
विवेक शुक्ला
अगर आप यमुनापार से आईपी एस्टेट (आईटीओ) होते हुए अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहे हैं,तो आपने देखा होगा कि डीडीए की विकास मीनार बिल्डिंग से सटे प्लाट पर आजकल निर्माण कार्य चल रहा है। यहां पर लंबे समय से आबाद थी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( आईएमए) की बिल्डिंग। अब उसे नए सिरे से खड़ा किया जा रहा है। वहां पर उस दिन रोज की तरह भीषण गर्मी और उमस में निर्माण के काम का जायजा लेने पहुंचे आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय अग्रवाल और उनके साथी। वहां अचानक से डॉ. अग्रवाल का पैर फिसला। वे गिर पड़े। उन्हें चोट लगी और भीषण दर्द शुरू हो गया। फर्स्ट एड के बाद भी दर्द जारी रहा। इस दौरान डॉ अग्रवाल अपने रोगियों को फोन और व्हाट्सएप पर सलाह भी देते रहे। बात यहां पर खत्म नहीं हुई। उन्हें ईस्ट दिल्ली के एक अस्पताल से सूचना मिली कि एक रोगी को तुरंत बी+ खून चाहिए। वे वहां पर पहुंचे। उन्होंने खून दिया। वक्त पर सारा काम हो गया। डॉ. विनय अग्रवाल ने यह किस्सा बीते दिनों पुष्पांजलि अस्पताल के विस्तार से जुड़े एक कार्यक्रम के दौरान सुनाया। उस समय वहां पर साध्वी ऋतम्भरा भी थीं। उनकी तो आखें भीग गई यह सब सुनकर। साध्वी रितंभरा ने इस अवसर पर अस्पताल की एक्सटेंशन बिल्डिंग का उदघाटन किया ।
क्या कभी हम सोचते हैं कि सबका इलाज करने वाले डॉक्टरों को भी दर्द होता है। वे भी बीमार होते हैं। पर उन्हें तो लगातार काम करना है और दूसरों की तकलीफों को दूर करना है।
इस बीच, आजकल इन्द्रप्रस्थ एस्टेट, जिसे ITO के नाम से दिल्ली ज्यादा जानती है, पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)हाउस की नई इमारत खड़ी हो रही है।
IMA के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय अग्रवाल कहते हैं, ” IMA हाउस से भारत का हरेक डॉक्टर भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। हमने नई अत्याधुनिक बिल्डिंग बनाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि IMA हाउस की हालत लगातार खराब हो रही थी।” डॉ. विनय गोयल IMA की नई बिल्डिंग के निर्माण के काम को देखने वाली कमेटी के अध्यक्ष हैं।
दरअसल, 1949 से पहले IMA का मुख्यालय कोलकात्ता में था। फिर यह तय हुआ कि यह देश की राजधानी में होना चाहिए। जब IMA दिल्ली आया, तो आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (1922), लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (1914), AIIMS (1956), सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल (1885), LNJP (1930) दिल्ली के लोगों की सेवा कर रहे थे।
डॉ विनय अग्रवाल और उनके साथियों की देखरेख में IMA की नई बिल्डिंग का निर्माण नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी (NBCC) कर रही है। यह 7 मंजिला इमारत होगी। राजधानी के चोटी के आर्किटेक्ट रंजीत जॉन कहते हैं, “मुझे यकीन है कि NBCC भूमिगत पार्किंग के लिए काफी स्पेस देगी। ITO पर सभी पुरानी इमारतों में कारों की पार्किग के लिए बहुत कम जगह है। इसके अलावा, यह विकलांगों के अनुकूल इमारत होगी।”
इस बीच, आपको राजधानी के पुराने लोग बताएंगे कि जब विकास भवन का उद्घाटन हुआ था, तो इसे राजधानी की सबसे ऊँची इमारत माना जाता था, जो ऊंचाई में कुतुब मीनार से भी ऊँची थी। दिलचस्प बात यह है कि हबीब रहमान ने आईटीओ क्षेत्र में AGCR, UGC और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भवनों को भी डिजाइन किया था। कुछ साल पहले WHO बिल्डिंग को ध्वस्त किया गया था, तो अर्बन प्लानिंग और आर्किटेक्चर की दुनिया के बहुत से जानकारों ने इसे एक गलत फैसला बताया था। उनका तर्क था कि WHO बिल्डिंग एक उत्कृष्ट इमारत थी और इसे ध्वस्त करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।