दलितों की आड़ में राहुल खेल रहे हैं खतरनाक खेल

Rahul is playing a dangerous game in the name of Dalits

अजय कुमार

लखनऊ : राहुल गांधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता, हाल ही में दलित समुदाय के प्रति अपनी नीतियों और बयानों के कारण चर्चा में हैं। उनके कुछ बयानों ने विवाद उत्पन्न किया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने इतिहास में दलितों और पिछड़ों के बारे में नहीं पढ़ा है। इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में शुरू हुए आरक्षण के बावजूद, पार्टी के प्रमुख नेता दलितों के इतिहास से अनभिज्ञ क्यों हैं। इसके अतिरिक्त, राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए दलित-मुस्लिम गठजोड़ की योजना का संकेत दिया है। इस रणनीति के तहत, उन्होंने हाथरस जैसी घटनाओं पर सक्रियता दिखाई है, जिससे सियासी बवाल मच गया है। उनकी इस पहल को विपक्षी दलों द्वारा राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया कदम माना जा रहा है।

राहुल गांधी की इन गतिविधियों को कुछ विश्लेषक दलितों की आड़ में एक खतरनाक खेल के रूप में देख रहे हैं, जहां वे राजनीतिक लाभ के लिए दलित मुद्दों का उपयोग कर रहे हैं। इससे दलित समुदाय के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, राजनीतिक एजेंडा प्रमुख हो सकता है।इन घटनाओं के मद्देनजर, यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेता दलित समुदाय के वास्तविक मुद्दों को समझें और उनके समाधान के लिए ईमानदारी से प्रयास करें, न कि केवल राजनीतिक लाभ के लिए उनका उपयोग करें।

राहुल गांधी के इन कदमों पर दलित समुदाय और राजनीतिक विश्लेषकों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इसे दलितों के प्रति उनकी संवेदनशीलता के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक लाभ के लिए एक चाल मानते हैं।आखिरकार, यह समय ही बताएगा कि राहुल गांधी की ये पहलें दलित समुदाय के लिए कितनी लाभकारी साबित होती हैं, या वे केवल राजनीतिक रणनीति तक सीमित रह जाती हैं।