संजय सक्सेना
लखनऊ। मौजूदा कांग्रेस का विवादों और विवादित व्यक्तियों से नाता कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस के नेताओं के प्रत्येक कदम में समाज को तोड़ने की बू आती है। खासकर सनातन धर्म मानने वालों के साथ तो कांग्रेस का व्यवहार दोयम दर्जे का रहता है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तो हिन्दुओं को आतंवादी तक बताने से नहीं चुकते हैं। इसी के चलते कांर्ग्रेस का समाज को जोड़ने का कोई भी उपक्रम या सम्मेलन सफल नहीं होता है। क्योंकि उसमें वह ऐसी कुछ शख्सियतों को आमंत्रित कर ही लेती है जो सनातन के खिलाफ जहर उगलने में माहिर हैं। इसी लिये तो उत्तर प्रदेश की जमीं पर जब कांग्रेस ने अपनी संविधान बचाने और सामाजिक न्याय को लेकर चलाई जा रही मुहिम को आगे बढ़ाने का फैसला लिया तो यह सम्मेलन भी शुरू होने से पहले विवादों में घिर गया। दरअसल, कांग्रेस ने 29 सितंबर को लखनऊ में सामाजिक न्याय सम्मेलन करने का निर्णय लिया है,लेकिन विवाद का विषय यह है कि कांग्रेस को इस सम्मेनल के लियेे तमिलनाडु के मंत्री उदय निधि स्टालिन से बेहतर कोई व्यक्ति नजर नहीं आया और उसने उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है। यह सम्मेलन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मंडल आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल की जयंती पर हो रहा है।
बता दें उदयनिधि स्टालिन अपने तमाम विवादित बयानों के माध्यम से सनातन धर्म को जड़ से खत्म करने की बात करते रहे हैं। उन्होंने यहां तक कहा था कि कुछ चीजों का सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोनावायरस का विरोध नहीं कर सकते। हमें इसे खत्म करना होगा। इसी तरह हमें सनातन को खत्म करना है। सनातन धर्म को लेकर उदयनिधि की टिप्पणियों पर पूरे देश में बड़ा बवाल मचा था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भाजपा ने उनके बयान की तीखी आलोचना की। उदयनिधि के इस बयान के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ नेताओं ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा था कि सनातन धर्म दर्शन से जुड़ा पहलू है।ये भारतीय सभ्यता के मूल्यों से जुड़ी शाश्वत जीवनशैली है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं का कहना है कि सनातन धर्म शाश्वत है और चिरकाल से चला आ रहा है। जिसे हिंदू धर्म कहा जाता है वह इसका एक रूप है, जो लोग इसे ब्राह्मणवाद से जोड़ रहे हैं उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। संघ से जुड़े एक नेता ने कहा कि ब्राह्रणवादष् भी अपने आप में एक काल्पनिक अवधारणा है, जो लोग इसे ब्राह्मणवाद से जोड़ कर देख रहे हैं वो अपनी अज्ञानता और स्वार्थ में ऐसा कर रहे हैं। संघ नेताओं का कहना था कि भारत में जन्म लेने वाले धर्मों और और उनकी पंरपराएं लोगों के बीच समानता और सह.अस्तित्व की बात करती है जबकि बाहर से आने वाले धर्म भेदभाव और अलगाव की बात करते हैं। वहीं बीजेपी की आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने उदयनिधि स्टालिन के बयान की तुलना यहूदियों के बारे में हिटलर के विचारों से की थी।मामला मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंचा था।
इस पर मद्रास हाई कोर्ट ने स्टालिन को नसीहत देते हुए कहा था कि किसी भी व्यक्ति को विभाजनकारी विचारों को बढ़ावा देने या किसी विचारधारा को खत्म करने का अधिकार नहीं है, मद्रास हाई कोर्ट के न्यायाधीश जी जयचंद्रन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सत्ता में बैठे व्यक्ति को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए और उन विचारों को प्रचारित करने से खुद को रोकना चाहिए, जो विचारधारा, जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का काम करते हैं। इसके बजाय, वे नशीले पेय पदार्थों और ड्रग्स की समस्या के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जो स्वास्थ्य जोखिमों, भ्रष्टाचार, अस्पृश्यता और अन्य सामाजिक बुराइयों को जन्म देते हैं। इस पर उदय ने गलती मानने के बजाये अपनी टिप्पणियों का बचाव किया और कहा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है। मैं अपने बयान के संबंध में कानूनी परिणाम भुगतने के लिए तैयार हूं। मैंने जो कहा वह सही था और मैं इसका कानूनी तौर पर सामना करूंगा। मैं अपना बयान नहीं बदलूंगा। मैंने अपनी विचारधारा की बात कही है। मैंने अंबेडकर, पेरियार या थिरुमावलवन ने जो कहा था, उससे अधिक नहीं बोला है। मैं विधायक, मंत्री या यूथ विंग का सचिव हो सकता हूं और कल शायद इनमें से कुछ भी नहीं रह सकता हूं। लेकिन इंसान होना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
खैर, तमाम किन्तु परंतुओं के बीच कांग्रेसियों का यही कहना है कि सामाजिक न्याय के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी निरंतर मुखर हैं। वे लखनऊ और प्रयागराज में सामाजिक न्याय को लेकर सम्मेलन कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान इसका फायदा भी पार्टी को मिला। इससे कांग्रेस को एक से बढ़कर छह लोकसभा सीटें मिलीं। कांग्रेस ने जिला और मंडलवार भी सम्मेलन शुरू किए हैं। इसी कड़ी में 29 सितंबर को सामाजिक चेतना फाउंडेशन की ओर से सामाजिक न्याय सम्मेलन किया जा रहा है। इसे राहुल गांधी के एजेंडे को आगे बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि स्टालिन भी इंडिया गठबंधन के साथ हैं।
सम्मेलन में स्टालिन के साथ राज्यसभा सदस्य पी विल्सन भी शामिल होंगे। स्टालिन जहां संघ और धार्मिक मुद्दों को लेकर विवादित बयान देते रहे हैं। ऐसे में उनका लखनऊ आना सियासी तौर पर अहम और विवाद का विषय माना जा रहा है। उधर, कांग्रेस की इस मुहिम को दक्षिण के नेताओं का यूपी में चल रही सियासी मुहिम को समर्थन देने के तौर पर देखा जा रहा है।
सामाजिक चेतना फाउंडेशन न्याय के संस्थापक और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव कहते हैं कि यह कार्यक्रम पूरी तरह से सामाजिक न्याय से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि 29 को कैसरबाग स्थित गांधी भवन सभागार में ये सम्मेलन होगा। इसमें दक्षिण के इन दोनों नेताओं के अलावा डॉ. अला वेंकटेश्वर लू, प्रो. सूरज मंडल, प्रो. रतन लाल और डॉ. अनिल जयसिंह भी संबोधित करेंगे। सम्मेलन में मंडल कमीशन और जाति जनगणना के महत्व पर भी चर्चा होगी।
लब्बोलुआब यह है कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस आलाकमान ने लखनऊ में होने जा रहे सामाजिक न्याय सम्मेलन को चर्चा में लाने के लिये उदयनिधि स्टालिन को आमंत्रित किया है,क्योंकि स्टालिन आयेंगे और बीजेपी या हिन्दूवादी संगठन चुप रहेंगे इस बात की संभावना नहीं के बराबर है। इससे विवादत होगा और कांग्रेस के सम्मेलन का अपने आप प्रोपेगेंडा हो जायेगा।निश्चित की इससे कांग्रेस की तुष्टिकरण और हिन्दुओं को आपस में लड़ाने की साजिश को भी बल मिलेगा।