
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र का विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने एक महत्वपूर्ण बिल पास कराया है। यह बिल
“राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक 2025”है। इस विधेयक का उद्देश्य कोचिंग संस्थानों में हो रहे मनमानी संचालन, छात्रों पर बढ़ते दबाव और आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर नियंत्रण में लाना है।अब राजस्थान में कोई भी कोचिंग सेन्टर जहां 100 या उससे अधिक छात्र पढ़ते हों बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित नहीं हो सकेगा। कोचिंग के लिए एक रेगुलेटरी भी बनाई जाएगी।
राजस्थान में शिक्षा का हब माने जाने वाली शिक्षा नगरी कोटा जैसे शहरों में बढ़ती आत्महत्याओं और छात्रों पर मानसिक दबाव को कम करना है ।यह विधेयक खासतौर पर कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं जैसी गंभीर सामाजिक समस्या को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर इसे सही ढंग से लागू किया गया तो यह छात्रों को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा और राजस्थान पूरे देश के लिए एक मॉडल राज्य बन सकता है।यह विधेयक छात्रों की आत्महत्याओं की रोकथाम में बहुत मददगार होगा।छात्रों को मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और सहयोग मिलेगा।प्रतिस्पर्धात्मक दबाव और भय का माहौल कम होगा।अभिभावकों और छात्रों को भ्रमित करने वाले विज्ञापनों और झूठे दावों पर रोक लगेगी।
आर्थिक दबाव कम होगा क्योंकि फीस वापसी और किस्तों की सुविधा मिलेगी।हॉस्टल और कोचिंग दोनों जगह सुरक्षा और सहायक माहौल उपलब्ध होगा।
राजस्थान की भजन लाल सरकार के उप मुख्यमंत्री डॉ.प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि इस विधेयक में कोचिंग सेन्टर की फीस शास्ति की राशि को कम किया गया है. जिससे कोचिंग संस्थान भय से नहीं बल्कि जवाबदेही के साथ काम करे। डॉ.प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि कोचिंग सेंटरों के जरिए लाखों बच्चे अपने सपनों को साकार कर रहे हैं. राजस्थान में कोटा आज बच्चों के सपनों का सबसे बड़ा केंद्र है. यहां लाखों छात्र कोचिंग के लिए आते हैं. वे साथ किताबें नहीं बल्कि उम्मीद और आकांक्षाओं को साथ लाते हैं। कोटा कोचिंग सेंटरों ने राज्य की अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान दिया है. इस चमक दमक के पीछे एक अंधेरा सच भी है. जो चिन्ता का विषय है। पिछले चार वर्षों में राज्य में 88 बच्चों ने आत्म हत्याएं की है। डॉ बैरवा ने बताया कि ये बिल कोचिंग सेंटरों के खिलाफ नहीं है लेकिन जब शिक्षा लाभ कमाने का साधन बन जाती है तब सरकार को दखल करना होता है। भारत ही नहीं अन्य देशों में भी ऐसे कदम उठाए गए हैं। चाहे दक्षिण कोरिया हो या चीन आदि में लेकिन राजस्थान सरकार का यह विधेयक काफी संतुलित है। हम ना तो कोचिंग सेंटर्स को समाप्त करना चाहते हैं और ना ही बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना चाहते है। यह विधेयक कौशल विकास की दिशा में भी एक अहम बिल है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार का मानना है कि शिक्षा तनाव मुक्त और गुणवत्ता पूर्ण होनी चाहिए।
राजस्थान विधानसभा में पारित हुए “राजस्थान कोचिंग सेंटर (नियंत्रण और विनियमन) विधेयक, 2025” इस बिल के मुख्य प्रावधानो में अनिवार्य पंजीकरण के अलावा फीस वसूली पर नियंत्रण और रिफंड की सुविधा तथा कोचिंग संस्थानों को एकमुश्त (लम्प-सम) फीस वसूलने की अनुमति नहीं होगी। यदि कोई छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ता है, तो उसे ट्यूशन और हॉस्टल फीस लौटानी होगी।नियम का उल्लंघन करने पर कोचिंग सेन्टर के विरुद्ध जुर्माना और सख्त कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। पहली बार ₹50,000 का जुर्माना लगेगा। दूसरी बार ₹2 लाख का जुर्माना होगा तथा लगातार उल्लंघन पर: ₹5 लाख तक जुर्माना भुगतना पड़ेगा । साथ ही कोचिंग सेन्टर का पंजीकरण रद्द और संपत्ति भी ज़ब्त की जा सकती है। समय-समय पर नियमों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक राज्य-स्तरीय कोचिंग सेंटर प्राधिकरण और जिला-स्तरीय समिति (जिसके अध्यक्ष कलेक्टर होंगे) का गठन होगा। इनके पास सिविल कोर्ट जैसी शक्तियाँ होंगी। हर जिले में 24-घंटे काम करने वाला कॉल सेंटर, एवं शिकायत वेब पोर्टल और हेल्पलाइन शुरू की जाएँगी ताकि छात्र और अभिभावक अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन के लिए कोचिंग सेंटर्स में नियमित तनाव प्रबंधन सत्र आयोजित करना अनिवार्य होगा, ताकि छात्रों का मानसिक दबाव कम किया जा सके। उम्मीद है यह विधेयक राजस्थान में कोचिंग संस्थानों में कोचिंग सेंटर्स के सही तरीके से संचालन, छात्रों पर बढ़ते दबाव और आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर नियंत्रण लाने में सफल होगा।
चंबल नदी के किनारे बसे कोटा शहर को आज पूरे भारत में “शिक्षा नगरी” के रूप में जाना जाता है। इसका कारण यहाँ का कोचिंग उद्योग है, जिसने लाखों छात्रों को मेडिकल, इंजीनियरिंग, संघ लोक सेवा आयोग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया है। कोटा के शिक्षा नगरी बनने की यात्रा बहुत रोचक है।कोटा मूलतः एक औद्योगिक शहर था। 1980 और 1990 के दशक में जब देश में मेडिकल और इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी का चलन बढ़ा, तो यहाँ के कुछ शिक्षकों ने छोटे-छोटे कोचिंग संस्थान शुरू किए। धीरे-धीरे ये संस्थान बड़े आकार में विकसित हुए और आज कोटा दुनिया का सबसे बड़ा कोचिंग हब माना जाता है।इसे हम शिक्षा का महाकुंभ भी खेल सकते है।यहां हर साल लगभग 2.5 से 3 लाख छात्र कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आते हैं।यहाँ आईआईटी-जी, नीट जैसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सैकड़ों कोचिंग सेंटर मौजूद हैं।
शहर में “एकेडमिक इकोसिस्टम” विकसित हो चुका है, जहाँ छात्रावास, पीजी, लाइब्रेरी, किताबों की दुकानें और स्टडी कैफे तक विशेष रूप से विद्यार्थियों की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। यह शहर रजत7 के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी योगदान दे रहा है।
कोटा का कोचिंग उद्योग आज हजारों करोड़ रुपये का कारोबार है।लाखों लोग (शिक्षक, हॉस्टल मालिक, पुस्तक विक्रेता, भोजनालय, परिवहन सेवाएँ) इस उद्योग से सीधे-परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। राजस्थान की अर्थव्यवस्था और पहचान को वैश्विक स्तर पर कोटा ने नई ऊँचाई दी है।कोटा में शिक्षा केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक संस्कृति बन चुकी है। हर सड़क पर छात्र, हर मोहल्ले में हॉस्टल और हर घर में शिक्षा से जुड़ा वातावरण देखने को मिलता है। यही कारण है कि इसे आज लोग “शिक्षा नगरी” कहकर पुकारते हैं।लेकिन इस शिक्षा नगरी की चुनौतियाँ भी कम नहीं है। मानसिक दबाव में छात्रों की आत्महत्याएँ ने इस शहर की शोहरत को धक्का पहुंचाया है।विद्यार्थियों पर प्रतिस्पर्धा का भारी दबाव रहता है।वाणिज्यीकरण शिक्षा सेवा की बजाय व्यवसाय के रूप में कोचिंग का विस्तार।अधिकतर छात्र कम उम्र में ही घर से दूर रहते हैं, परिवार से दूरी के कारण उन्हें भावनात्मक सहारा नहीं मिल पाता। अनियमित दिनचर्या, खानपान और तनाव के कारण शारीरिक व मानसिक तथा स्वास्थ्य की समस्याएँ बढ़ रही हैं।कोटा को शिक्षा नगरी कहना केवल एक उपाधि नहीं है, बल्कि यह शहर उन लाखों सपनों का प्रतीक है जिन्हें विद्यार्थी यहाँ लेकर आते हैं। यहाँ की गलियों में मेहनत की आहट सुनाई देती है, हॉस्टलों में आशा की किरण जलती है और कक्षाओं में भविष्य गढ़ा जाता है।
हालाँकि चुनौतियाँ हैं, परंतु सही दिशा में उठाए गए कदम कोटा को न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया की सबसे आदर्श शिक्षा नगरी बना सकते हैं।
राजस्थान की भजन लाल सरकार द्वारा हाल ही में पारित राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण और विनियमन विधेयक 2025 इन चुनौतियों से निपटने के लिए आशा की किरण है।कोचिंग संस्थानों को काउंसलिंग, मानसिक स्वास्थ्य सहयोग, फीस पारदर्शिता और हॉस्टल सुरक्षा जैसे मानकों का पालन करना होगा। यदि यह विधेयक सही ढंग से लागू हुआ तो कोटा की छवि केवल “प्रतिस्पर्धा का शहर” नहीं, बल्कि “समग्र शिक्षा नगरी” के रूप में स्थापित होगी।