
अशोक भाटिया
हाइड्रोजन बम का डिब्बा कहां है? राहुल गांधी को जैसे ही ‘जल्दी करो’ से मैसेज मिला, रिसर्च डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। ‘विस्फोटक’ सामग्री को जल्दबाजी में दो डिब्बों में भरकर उनके आवास पर पहुंचाया गया। दो वैज्ञानिक (वोट-चोरी की मांग?) राहुलजी बहुत खुश थे कि उन्हें वह खजाना मिल गया है जिसने पूरे देश में तबाही मचा दी थी। फिर उन दोनों ने दरवाजा खोला और बम जैसी वस्तु निकाली। उसकी पूंछ का हिस्सा खोलने के बाद, उसमें से हरे कागज का टुकड़ा निकाला गया। यह गोरखपुर निर्वाचन क्षेत्र से चोरी हुआ दस्तावेज है, यह छत, यह अहमदाबाद, यह पटना है। ऐसे एक-एक पेपर और उसमें दी गई जानकारी पढ़ने के बाद राहुल जी के मन में सभा मनाने की तीव्र ललक हुई, लेकिन उन्होंने खुद को रोक लिया। अंत में वाराणसी का पेपर निकाला गया। राहुलजी को लगा कि उन्हें हाइड्रोजन बम में इस्तेमाल होने वाले हीलियम की गंध आ रही है। सबको एक आखिरी नज़र डालने के बाद, कागज फिर से अंदर रख दिया गया। वह यह कहकर बेडरूम से निकल गया कि वह बॉक्स लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाएगा।
सम्पूर्ण घटना इस प्रकार है कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ शुरू हुई ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का पहला दौर खत्म हो गया । कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने 16 दिनों में 23 जिलों और 1300 किलोमीटर का सफर तय कर भाजपा के खिलाफ ‘वोट चोरी’ वाला नैरेटिव गढ़ने का दांव चला। सासाराम से शुरू हुई यात्रा का सोमवार को पटना में समापन हो गया है। लेकिन क्या दो हफ्ते में कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक का असली मकसद सफल होगा?राहुल-तेजस्वी 17 अगस्त को सासाराम से निकले और पटना तक यात्रा की। उन्होंने ‘वोट चोरी’ को मुद्दा बनाया और इस यात्रा का उद्देश्य भी यही था। बिहार में दो लड़कों की जोड़ी इसमें काफी हद तक कामयाब रही, लेकिन क्या उनका असली मकसद बिहार की चुनावी जंग जीतना और सत्ता में वापसी करना है?
बिहार में कांग्रेस साढ़े तीन दशकों से सत्ता से बाहर है तो आरजेडी 20 सालों से अपने दम पर वापसी नहीं कर सकी है। ऐसे में राहुल-तेजस्वी ने विधानसभा चुनाव से पहले यात्रा निकालकर सियासी माहौल बनाने की कवायद की। यात्रा में हर जगह अच्छी-खासी भीड़ जुटी और पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक में जोश दिखा, लेकिन क्या यह जोश बिहार की चुनावी जीत में तब्दील हो पाएगा?पटना में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन के मौके पर आयोजित रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि ‘वोट चोरी’ के ‘एटम बम’ के बाद अब ‘हाइड्रोजन बम’ आने वाला है। हाइड्रोजन बम का असर एटम बम से सैकड़ों या हजारों गुना अधिक शक्तिशाली हो सकता है। महादेवपुरा में हमने ‘वोट चोरी’ का ‘एटम बम’ फोड़ा था। अब भाजपा के लोग सुन लें, उससे भी बड़ा ‘हाइड्रोजन बम’ आने वाला है, जब यह फटेगा तो नरेंद्र मोदी देश को अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे। पटना में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा के लोग अच्छी तरह सुन लीजिए। आपने एटम बम का नाम सुना है। उससे बड़ा क्या होता है? एटम बम से बड़ा हाइड्रोजन बम होता है। महाराष्ट्र के माधवपुरा में हमने एटम बम दिखाया था। भाजपा के लोगों तैयार हो जाओ हाइड्रोजन बम आ रहा है। आपकी जो वोट चारी की सच्चाई से है वो पूरे देश को पता लगने जा रही है।
इसका मतलब साफ है कि ‘वोट चोरी’ पर राहुल गांधी पहले के खुलासे से कहीं ज्यादा बड़ा खुलासा करेंगे। यात्रा से बने सियासी माहौल को आगे भी बनाए रखने की कोशिश की जाएगी। राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान आम लोगों से जुड़कर एक तरफ कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश की, तो दूसरी तरफ आम लोगों को यह समझाने की भी भरपूर कोशिश की कि उनकी यात्रा का मकसद यह है कि बिहार में एक भी वोट की चोरी न हो। ऐसे में राहुल गांधी बिहार के बचे हुए जिलों में दूसरी यात्रा की घोषणा कर सकते हैं।
किसी अख़बार ने राहुल के ‘हाइड्रोजन बम’ पर चुटकी लेते हुए लिखा है कि बिहार यात्रा से तंग आकर वह एक पल के लिए सो गये थे और फिर उसकी आंखों के सामने अपेक्षित दृश्य तैरने लगे। वोट चुराने वाले हाइड्रोजन बम के फटने के बाद देशभर में हड़कंप मच गया है। देश भर में भाजपा कार्यालयों को नष्ट कर दिया गया है क्योंकि बम में दस लाख टन टीएनटी की क्षमता है। रेशम उद्यान ने ‘खंडहर’ का रूप ले लिया है। भाजपा के लोग भाग रहे हैं क्योंकि हर तरफ धुआं ही धुआं है। जैसा कि हमने बैठक में कहा कि सत्ता पक्ष के लिए अपना चेहरा दिखाने के लिए कोई जगह नहीं बची है। लोग चिल्ला रहे हैं कि विश्वगुरु हिमालय के लिए रवाना हो गए हैं। चेहरे के कालेपन से यह पहचानना मुश्किल हो गया है कि कौन नेता है और कार्यकर्ता कौन है। भक्तों की उंगलियां, जो आमतौर पर टूट जाती हैं, बम में रसायन से ढकी होती हैं। भाजपा ने बम पर निशाना साधने के लिए तत्काल एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया लेकिन जहरीले धुएं के कारण कोई बोल नहीं पा रहा था इसलिए इसे रद्द करना पड़ा। हर जगह के रिटर्निंग ऑफिसर भाग गए हैं। चुनाव आयोग के तीनों कमिश्नरों ने इस्तीफा दे दिया है और राहुलजी से माफी मांगने जा रहे हैं। विभिन्न चैनलों के भक्त एंकर भाग गए हैं और प्रगतिशीलों ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया है। वोट चोरी का बम पूरी दुनिया में शुरू हो गया है और कई देशों में विपक्ष ने राहुलजी से संपर्क करना शुरू कर दिया है। ट्रम्प ने लोकतंत्र को बचाने के लिए राहुल को फोन किया और बधाई दी।
दोपहर में क्या हुआ, यह कहते हुए कि यह सपना सच होने का समय है, वह बॉक्स के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए निकल गया। भारी भीड़ में इसे पूरा करने के बाद, हर कोई राहुलजी की प्रस्तुति से प्रभावित लग रहा था। जब वह घर लौटा, तो वह टीवी के सामने बैठ गया। लेकिन कहीं कोई खबर नहीं थी। यह एक पल के लिए कुछ पोर्टलों पर देखा गया था। कोई धुआं या कुछ भी नहीं था। भाजपा खेमे में चुप्पी थी। उन्होंने अपनी पीठ पर हाथ रखा और कहा, ‘चलो बेटा, बम फोड़ना तुम्हारा काम नहीं है, इससे पार्टी का केवल संगठन मजबूत होता है!’
रही सही कसर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं सांसद रविशंकर प्रसाद ने पूरी कर दी । उन्होंने राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम वाले बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनका एटम बम फुस्स हो गया। उन्होंने बिहार में एसआइआर पर विपक्ष के हंगामे को बूथ कैप्चरिंग की चाहत बताया। प्रसाद ने राहुल गांधी पर गैर-जिम्मेदार होने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष 2024 में संविधान बदलने का डर दिखाकर हारा। उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक की मतदाता सूची पर सवाल उठाने वाले राहुल का ”एटम बम” फुस्स हो गया है। दुनिया में आज तक तो कोई हाइड्रोजन बम फूटा नहीं, लेकिन नेता विपक्ष इसे फोड़ने की बात कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि राहुल संसद के अंदर बोलें या बाहर, उनकी बात को समझने के लिए कई प्रकार के एंटीना खोलने पड़ते हैं। बिहार में चल रहे एसआइआर पर जो घमासान छिड़ा है, उसके पीछे विपक्ष की बूथ कैप्चरिंग और घुसपैठियों की चाहत है।
राहुल के पटना में दिए गए वक्तव्य पर रविशंकर ने तंज किया- राहुल गांधी को क्या हो गया है? अपने आप को इतना हल्का क्यों बना रहे हैं? लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के गरिमायमी पद पर बैठे हैं। उस पद पर क्षमता से आए हैं या परिवार के कारण, यह देश जानता है, लेकिन कुर्सी पर बैठने के बाद तो आचरण कुछ मर्यादित होना चाहिए। यह देश को समझना चाहिए कि राहुल गांधी गैर-जिम्मेदार हैं।
भाजपा सांसद ने कहा, एक बार उन्होंने (राहुल गांधी) कहा था कि 5-6 साल में व्यक्ति युवा हो जाता है। दूसरी बात उन्होंने कही, तपस्या करने से गर्मी होती है। इसलिए एटम बम और हाइड्रोजन बम का चुनाव से क्या संबंध है, इसके लिए मुझे जानकारी प्राप्त करनी पड़ेगी। राहुल गांधी जी…. इतना अपने आप को हल्का क्यों बना रहे हैं, आप विपक्ष के नेता के पद पर हैं, इसकी गरिमा होती है।
रविशंकर ने आगे सवाल किया कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर कई सवाल उठाए हैं, लेकिन हलफनामे के मुद्दे पर वह चुप क्यों हैं? मैं तीन सवाल उठाना चाहता हूं जिनका जवाब राहुल गांधी को देना चाहिए। 1.21 लाख लोग मर चुके हैं। क्या उन्हें अब भी मतदाता सूची में रहना चाहिए? 2.35 लाख लोग अब अपने पंजीकृत पते पर नहीं रहते। क्या उनके नाम बने रहना चाहिए? 3.7 लाख नाम दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में हैं। क्या उन्हें दो बार मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए? चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आपत्तियां हलफनामों के माध्यम से दर्ज की जानी चाहिए। राहुल गांधी इससे क्यों भाग रहे हैं? क्योंकि उन्हें पता है कि हलफनामे में झूठ बोलने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।