
प्रमोद शर्मा
नई दिल्ली : राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश ने आईआईटी पटना में दो नए केंद्रों का उद्घाटन किया, जिनमें से एक भूकंप इंजीनियरिंग अनुसंधान से संबंधित और दूसरा लुप्तप्राय भाषाओं के संरक्षण पर केंद्रित है। ये परियोजनाएं 2014-2020 के बीच राज्य सभा सदस्य के अपने पहले कार्यकाल के दौरान श्री हरिवंश के सांसद निधि (MPLADS) के तहत की गई थीं। अपने दो कार्यकाल में श्री हरिवंश ने पाँच रिसर्च एंड ट्रेनिंग केंद्रों के लिए अपनी सांसद निधि उपलब्ध कराई है। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में नदी अनुसंधान केंद्र विकसित किया गया है। इसके अतिरिक्त, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, पटना और मगध विश्वविद्यालय, बोधगया में बिजनेस इन्क्यूबेशन और एआई के विकास पर अनुसंधान केंद्र विकसित करने के लिए धनराशि स्वीकृत की गई है । बिहार के विकास के लिए यह एक अनूठा प्रयास है और इन परियोजनाओं से पूर्वी राज्यों के साथ-साथ पूरे भारत को भी लाभ होगा।
भूकंप इंजीनियरिंग अनुसंधान केंद्र (CEER) न केवल बिहार बल्कि देश के बाकी हिस्सों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में काम करेगा । बिहार के मुख्य हिस्से भूकंप संभावित क्षेत्रों यानी सिस्मिक जोन IV और V के अंतर्गत आते हैं। अनुसंधान में भवन प्रणालियों का परीक्षण, भूकंप-प्रतिरोधी प्रथाओं में प्रशिक्षण, वास्तुकारों और बिल्डरों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना, स्थानीय निकायों को प्रशिक्षण, और आपदा राहत के लिए प्रशिक्षण शामिल होगा। यह प्रयोगशाला क्षेत्र में निर्माण के मानक में सुधार और इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों को विकसित करने में योगदान देगी।
उद्घाटन किया गया दूसरा संस्थान, लुप्तप्राय भाषा अध्ययन केंद्र (CELS) है । यह केंद्र भारतीय भाषाओं, लोक भाषाओं, आदिवासी भाषाओं, लुप्तप्राय बोलियों आदि के संरक्षण और संवर्धन पर ध्यान केंद्रित करेगा। भाषाओं पर अनुसंधान के महत्व पर जोर देते हुए, उप सभापति ने युवल नोआ हरारी की पुस्तक ‘Sapiens’ को याद किया जो सबसे मजबूत प्रजाति न होने के बावजूद मानवता के विकास में भाषाओं की भूमिका का वर्णन करती है।
परियोजनाओं का उद्घाटन करते समय अपने संबोधन में, उपसभापति ने कहा कि ज्ञान समाज को बदलने का सबसे शक्तिशाली उपकरण है। ये दो केंद्र संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान के मानक को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भूमिका को भी उजागर किया, जिन्होंने बिहार की विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है और बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को बहाल करने में व्यापक काम किया है।
एमपीलैड योजना केंद्र सरकार द्वारा पूर्णतः वित्त पोषित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इस योजना के तहत, संसद सदस्य विकासात्मक प्रकृति के कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं । दोनों परियोजनाएं संयुक्त रूप से 17 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुईं।
इन दो परियोजनाओं के अलावे, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय में नदी अनुसंधान केंद्र के विकास के लिए भी सांसद निधि से दिया है । इसे नदी विशेषज्ञों के इनपुट के साथ विकसित किया गया था । श्री हरिवंश ने बताया कि बिहार नदियों का प्रदेश है जहाँ कोशी जैसे भयावह नदी है जो हर साल इन कोशी प्रभावीथ क्षेत्रों को भारी नुक़सान का सामना करना पड़ता है। इस शोध संस्थान से ऐसे विषयों पर अधिक शोध कर हल निकाला जा सकता है।
2020 में राज्य सभा के लिए फिर से चुने जाने पर, उप सभापति ने चाणक्य प्रबंधन संस्थान, पटना और बोधगया के मगध विश्वविद्यालय के लिए MPLAD योजना के तहत फंड आवंटित करके शिक्षा के प्रचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जारी रखी। चाणक्य प्रबंधन संस्थान में एक व्यापार इनक्यूबेशन और इनोवेशन फाउंडेशन, सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी स्थापित की जाएगी। मगध विश्वविद्यालय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। यह केंद्र एआई के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचार की बढ़ती मांग को पूरा करने की उम्मीद है।