टीएमयू के ओरियंटेशन सेशन में क्वालिटी सर्किल फोरम ऑफ इंडिया, दिल्ली चेप्टर के कन्वीन्सन चेयरपर्सन एंड एडमिन ज्वाइंट सेक्रेटरी श्री अनिरूद्ध कौशिक ने की शिरकत
रविवार दिल्ली नेटवर्क
- क्वालिटी सर्किल के प्रशिक्षण को सत्र करने होंगे आयोजित: अनिरूद्ध कौशिक
- हैल्दी वर्क इन्वायरमेंट, ऑर्गेनाइजेशन बेनिफिट्स आदि में मिलेगी मदद: वीसी
- क्वालिटी सर्किल एक उत्कृष्ट समस्या-समाधान रणनीति: रजिस्ट्रार
- शैक्षणिक और प्रशासनिक प्रोसेस में सुधार को क्वालिटी सर्किल जरूरी:डीन
क्वालिटी सर्किल फोरम ऑफ इंडिया, दिल्ली चेप्टर के कन्वीन्सन चेयरपर्सन एंड एडमिन ज्वाइंट सेक्रेटरी श्री अनिरूद्ध कौशिक बोले, क्वालिटी सर्किल दुनिया भर में एक लोकप्रिय व्यावसायिक अवधारणा है। क्वालिटी सर्किल फोरम का असल मकसद- कारिंदों की दुश्वारियों के समाधान, उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार और कार्यस्थल में उच्च मानकों को सुविधाजनक बनाना है। फोरम टीम वर्क को विकसित करता है। साथ ही साथ आत्मविश्वास और नौकरी की संतुष्टि बढ़ाना है। श्री कौशिक तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में क्वालिटी सर्किल फोरम ऑफ इंडिया, दिल्ली चेप्टर के सहयोग से क्वालिटी सर्किल इंपलिमेंटेशन इन यूनिवर्सिटी फ्रेमवर्कः फ्रॉम विजन टू एक्जीक्यूशन पर आयोजित ओरियंटेशन सेशन में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। श्री कौशिक ने क्वालिटी सर्किल के स्ट्रक्चर, प्राब्लम्स सॉल्विंग प्रोसेस, टूल्स, बेनिफिट्स आदि पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। अंत में मुख्य वक्ता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। संचालन असिस्टेंट डायरेक्टर एकेडमिक्स श्रीमती नेहा आनन्द ने किया।
श्री कौशिक ने क्वालिटी सर्किल की कार्यप्रणाली को समझाते हुए कहा, यूनिवर्सिटी ढांचे में गुणवत्ता चक्र लागू करने में कई चरण शामिल होते हैं। इसमें गुणवत्ता मंडलों का गठन, प्रशिक्षण और जागरूकता, विषयों का चयन, समस्या विश्लेषण, समाधान आदि शामिल है। सबसे पहले हमें क्वालिटी सर्किल में भाग लेने के इच्छुक संकाय कर्मचारियों और छात्रों की पहचान करनी हैं। उसके बाद विशिष्ट क्षेत्रों या मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए छोटे समूह बनाने होंगे। क्वालिटी सर्किल से संबंधित अवधारणा, उपकरण और कार्यप्रणाली के बारे में शिक्षित करने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने होंगे। मेंबर्स को यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक कार्यक्रमों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं, छात्र सेवाओं आदि से प्रासंगिक विषयों या क्षेत्रों की पहचान करने और चयन करने के लिए प्रोत्साहित करें, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। विचार-मंथन, कारण-और-प्रभाव विश्लेषण आदि उपकरणों का उपयोग करके पहचानी गई समस्याओं का विश्लेषण करने के लिए क्वालिटी सर्किल्स को प्रोत्साहित करें। वीसी प्रो. रघुवीर सिंह बोले, क्वालिटी सर्किल से सेल्फ डवलपमेंट, सोशल डवपलमेंट, नॉलेज गेन करने के अवसर, पोटेंशियल लीडर, कम्युनिकेशन स्किल्स को बढ़ाने, जॉब संतुष्टि, हैल्दी वर्क इन्वायरमेंट, ऑर्गेनाइजेशन बेनिफिट्स आदि में मदद मिलेगी। इससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ता है। टीम भावना का विकास होता है। साथ ही संगठन की प्रोडक्टिविटी भी बढ़ती है।
रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा ने कहा, क्वालिटी सर्किल कार्यस्थल में गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार करने में प्रभावी साबित होगा। इन्हें स्थापित करना भी आसान है। यह एक उत्कृष्ट समस्या-समाधान रणनीति हैं, जिसमें फ्रंट-लाइन कर्मचारी शामिल हैं। डीन एकेडमिक्स प्रो. मंजुला जैन बोलीं, यूनिवर्सिटी के एकेडमिक और एडमिनिस्ट्रेशन प्रोसेस की क्वालिटी में सुधार के लिए क्वालिटी सर्किल जरूरी है। एकेडमिक और एडमिनिस्ट्रेशन क्रियाकलापों को क्रियान्वयन करने वाले व्यक्तियों को क्वालिटी सर्किल की जानकारी देना और इसका इंप्लीमेंटेशन करना बेहद आवश्यक है। ओरियंटेशन सेशन में प्रो. एमपी सिहं, प्रो. आरके द्विवेदी, प्रो. विपिन जैन, प्रो. मनीष गोयल, डॉ. प्रवीन कुमार जैन, प्रो. शिवानी एम. कौल, प्रो. रश्मि मेहरोत्रा, प्रो. एसके सिंह, डॉ. आशेन्द्र कुमार सक्सेना, प्रो. मनु मिश्रा, श्री रविन्द्र देव, डॉ. पंकज गोस्वामी, प्रो. जसलीन एम., डॉ. पीयूष मित्तल, प्रो. नवनीत कुमार, प्रो. मनीष यादव, डॉ. प्रदीप तांगडे, डॉ. गीतान्शु डावर आदि मौजूद रहे।