अतीक की हत्या पर उठते सवाल ?

प्रभुनाथ शुक्ल

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई असरफ के आतंक का अंत इस तरीके से होगा इसकी उत्तरप्रदेश पुलिस और खुद अतीक और उसके परिवार को इसकी कल्पना नहीं रहीं होगी। लेकिन यह सच था कि पुलिस की कार्रवाई को लेकर वह सहमा था। उसके भीतर कहीं न कहीं यह भय था कि उसकी भी हत्या कि जा सकती है। झाँसी में बेटे असद के एनकाउंटर के बाद उसका डर और गहरा हो गया था। इस घटना के बाद उत्तरप्रदेश पुलिस और राज्य की कानून व्यवस्था सवालों के घेरे में है। सवाल उठता है कि इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में अतीक और असरफ की हत्या कैसे हुईं।

विपक्ष का सवाल उठाना लाज़मी है कि फिर कानून व्यवस्था का क्या मतलब है? क्योंकि अतीक माफिया भले था लेकिन उसी प्रयागराज से पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुका था। जिस तरह पुलिस अभिरक्षा में घूस कर तीन युवकों ने गोली मार कर हत्या कि वह अपने आप में बड़ा सवाल है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, अखिलेश यादव और ओवैसी ने इस हत्या की तीखी आलोचना की है। उधर सपा के महासचिव रामगोल यादव ने अतीक के बाकि बचे बेटों के हत्या की भी आशंका जतायी है। उन्होंने इसे सुनियोजित हत्या बताया है। योगी सरकार ने इस घटना की रिपोर्ट केंद्रीय गृहमंत्रालय को भी भेजा है।

पुलिस अभिरक्षा में अतीक और असरफ की हत्या की घटना को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया है। राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़े न इसके लिए राज्य पुलिस को कड़े निर्देश दिए गए हैं। प्रयागराज में जहाँ इंटरनेट बंद कर दिया गया है। वहीं पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गयीं है। घटना के सम्बन्ध में 17 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। राज्य पुलिस मुख्यालय से पांच आईपीस अफसरों को कानून-व्यवस्था निगरानी और समीक्षा के लिए भेजा गया है।

अब अतीक की हत्या को मजहबी रंग भी दिया जाने लगा है। लेकिन कानून-व्यवस्था पर तो सवाल तो उठेगा ही। निश्चित रुप से अतीक और उसके गुर्गो को उसके गुनाहों की सजा मिलनी चाहिए थी। इसके लिए संवैधानिक गतिविधियां अपनायी गयीं थीं। प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उमेशपाल हत्याकाण्ड में अतीक के खिलाफ सजा भी सुनायी थी। साबरती से उसे दूसरी बार पुलिस रिमांड पर प्रयागराज ले आया गया था। माफिया डॉन अबू सलेम और पाकिस्तान कनेक्शन पर भी धूमनगंज थाने में पूछताछ हो रहीं थी। लेकिन जिस तरह अतीक की हत्या को अंजाम दिया गया वह किसी बड़ी साजिश की तरफ इशारा करती है।

प्रयाराज में मेडिकल परिक्षण के दौरान अतीक और उसके भाई की हत्या को लेकर उसकी अभिरक्षा में लगी पुलिस भी सवालों को घेरे में हैं। सवाल उठता है कि रात में जिस समय अतीक पर हमलावर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे उस दौरान पुलिस क्या कर रहीं थी। पुलिस ने काउंटर फायरिंग क्यों नहीं किया। अतीक कोई मामूली कैदी नहीं था वह पांच बार का विधायक और सांसद रह चुका था। वह बेहद हाईप्रोफ़ाइल व्यक्ति था उसकी हत्या कोई सामान्य बात नहीं है।

जब आरोपित गोलियां बरसा रहे थे तो पुलिस को उन पर कवर फायरिंग करना था। लेकिन पुलिस ने ऐसा क्यों नहीं किया। इस मीडिया रिपोर्ट में अतीक का जो वीडियो आया है उसमें साफ दिख रहा है कि उसे एकदम सटाकर गोली मारी गयीं। आरोपित ताबड़तोड़ गोली मारते रहे और पुलिस मौन ही। इस घटना में एक पुलिस वाले और पत्रकार के घायल होने की खबर है। लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया, हमलावर आराम से हत्या कर हथियार डाल कर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करते हैं। अगर पुलिस की कवर फायरिंग में तीन में किसी भी बदमाश को गोली लगती तो पुलिस की भूमिका पर सवाल न उठते।

प्रयागराज में अतीक की हत्या किसी बड़े इशारे की ओर इंगित करती है। हत्या के आरोपित जिन तीन युवकों का नाम आ रहा है उसमें लवलेश तिवारी बांदा, अरुण मौर्या कासगंज और सनीसिंह हमीरपुर शामिल हैं। यह तीनों बड़े अपराधी हैं। लेकिन अतीक की हत्या के लिए तीनों का एक साथ आना बड़े सवाल खड़े करता है। कहीं तीनों अतीक के गैंग से ही नहीं जुड़े थे। अतीक से हुई पुलिस पूछताछ में इनका नाम भी तो नहीं आ रहा था। दूसरी बात जांच के दायरे में कोई बड़ा आदमी तो नहीं फंस रहा था। जिसने अपनी गर्दन बचाने के लिए ऐसी साजिश रची।

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि तीनों एक लाज में रुके थे। लेकिन उन्हें कैसे पता था कि अतीक को इसी अस्पताल में मेडिकल परीक्षण के लिए लाया जाएगा। घटना को अंजाम देने से पूर्व रेकी की भी बात आयी है। निश्चित रुप से यह एक सुनियोजित प्लानिंग थी। जिसकी वजह से आरोपित मीडियाकर्मी बनकर घटना को अंजाम दिया। इस घटना का सच सामने आना चाहिए। निश्चित रुप से इसमें कोई बड़ा नाम भी हो सकता है। लेकिन राज्य की कानून-व्यवस्था पर अतीक और असरफ की हत्या बड़ा सवाल छोड़ गयीं है। इस घटना का पर्दाफांस हर स्थिति में होना चाहिए। इस तरह अतीक की हत्या क्यों की गयीं। यह सिर्फ अतीक की हत्या ही नहीं राज्य की कानून व्यवस्था और उसकी पुलिस से भी जुड़ा बड़ा सवाल है। इस घटना की ज़मीनी सच्चाई सामने आनी चाहिए।