रविवार दिल्ली नेटवर्क
- पाकुड़ उद्यान निदेशालय की पहल से महिलाएं बन रहीं समृद्ध
- स्ट्रॉबेरी और मशरूम की महिलाएं कर रहीं खेती
- ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में हो रहा सुधार
- बाजार में बढ़ रही स्ट्रॉबेरी और मशरूम की मांग
पाकुड़ : सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं बना रहीं हैं। लेकिन महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से सशक्त बनना एक बड़ी चुनौती है। उनमें भी अगर बात ग्रामीण महिलाओं की हो, तो यह और अधिक कठिन हो जाता है। लेकिन पाकुड़ की महिलाएं कृषि कार्य कर खुद को आत्मनिर्भर बना रहीं हैं। (विजुअल) वीओ 01. पाकुड़ की घरेलू महिलाओं को कृषि से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ उनके सामाजिक जीवन में बदलाव लाने का काम उद्यान निदेशालय कर रहा है।
उद्यान निदेशालय की ओर से महिलाओं की आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। सैंकड़ों ग्रामीण महिलाओं को स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे इन्हें अच्छी आमदनी हो सके। महिला किसानों की मानें तो इन दोनों उत्पादों की खेती से इन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। स्ट्रॉबेरी और मशरूम की मांग इतनी है कि घर बैठे उत्पादों की बिक्री हो जाती है।
पाकुड़ की महिलाएं घरों तक ही सिमित नहीं हैं। बल्कि वे इन दिनों अन्य महिलाओं के लिए मिशाल बन चुकीं हैं। जहां एक ओर अन्य लोग रोजगार की तलाश में केवल नौकरी को महत्व देते नज़र आते हैं। वहीं दूसरी ओर पाकुड़ की महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाती दिख रही हैं। खासकर देवपुर, मुर्गाडांगा, बेलडीहा, महारो, बरमसिया, धोवाडांगा और पियालसोला जैसे सुदूरवर्ती स्थानों की महिलाएं कृषि कार्य को अपने जीविकोपार्जन का साधन बना रही हैं।
जिला उद्यान पदाधिकारी प्रसेनजीत महतो कि मानें तो जिले की पांच हजार महिलाओं को मशरूम और स्ट्रॉबेरी की खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। अबतक ढाई हजार महिलाएं स्ट्रॉबेरी और मशरूम की खेती कर अच्छी आमदनी कर रही हैं। आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा।
उद्यान निदेशालय के इस पहल से जहां एक ओर ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर वे आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं।