर हॉकी टीम अच्छी है। हमारे पूल में इंग्लैंड, चीन और न्यूजीलैंड की टीम भी अच्छी हैं। हमारी टीम इन सभी टीमों के खिलाफ पहले भी खेल चुकी हैं। हम पहले से ज्यादा फोकस हैं। हमें ध्यान अपने खेल पर लगाना होगा। हम मैच दर मैच ही विश्व कप में आगे बढ़ेंगे। हमें महिला हॉ़की विश्व कप में बतौर टीम बढिय़ा खेलना होगा और फिर देखेंगे क्या होता है। टोक्यो ओलंपिक में भारत की महिला हॉकी टीम के चौथे स्थान पर और पुरुष हॉकी टीम के कांसा जीतने से देश में केवल ज्यादा महिलाएं ही नहीं पुरुष भी ज्यादा हॉकी खेलना चाहते हैं। टोक्यो ओलंपिक में बहुत से लोग हमारे पास आकर हमसे पूछा गया कि वे हॉकी खेलना किस तरह शुरू कर सकते हैं और किस उम्र में हॉकी खेलनी शुरू करनी चाहिए । भारतीय हॉकी के लिए यह बहुत अच्छा संकेत है। हम बेहद खुश हैं कि हमने पहली बार एफआईएच महिला हॉकी प्रो लीग में शिरकत की। हमने प्रो लीग में खेल इसीलिए बहुत कुछ सीखा कि क्योंकि इसमें हम अच्छी टीमों के खिलाफ खेले। प्रो लीग के मैचों से हमें महिला हॉकी विश्व कप और राष्टï्रमंडल खेलों की महिला हॉकी में बहुत मदद मिलेगी। इससे पहले हमारी टीम बढिय़ा टीमों के खिलाफ इतने मैच नहीं खेल पाई थी। प्रो लीग में बराबर मैच खेलने के कारण हम यह जान सकते हैं कि हमने कहां क्या गलती की और अगले मैच के लिए हम क्या सुधार सकते हैं। प्रो लीग में हमारी टीम की लड़कियों एक टीम के रूप में लगातार मैच खेलने का बहुत लुत्फ उठाया।’