रामराज्य कपोल कल्पना नहीं, आदर्श शासन प्रणाली

Ramrajya is not a figment of imagination, it is an ideal system of governance

नरेंद्र तिवारी

रामराज्य का विचार कोरी कल्पना नहीं जमीनी हकीकत है, इसे कार्य रूप में परिणीति किया जा सकता है। इस विचार को व्यवहारिक रूप से स्थापित किया जा सकता है। रामराज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था है। जिसका लक्ष्य आदर्श राष्ट्र राज्य का निर्माण करना है। एक आदर्श राज्य जिसमें चारो और खुशहाली का माहौल हो, जनता का अपने राज्य और शासक के प्रति गहरी आस्था और विश्वास हो। राम राज्य शासन व्यवस्था के कुछ आवश्यक तत्व भी है जिसमे न्याय, निष्पक्षता, अहिंसा, सामुदायिक सदभावना, धर्मशील कर्तव्य परायण राजा, चरित्रवान जनता शामिल है। ज़ब जनता सुखी होंगी, राजा से लेकर रंक तक अपनी कर्तव्य पालना ईमानदारी से करेंगे। इस राज्य में चरित्रवान शासक और सद चरित्र नागरिकों का होना आवश्यक है। रामराज्य अपराध मुक्त समाज की स्थापना पर बल देता है। यह भारत में ही नहीं अपितु विश्व में किसी भी राष्ट्र में संभव है। भारत में यह अयोध्या के राजा श्री राम के कालखंड में किये शासन की अवधारणा से जुड़ा है। श्री राम त्रेता युग के अंत में अयोध्या के राजा थै। उन्हें सूर्यवंशी क्षत्रिय माना जाता है। रामायण के काल को त्रेता युग का ही समय बताया जाता है। अयोध्या प्राचीन कोसल साम्राज्य की राजधानी थी, और श्रीराम इस साम्राज्य के राजा थै।

रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास रामराज्य का वर्णन करते हुए लिखते है-
“दैहिक दैविक भौतिक तापा।
रामराज नहिं काहुहि ब्यापा।।
सबु नर करहि परस्पर प्रीती
चलहीं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।

इस चौपाई के अनुसार रामराज्य में किसी को शारारिक, प्राकृतिक या सांसारिक पीड़ा नहीं थी, सभी मनुष्य परस्पर प्रेम करते थै, और अपने-अपने धर्म व शास्त्रों के बताए मार्ग पर चलते थै। यह चौपाई रामराज्य के दौरान आदर्श समाज की सामाजिक स्थिति का वर्णन करती है, जहाँ सभी लोग सुखपूर्वक, शांतिपूर्वक धर्मनिष्ठ जीवन व्यतीत करते थै।

अब जबकि हम वर्ष 2025 का सांस्कृतिक पर्व दशहरा मनाने जा रहे है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय, अन्याय पर न्याय की जीत के रूप शताब्दीयों से बनाते आ रहे है। इस दिन राक्षक राज रावण का मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम ने वध किया था। यह पर्व भारत की आत्मा में निवासरत भगवान श्रीराम के वनवासी जीवन के दौरान घटित संस्मरण की याद दिलाता है। श्री राम को याद करने पर रामराज्य के सिद्धांतो पर भी अमल किया जाना चाहिए। दुनियाँ के देशो में ज़ब शासको के प्रति विद्रोह की सनक सवार है, तब रामराज्य की अवधारणा पर न सिर्फ विचार किया जाना चाहिए साथ ही इस शासन प्रणाली की विशेषताओं को अपनाने के प्रयास भी करना चाहिए।

वाल्मीकि रामायण में रामराज्य का उल्लेख एक आदर्श राज्य या साम्राज्य के संदर्भ में है। जिसकी विशेषताओं में उत्तम शासन, न्याय, समृद्धि, और नैतिक धार्मिकता है। राम के वनवास से लौटने के बाद उनके शासन में देखा गया। इसे आदर्श समाज के रूप में माना गया जहाँ धर्म का महत्व और जन कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। रामराज्य धर्म आधारित शासन प्रणाली जिसमे सभी कार्य नैतिक दृष्टि से किये जाने पर बल दिया जाता है, रामराज्य का प्राथमिक लक्ष्य नागरिक समाज का कल्याण था, राज्य के सभी नागरिकों को भोजन, आश्रय और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं का प्रमुखता से ख्याल रखा जाता था। रामराज्य आंतरिक कलह और बाहरी खतरों से मुक्त था। राज्य पूर्णरूप से सुरक्षित और प्रजा निर्भय होकर रहती है। राज्य की कार्यप्रणाली में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता थी। सार्वजनिक एवं व्यक्तिगत व्यवहार में सत्य निष्ठा और ईमानदारी को महत्व दिया जाता था। नागरिको के मध्य सामाजिक सदभाव व्याप्त था। राज्य द्वारा जातिगत या आर्थिक आधार पार किसी नागरिक से भेदभाव नहीं किया जाता था। न्याय की पहुंच रामराज्य में प्रत्येक नागरिक तक थी न्याय सुलभ निष्पक्ष और समान होता था।

आधुनिक शासन प्रणालियों में लोकतंत्र सबसे सफल और अपनाई जाने वाली प्रणाली है। दुनियाँ के देशों ने प्रजातंत्र को शासन प्रणाली के रूप में अपनाया है। लोकतंत्र में समानता,न्याय,निष्पक्षता,स्वतंत्रता आदि ऐसे तत्व है जो इसे दुनियाँ की प्रचलित शासन प्रणाली बनाते है। इसके बावजूद भी दुनियाँ में वर्तमान दौर में जनता और शासको के मध्य खींचतान देखी जा रही है। जिसका मूल कारण प्रजातंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का जन अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य नहीं करना, लोकतंत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं स्वतंत्रता, समानता एवं न्याय की अनदेखी करना है। रामराज्य में राजा और जनता में धर्म और नैतिकता पर बल दिया गया है, अतएव राजा भी धार्मिक दायित्व एवं नैतिकता के मार्ग पर चल कर अपने शासकीय और राजकीय दायित्वों का निर्वहन करता था।

भारत भूमि पर शताब्दीयों बाद भी राजनीति में रामराज्य का महत्व बना होना इस शासन प्रणाली की महत्ता को दर्शाता है।
भारतीय दर्शन में भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम की संज्ञा दी गयी है, उनके शासन को रामराज्य कहकर सम्बोधित किया जाता है उनके शासन में जीवन मूल्यों को प्रमुखता दी जाती थी। व्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता था, न्याय की पहुंच आम नागरिक तक थी। समाज में खुशहाली का वातावरण था। रामराज्य एक आदर्श शासन प्रणाली थी। जो बरसों से दुनियाँ का मार्गदर्शन कर रही है। भारत में रामराज्य की स्थापना को लेकर राजनैतिक दलों द्वारा समय-समय पर बाते तो बहुत की जाती रही है। किंतु रामराज्य की आदर्श शासन व्यवस्था लागू करने के लिए जिस धर्म आधारित नैतिकता की आवश्यकता शासकों और नागरिकों में होना चाहिए, वह दिखाई नहीं दे रही है। रामराज्य एक आर्दश शासन प्रणाली है, जिसका मुख्य लक्ष्य राष्ट्र कल्याण है। एक आदर्श समाज की स्थापना ही रामराज्य का प्रमुख उद्देश्य है।