दिल्ली में करीब 27 वर्षों बाद भगवा परचम फहराया

Saffron flag hoisted in Delhi after almost 27 years

  • आप पार्टी को जनता ने कर दिया सत्ता से फ्री
  • अरविन्द केजरीवाल हुए चारों खाने हुए चित
  • कांग्रेस ने लगाया जीरो सीट का हैट्रिक रिकॉर्ड

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

दिल्ली विधानसभा में करीब 27 वर्षों बाद भगवा परचम फहराया हैं और आम आदमी पार्टी (आप) को जनता ने सत्ताच्युत कर सत्ता से फ्री कर दिया हैं। आप सुप्रीमों अरविन्द केजरीवाल लगातार दो चुनावी जीतों के बाद चारों खाने चित होकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सत्ता से बाहर हो चुके हैं । इसी प्रकार कांग्रेस ने भी एक बार फिर से एक भी विधानसभा सीट पर चुनाव नहीं जीत हार की हैट्रिक का रिकॉर्ड बनाया है।

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए गत 5 फरवरी को मतदान हुआ था और शनिवार को हुई मतगणना के बाद आए चुनाव परिणामों में भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा की 70 सीटों में से 48 सीटों पर चुनाव जीत स्पष्ट बहुमत से 12 अधिक सीटों पर विजय पताका फहरा कर कांग्रेस के साथ साथ आम आदमी पार्टी से अपनी पुरानी सभी पराजयों का हिसाब चुकता कर दिया हैं । आम आदमी पार्टी इस बार 22 विधानसभा सीटों पर हीयह तीसरा विधानसभा चुनाव है जिसमें कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई हैं। इस बार के विधान चुनाव में आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा झटका उनके सुप्रीमों और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की हार से लगा है। आप पार्टी में मुख्यमंत्री आतिशी के अलावा सभी दिग्गज मंत्री और अन्य नेता चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री आतिशी भी भाजपा के दिग्गज नेता रमेश विधूड़ी से एक हजार से भी कम वोटों के मामूली अंतर से ही जीत पाई है।

भारतीय जनता पार्टी जिसे करीब 27 वर्ष पहले शीला दीक्षित के कांग्रेस की मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सत्ता से बाहर होना पड़ा था इस बार फिर से सत्ता में लौटने का अवसर मिला हैं । हालांकि अन्ना हजारे आंदोलन के बाद राजनीति में उभर कर आए ब्यूरोक्रेट अरविन्द केजरीवाल के मुख्यमंत्री बनने से पूर्व भाजपा को एक बार पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ हर्षवर्धन की अगुवाई में सत्ता के निकट आने का अवसर मिला था लेकिन भाजपा द्वारा सरकार नहीं बना पाने के कारण केजरीवाल को तीन बार मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला और गुजरात विधानसभा के चुनाव में 12 प्रतिशत मत प्राप्त कर आप को राष्ट्रीय दल का दर्जा भी मिल गया। बाद में पंजाब विधान चुनाव जीत आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के बाद पंजाब में भी अपनी सरकार बनाने के सफलता हासिल की।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में पिछली बार भाजपा को आठ प्रतिशत से कुछ अधिक वोट ही मिले थे लेकिन इस बार 45.7 प्रतिशत वोट हासिल कर भाजपा ने 48 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है जबकि पिछली बार उसके खाते में मात्र 8 सीटें आई थी। आम आदमी पार्टी जिसने पिछली बार 62 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीत फिर से सत्ता में वापसी की थी इस बार 43.5 प्रतिशत वोट हासिल कर 22 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है। उसमें भी उसके तीन चार विजयी उम्मीदवार मुस्लिम हैं। कांग्रेस के पिछली बार के मुकाबले कुछ प्रतिशत मत अधिक मिले लेकिन एक भी सीट पर उसका एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया। दिल्ली विधानसभा चुनाव के चुनाव परिणामों ने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की जीत के बार विजई तिकड़ी जमाई है और इंडिया गठबंधन की फूट का एक बार फिर से फायदा उठा देश के 18 प्रदर्शन में अपनी और अपने सहयोगी पार्टियों की सरकारें बनाने में सफलता पाई है।

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव को अपनी नाक का सवाल बना दिया था और इस प्रतिष्ठा पूर्व चुनाव में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनके चाणक्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के नेतृत्व में सुनियोजित ढंग से चुनाव रणनीति बना दिल्ली पर फगवा फहराने में सफलता हासिल कर ली है भाजपा ने दिल्ली के 550 ब्लॉक्स में अपने नेताओं प्रदेश के मुख्यमंत्रियों,केंद्रीय एवं राज्यों के मंत्रियों और अन्य नेताओं का ऐसा जाल बिछाया कि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी चारों खानों चित्त हो गई। आप पार्टी और कांग्रेस से भाजपा में आए दिग्गज नेतागण भी अपना अपना चुनाव जीत गए है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आप पार्टी को आपदा करार देना, अरविन्द केजरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री निवास को शीश महल जैसा बनाना और यमुना जल के प्रदूषण सहित आप नेताओं के भ्रष्टाचार सहित अन्य मुद्दों को इस तरह से भुनाया कि जनता का आप सरकार से हुआ मोह भंग ईवीएम के जरिए चुनाव परिणामों में बदल गया।

पिछले चुनावों की तरह इस बार अरविन्द केजरीवाल और पार्टी के पक्ष में दिल्ली की सड़कों पर न तों छात्रों का जमघट दिखाई दिया और नहीं ऑटो रिक्शा एवं रेहड़ियों पर काम करने वाले लोग ही नजर आए। सभी चुनाव सर्वेक्षण और एग्जिट पोल्स भी आप पार्टी के पक्ष में नहीं दिखें। जबकि दिल्ली के हिंदू मतदाताओं के ध्रुवीकरण के साथ साथ सिख, वैश्य और मध्यम वर्ग ,झुग्गियों के रहने वाले तथा सरकारी कर्मचारियों ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया। आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद 12 लाख रु की आय तक आयकर पर छूट की घोषणा ने भी इन्हें भाजपा के पक्ष में खड़े होकर लामबंद करने में अहम भूमिका निभाई।

दिल्ली के रण में विजयी रहने के बाद प्रधान नरेन्द्र मोदी भी गदगद दिखे और उन्होंने हमेशा की तरह दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय मुख्यालय पहुंच उत्साही पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अपनी खुशी बांटी।

दिल्ली विधानसभा के ऐतिहासिक चुनाव परिणामों के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा के अन्य मुख्यमंत्रियों की तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री के नाम के लिए जिस खुशकिस्मत नेता के नाम की पर्ची खुलने वाली है?