रविवार दिल्ली नेटवर्क
माननीय केंद्रीय स्टील मंत्री श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने जेएसपी के अंगुल स्टील कॉम्प्लेक्स में 1.4 एमटीपीए क्षमता का दुनिया का सबसे बड़ा रिबार मिल राष्ट्र को समर्पित किया, जिससे व्यवसाय और स्थायी विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित होंगे। जेएसपी ने भारत में सदैव विश्वस्तरीय मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया है और इसी कड़ी में प्रभावशाली कार्बन कैप्चर यूनिट वाला कोल गैसीफिकेशन आधारित डीआरआई प्लांट, देश का सबसे बड़ा व आधुनिक ब्लास्ट फर्नेस, सिंटर प्लांट, कोक ओवन प्लांट और अब अत्याधुनिक रिबार मिल की स्थापना की गई है।
अंगुल स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता 2030 तक 25 मिलियन टन प्रतिवर्ष करने के संकल्प की सराहना करते हुए माननीय केंद्रीय स्टील मंत्री श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने जिन्दल स्टील एंड पावर और चेयरमैन श्री नवीन जिन्दल का धन्यवाद किया। उन्होंने सीएसआर नीतियों के तहत विशेष रूप से कोविड-19 की दूसरी लहर में देशभर में लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए जेएसपीएल फाउंडेशन को धन्यवाद किया।
जेएसपी के चेयरमैन श्री नवीन जिन्दल ने इस अवसर पर कहा कि 900 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित दुनिया की सबसे आधुनिक और सबसे बड़ी यह रिबार मिल भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और देश के मूलभूत ढांचे के निर्माण के लिए आवश्यक विभिन्न विशिष्टताओं और उच्च गुणवत्ता वाले टीएमटी रीबार का उत्पादन करेगा। इसके अलावा यह मिल रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध करा चुका है, जो भविष्य में भी लाखों अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि जेएसपी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कोल गैसीफिकेशन के सपनों को हकीकत में बदला है और अंगुल में कोल गैस आधारित 2 एमटीपीए का दुनिया का पहला डीआरआई प्लांट सफलतापूर्वक संचालित कर रहा है।
प्रबंध निदेशक श्री वी.आर. शर्मा ने कहा कि जेएसपी दूरगामी सोच वाली कंपनी है, जो कुल स्टील का कम से कम 50 प्रतिशत उत्पादन कोल गैसीफिकेशन के माध्यम से करने की योजना पर काम कर रही है और यही प्रक्रिया स्थायी भविष्य के दृष्टिगत ग्रीन स्टील उत्पादन की कुंजी साबित होगी। चूंकि भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, इसलिए यह रिबार मिल विश्वस्तरीय उत्पादों की बदौलत देश में मजबूत बुनियादी ढांचा निर्माण में मददगार साबित होगा।
टीएमटी रिबार किसी भी रीइन्फोर्स्ड सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) संरचना की रीढ़ की हड्डी है, जो भवनों, स्लैब, बीम एवं स्तंभों को भार सहने के योग्य बनाता है। ग्लोबल कंसल्टेंसी फ्रॉस्ट एंड सुलिवन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में अनुमानित 42 मिलियन टन रिबार की खपत है, जो 2019 में 24 मिलियन टन थी और उसका कारोबार लगभग 1.2 खरब रुपये का था।
जेएसपी का टीएमटी रिबार जिन्दल पैंथर के नाम से जाना जाता है, जो बाजार का एक अग्रणी ब्रांड है। जिन्दल पैंथर ब्रांड HYQST टेक्नोलॉजी (MORGAN, USA) और QST टेक्नोलॉजी (SMS Meer, Germany) के सहयोग से रिबार उत्पादन में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी लीडर है। HYQST तकनीक से फौलादी मजबूती, लचीलापन, घुमावदार और आसानी से वेल्डिंग की क्षमता वाले रिबार्स का उत्पादन किया जाता है जबकि QST तकनीक रिबार मिल को 45 मीटर प्रति सेकंड की गति से उत्पाद तैयार करने में मददगार है। मजबूत और टिकाऊ रिबार्स के लिए रासायनिक संतुलन आवश्यक है। चूंकि जिन्दल पैंथर रिबार्स का निर्माण आधुनिक स्टील उत्पादन एवं परिस्करण प्रक्रिया के माध्यम से होता है इसलिए इसके रिबार्स में न सिर्फ रासायनिक संतुलन होता है बल्कि लौह अयस्क से तैयार जिंदल पैंथर के रिबार्स के इस्तेमाल से कुल स्टील उपयोग लागत में भी 4-5% की बचत होती है। 2013 में लॉन्च किया गया जिन्दल पैंथर टीएमटी ब्रांड, ब्लैक पावरफुल फिलाइन (काले बिल्ले जैसा जानवर) की ताकत और फुर्ती से प्रेरित है।
रिबार मिल की अनूठी विशेषताएं
1. विश्व की सबसे अधिक क्षमता (1.4 एमटीपीए) वाला रिबार मिल
2. दुनिया में सबसे शानदार मिल
3. इस रिबार मिल के उत्पाद मजबूत और हलके होते हैं जिस कारण निर्माण स्थल पर न सिर्फ इनका वजन कम होता है बल्कि इसकी खपत में भी काफी कमी आती है
4. इसका रीहिटिंग फर्नेस सिनगैस और मिक्सड गैस, दोनों से संचालित होता है
5. इस मिल से भारतीय और ब्रिटिश, दोनों ही रिबार का उत्पादन संभव
मुख्य विशेषताएं
1. फर्नेस की क्षमता – 245 टन प्रतिघंटा
2. बिलेट साइज – 165X165
3. बिलेट की लंबाई – 12 मीटर
4. बिलेट का वजन – 2.5 टन
5. उत्पादन गति – अधिकतम 45 मीटर प्रति सेकंड
6. बंडल का वजन – 2.5 से 5 टन तक
7. उत्पाद श्रेणी – 8 से 40 मिलीमीटर तक
विशेष निर्माण विधि के कारण रिबार की क्वालिटी में निखार
1. सामग्री की उच्च उत्पादक क्षमता
2. सामग्री की बेहतर वेल्डिंग संभव
3. ट्रीटमेंट के कारण उच्च लचीलापन आना
4. मजबूत रिबार
जेएसपी सदैव सर्वोच्च टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराता रहा है इसलिए उसका जोर विश्वस्तरीय अर्थव्यवस्था निर्माण पर सदैव रहेगा।