संजय सक्सेना
अयोध्या : 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात 26 जनवरी से प्रभु श्री रामलला का मंदिर विधिवत आमजन के लिए खुल जायेगा.इसका जश्न पूरे देश में मनाया जायेगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 26 जनवरी,गणतंत्र दिवस से पूरे भारत को अयोध्या आकर रामलला के दर्शन का आमंत्रण दिया है।मौका ऐतिहासिक है तो तैयारियां भी बढ़-चढ़कर की जारी रही है. पूरे देश में उत्सव का माहौल रहेगा.राम भक्तों को आमंत्रित करने के लिए पांच लाख गांवों में घर-घर हल्दी व घी लगा अक्षत भेजे जाने की तैयारी है। इसके साथ एक निवेदन पत्रक ( आमंत्रण पत्र) भी रामभक्तों को भेजा जाएगा। यह पत्र देश के सभी प्रमुख भाषाओं में छापा जाएगा, पत्र का संदेश रामभक्त आसानी से समझ सकें। इस पत्र के जरिये रामभक्तों से प्राण प्रतिष्ठा के दिन अपने-अपने क्षेत्रों में आनंदोत्सव व दीपोत्सव मनाने की अपील की जाएगी।
यह जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने देते हुए बताया कि एक जनवरी से मकर संक्रांति तक देश के पांच लाख गांवों में घर-घर, अक्षत-हल्दी भेजी जाएगी। विश्व हिंदू परिषद ने संगठन की द़ृष्टि से देश को 45 प्रांतों में बांट रखा है। हर राज्य में दो से तीन इकाइयां हैं। उत्तर प्रदेश में छह इकाइयां हैं। पांच नवंबर को सभी 45 प्रांतों के दो-दो कार्यकर्ताओं को अयोध्या बुलाया गया है। 150 से 200 कार्यकर्ता अयोध्या पहुंच रहे हैं।
इन कार्यकर्ताओं को पूजित अक्षत की थैली दी जाएगी। थैली में पांच किलो अक्षत होगा। कार्यकर्ता पूजित हल्दी-अक्षत को अपने केंद्र ले जाएंगे। वहां अपने प्रांत के किसी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे फिर सभी जिलों को भेजेंगे। जिला के कार्यकर्ता गांवों की सूची बनाएंगे। फिर गांवों में भी अक्षत-हल्दी का पूजन होगा। यह काम सभी 45 प्रांतों में दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
चंपत राय ने बताया कि इस पत्र के जरिये अपील की जाएगी कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन अपने निकटतम मंदिर में आनंदोत्सव मनाएं। मंदिर की साज-सज्जा कर भजन, पूजन, कीर्तन व महाआरती का आयोजन कर प्रसाद वितरण करें। मंदिरों में लाइव प्रसारण की व्यवस्था हो ताकि अयोध्या में होने वाले प्राणप्रतिष्ठा समारोह से पूरा देश जुड़ सकें। प्रयास है कि देश के पांच लाख मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दिन आनंदोत्सव का आयोजन हो। सभी से शाम को घरों में दीप जलाने का भी आह्वान किया जाएगा। अपील की जाएगी कि सभी आयोजन मंदिर केंद्रित हों, सड़क, चौराहों पर व्यवधान पैदा करने का हेतु कतई नहीं होना चाहिए. कुल मिलाकर रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा और उनके दर्शन का उत्सव ऐसा होगा कि हर तरफ रामराज्य साकार होता नजर आयेगा.