अजय कुमार
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष अजय राय भले ही दावा कर रहे हों कि राहुल गांधी अपने पुराने संसदीय क्षेत्र अमेठी से पुनः लोकसभा का चुनाव लड़ेगें और प्रियंका वाड्रा गांधी वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरती हैं तो कांग्रेसी उनके लिए जी-जान लगा देंगे,लेकिन ऐसा संभवत होता नहीं दिख रहा है.इसकी वजह साफ है,अमेठी से लोकसभा का पिछला चुनाव हारने के बाद जिस तरह से राहुल गांधी ने अमेठी से मुंह मोड़ लिया है,उससे अमेठी की जनता के बीच राहुल की छवि काफी कमजोर हुई है.जिस अमेठी की जनता ने राहुल को तीन बार सांसद बनाया,उस जनता के साथ राहुल गांधी ने 2019 से नाता ऐसे नाता तोड़ मानों राहुल और अमेठी के बीच बस चुनावी रिश्ता था.जबकि 2019 की हार से पूर्व राहुल गांधी अमेठी को लेकर काफी भावनात्मक बातें किया करते थे.बात यहीं तक सीमित नहीं है.राहुल को हरा कर अमेठी से सांसद बनी बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने पिछले पांच वर्षो में अमेठी में विकास का काफी काम कराया है,वह लगातार अमेठी वालों के सम्पर्क में रहती हैं,उनके दुख दर्द में सहारा बनती हैं.इस लिए अब शायद ही अमेठी की जनता राहुल को फिर से गले लगायेगी,वैसे भी केरल की मुस्लिम बाहुल्य वॉयनाड सीट राहुल के लिए काफी सुरक्षित है. इसी प्रकार प्रियंका के वाराणसी से चुनाव लड़ने की बात भी खोखली है,जो गांधी परिवार हमेशा से अपने लिए सुरक्षित लोकसभा सीट की तलाश में रहता है,उसकी नेत्री प्रियंका वाड्रा कभी भी अपना चुनावी राजनीति का कैरियर वाराणसी से शुरू करने का दांव नहीं लगायेंगी.
लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी सीट पर हार झेलने के बाद उत्तर भारतीयों की समझ पर राहुल गांधी ने जिस तरह से सवाल उठाया था,उसके बाद राहुल के लिए अमेठी में कांटे ही कांटे नजर आ रहे हैं,इतना ही नहीं केरल की वायनाड सीट से जीत के बाद राहुल गांधी का रुझान दक्षिण की तरफ अधिक बढ़ा है. हालांकि, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के दावे ने अमेठी से लेकर प्रदेश और देश की राजनीति में एक नया सवाल खड़ा कर दिया है। क्या एक बार फिर अमेठी में स्मृति ईरानी बनाम राहुल गांधी मुकाबला देखने को मिलेगा. इसको लेकर अब कांग्रेसी नेता सामने आ रहे हैं। सीनियर कांग्रेसी नेता राशिद अल्वी ने राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने पर बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदवार होंगे तो स्मृति ईरानी की यहां से जमानत जब्त हो जाएगी,खैर,अपने नेता के लिए कोई भी राशिद जैसे सपने सजो सकता है.इसमें कोई रोकटोक नहीं है.हो सकता है कि कांग्रेस को लग रहा हो कि वह गठबंधन के सहारे यह सीट राहुल के लिए जीत जाए,लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं नजर आ रहा है जिससे इस बात का पता चल सके कि अमेठी में बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले की तस्वीर उभर रही हो.कुल मिलाकर अमेठी से राहुल गांधी और वाराणसी से प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की बात सियासी शिगूफे से अधिक कुछ नहीं है.