सुनील कुमार महला
हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला के दौरान मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई। वहीं, इस दर्दनाक हादसे में 90 लोग घायल हो गए। दरअसल,संगम तट से पहले बने द्वार के पास रात करीब 1 बजे भगदड़ की स्थिति बनी। वास्तव में, कई श्रद्धालुओं की मौत और घायल होने से यकायक मेला स्थल पर अफरातफरी मच गई। हालांकि,पुलिस, प्रशासन, आपदा प्रबंधन की टीम ने तत्परता दिखाते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया और स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है, लेकिन जो हुआ है वह बहुत ही दुखद है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में 28 अक्टूबर को दक्षिण कोरिया के सियोल के इटावन में हैलोवीन कार्यक्रम के दौरान 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 2 अक्टूबर को इंडोनेशिया के मलंग में एक फुटबॉल मैच के बाद 130 से अधिक लोगों की मौत का कारण बनी भगदड़ से पता चलता है कि भगदड़ कितनी खतरनाक होती है। वास्तव में किसी भगदड़ में मौत का सबसे आम कारण कंप्रेसिव एस्फिक्सिया को माना जाता है, जो एक खतरनाक स्थिति है, यह तब होती है जब शरीर पर बाहरी दबाव के कारण सांस लेना बंद हो जाता है। पाठकों को जानकारी के लिए बताता चलूं कि महाकुंभ में स्नान के लिए 45 घाट बनाए गए हैं, लेकिन लोग मुख्य संगम पर ही स्नान करने की जिद करने लगे, जिससे भीड़ एक दूसरे को धक्का देते हुए आगे बढ़ने लगी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगे हुए बैरिकेटिंग टूटने लगे। बताया जा रहा है कुछ महिलाओं का दम घुटने लगा और वह नीचे गिरने लगी, जिससे भगदड़ और बढ़ गई और चीख पुकार मचने लगी। घटनास्थल का वह मंजर बड़ा ही भयावह था। वास्तव में,भगदड़ भीड़ प्रबंधन की असफलता या अभाव की स्थिति में पैदा हुई मानव निर्मित आपदा है। अक्सर भगदड़ किसी अफवाह के कारण पैदा होती है और भगदड़ में लोग दिशाहीन होकर इधर-उधर भागने लगते हैं, जिसके परिणामस्वरूप दम घुटने व कुचलने से चोटिल होने एवं मृत्यु की घटनाएँ होती हैं। अक्सर भगदड़ मचने के पीछे जो कारण निहित होते हैं उनमें क्रमशः मनोरंजन कार्यक्रम,एस्केलेटर और मूविंग वॉकवे, खाद्य वितरण, जुलूस, प्राकृतिक आपदाएँ, धार्मिक आयोजन, धार्मिक/अन्य आयोजनों के दौरान आग लगने की घटनाएँ, दंगे, खेल आयोजन, मौसम संबंधी घटनाएँ आदि शामिल होते हैं। बैरिकेड्स, अवरोध, अस्थायी पुल, अस्थायी संरचनाएँ और पुल की रेलिंग का गिरना, दुर्गम क्षेत्र (पहाड़ियों की चोटी पर स्थित धार्मिक स्थल जहाँ पहुँचना मुश्किल है), फिसलन युक्त या कीचड़ युक्त मार्ग, संकरी गलियाँ एवं संकरी सीढ़ियाँ, खराब सुरक्षा रेलिंग, कम रोशनी वाली सीढ़ियाँ, बिना खिड़की वाली संरचना, संकीर्ण एवं बहुत कम प्रवेश या निकास स्थान, आपातकालीन निकास का अभाव भी बहुत बार भगदड़ के कारण बन सकते हैं। अप्रभावी भीड़ प्रबंधन तो भगदड़ मचने का कारण है ही। बहुत बार यह देखा जाता है कि किसी एक प्रमुख निकास मार्ग पर ही लोगों की निर्भरता होती है ,जो भगदड़ का कारण बन जाती है। आज अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि किसी कार्यक्रम विशेष के लिए क्षमता से अधिक लोगों को अनुमति दे दी जाती है। बहुत से स्थानों पर उचित सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का भी अभाव होता है, जिससे सूचना देने में दिक्कत आती है। भीड़ अनेक बार गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार अपनाती है और सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन नहीं करती है। आग या बिजली का प्रसार भी अनेक बार भगदड़ मचने का कारण बन सकता है। इसलिए सुरक्षा और निगरानी के उपाय पुख्ता होने चाहिए। सुरक्षाकर्मियों की नियुक्ति से पूर्व रिहर्सल प्रैक्टिस भी की जानी चाहिए ताकि भगदड़ आदि के समय सुरक्षा उपायों को तुरंत किया जा सके। सीसीटीवी, आधुनिक तकनीक को भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है।पुलिस प्रशासन, अग्निशमन सेवा, चिकित्सा सेवा एजेंसियों और आयोजक प्रबंधन के बीच समन्वय होना भी बहुत ही जरूरी और आवश्यक है। संचार व्यवस्थाएं भी अच्छी और सुदृढ़ होनी चाहिए। भगदड़ से बचने के लिए भगदड़ वाले स्थानों पर आगमन एवं निकास की समुचित व्यवस्था (पुरूष एवं महिलाओं के लिए अलग-अलग) यथा बैरिकेडिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।चिकित्सा दल एवं एम्बुलेंस की पर्याप्त व्यवस्था, बिजली के तारों एवं उपकरणों में सुरक्षा के पूर्ण उपायों की व्यवस्था, पार्किंग की समुचित एवं सुचारू व्यवस्था, नियंत्रण कक्ष, पर्याप्त रौशनी,वाॅच टावर की व्यवस्था होनी चाहिए। इतना ही नहीं उपहार, भोजन, प्रसाद, कबंल आदि मुफत वितरण के दौरान भगदड़ रोकने की व्यवस्था की जाए एवं अधिक भीड़ होने पर सामग्री के विवरण पर प्रतिबंध लगाने हेतु आयोजकों केा पर्याप्त निर्देश दिए जाने चाहिए। किसी भी स्थान पर अनावश्यक रूप से एक स्थान पर भीड़ नहीं लगानी चाहिए।छोटे बच्चों, महिलाओं, बीमारों या वृद्वों को मेले में ले जाते समय उनकी जेब में (या गले में लाॅकेट की तरह) घर का पता और फोन नम्बर साथ रखा जाना चाहिए।भगदड़ के समय संयम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए।किसी भी आपात स्थिति में तत्काल नियंत्रण कक्ष में संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।भीड़ वाले स्थान पर किसी भी प्रकार के पटाखे/ज्वलनशील पदार्थ नहीं ले जाना चाहिए तथा ध्रूमपान नहीं करना चाहिए।प्रशासन की ओर से की जाने वाली घोषणाओं को ध्यान से सुनना चाहिए और उसके अनुसार व्यवहार करना चाहिए। यदि भीड़ में फंस जाएं तो किनारा ढूंढना चाहिए और किसी दीवार और पोल के सहारे खड़े हो जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में भीड़ में फंसने का डर कम रहता है। सीने और लंग्स को दबने से बचाना चाहिए। इमरजेंसी नंबर भी हर किसी के पास होने बहुत ही जरूरी हैं। यदि हम इन एहतियाती उपायों को अपनाएं तो भगदड़ से बचा जा सकता है।