तीर्थ, तप और त्याग की मिसाल बनी ‘रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा

'Ram Rath Shravan Ayodhya Yatra' became an example of pilgrimage, penance and sacrifice

रविवार दिल्ली नेटवर्क

लखनऊ : भारतीय संस्कृति के संरक्षण, आस्था के सम्मान और वृद्धजनों की सेवा को अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी मानने वाले सरोजनीनगर के लोकप्रिय विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की आत्मीय पहल ‘रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा’ निरंतर जनसेवा और संस्कार के नए प्रतिमान स्थापित कर रही है। शनिवार को इसकी 41वीं निःशुल्क बस सेवा ग्राम अंदपुर देव से अयोध्या के लिए रवाना हुई, जिसके माध्यम से श्रद्धालुओं को रामलला के दिव्य दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

यह यात्रा मात्र एक तीर्थ नहीं, बल्कि संस्कार और सेवा का यज्ञ है, जिसे डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने संकल्प से संभव बनाया है। बुजुर्गों को धार्मिक स्थलों के दर्शन कराने हेतु निःशुल्क तीर्थ यात्रा योजना के अंतर्गत अब तक हजारों वरिष्ठ नागरिकों, माताओं और बहनों को अयोध्या धाम लाया ले जाया जा चुका है।

41वीं यात्रा के शुभारंभ पर विधायक की टीम के सदस्यों ने श्रद्धालुओं को विधिपूर्वक पटका पहनाकर स्वागत किया। हनुमान चालीसा के पाठ और भजन-कीर्तन के बीच जब रामरथ ने अंदपुर देव से अयोध्या की ओर प्रस्थान किया, तब श्रद्धा का भाव पूरे वातावरण में व्याप्त हो गया। यात्रा के दौरान सेवा में तैनात वालंटियर्स ने हर वृद्धजन की व्यक्तिगत ज़रूरतों का पूरा ध्यान रखा, चाहे वह भोजन की व्यवस्था हो या स्वास्थ्य की देखभाल।

अयोध्या पहुंचकर श्रद्धालुओं ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, हनुमान गढ़ी, सरयू तट सहित अनेक धार्मिक स्थलों के दर्शन किए। मंदिर तक पहुंचने के लिए बैटरी रिक्शा की विशेष व्यवस्था की गई, जिससे बुजुर्गों को कोई कष्ट न हो। वापसी में श्रीमद्भगवद्गीता की प्रति देकर इस यात्रा को एक आध्यात्मिक पूर्णता प्रदान की गई।

भावुक श्रद्धालुओं ने इस पुनीत अवसर को जीवन का अविस्मरणीय क्षण बताते हुए डॉ. राजेश्वर सिंह के प्रति कृतज्ञता प्रकट की। उन्होंने कहा कि उनके लिए यह यात्रा एक सपने के सच होने जैसा था, एक ऐसा अनुभव जो शायद उनके जीवन में पहली बार मिला।

इस विषय में डॉ. राजेश्वर सिंह का मानना है कि “वृद्धजनों की सेवा करना हमारे संस्कारों की आत्मा है। उनकी तीर्थयात्रा के सपनों को साकार करना मेरा सौभाग्य है। उनका आशीर्वाद ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है।