गडकरी के बहाने बढ़ी संघ-भाजपा की तकरार

Sangh-BJP dispute increased on the pretext of Gadkari

के. पी. मलिक

संघ यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा में पिछले काफी समय से चली आ रही तनातनी अब और खुलकर सामने आ गई है, और इस तनातनी इस बार गडकरी के बहाने सामने आई है। दरअसल, भाजपा और संघ के बीच में टकराव काफी समय से चल रहा है और ये टकराव एक प्रकार से खुलकर चल रहा है, जिसमें एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके खासमखास गृह मंत्री अमित शाह और उनके विश्वसनीय भाजपा नेता हैं, तो दूसरी तरफ संघ और संघ के विश्वसनीय नेता हैं, जिनमें से कई भाजपा में या ये कहें कि सरकार में भी हैं। राजनीतिक जानकारों में ही नहीं, बल्कि अब आम चर्चा है कि दिल्ली दरबार पर कब्जा गुजरात लॉबी का है और गुजरात लॉबी नहीं चाहती कि कोई भी उसकी खिलाफत करे या फिर बिना मोदी-शाह की इजाजत के किसी भी तरह की बयानबाजी करे या मनमानी करे। वहीं संघ की अगर बात करें, तो भाजपा की पितृसत्ता होने के नाते संघ के प्रति उसकी जवाबदेही जो होनी चाहिए, वो साल 2014 के बाद से धीरे-धीरे अपनी ही दिशा में चल रही है, जहां गुजरात लॉबी के कई नेता कुछ भी बोल देते हैं, चाहे वो भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हों, या फिर चाहे दूसरे नेता, जो अपनी मनमानी सरकार में कर रहे हैं।

बहरहाल, भाजपा में संघ के चेहरे यानि संघ से आए कई नेता ऐसे हैं, जिन्होंने न सिर्फ सरकार में अपना काम पूरी निष्ठा के साथ किया है, बल्कि संघ के प्रति भी उतने ही वफादार और लचीले स्वभाव के रहे हैं, जो उन्होंने संघ में सीखा है। ये ऐसे नेता हैं, जो गुजरात लॉबी की खामियों को लेकर ही नहीं, बल्कि सरकार की खामियों को लेकर भी बोल देते हैं और खुलकर बोलते हैं। इन्हीं नेताओं में से एक हैं नितिन गडकरी, जो न तो सच कहने से चूकते हैं और न ही अपने काम को लेकर किसी भी प्रकार के विवाद में आए हैं। सत्ता पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्ष में भी उनके काम की तारीफ होती है और उनके खिलाफ कोई कुछ नहीं बोलता। संघ के भी लाडले हैं और देश और जनता की जहां बात आती है, तो बहुत सटीकता और ईमानदारी से बात करते हैं।

लेकिन अब पहली बार ऐसा हुआ है कि मध्य प्रदेश के एक नए-नए सांसद बने विवेक बंटी साहू ने उनके हाइवे के काम को लेकर न सिर्फ गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि काम में कमी निकालने के साथ-साथ परिवहन मंत्रालय के काम में भी कमियां गिनाई हैं। यानि एक प्रकार से उन्होंने सीधे-सीधे नितिन गडकरी के खिलाफ आवाज उठाई है और ये बात न सिर्फ संघ को बुरी लगी है, बल्कि नितिन गडकरी के चाहने वालों को भी बुरी लगी है। कई जानकार कथित रूप से आरोप लगा रहे हैं कि दरअसल, विवेक बंटी मोदी-शाह की लॉबी के सांसद हैं और गृह मंत्री अमित शाह ने उनका इस्तेमाल नितिन गडकरी के खिलाफ किया है, जिसके लिए विवेक बंटी से बाकायदा चिट्ठी लिखवाकर नितिन गडकरी के काम में कमियों का जिक्र कराया गया है। इससे न सिर्फ संघ और भाजपा के बीच तनातनी बढ़ गई है, बल्कि भाजपा नेताओं में भी तनाव बढ़ गया है। हालांकि अभी ये तनातनी खुलकर सामने नहीं आई है, लेकिन अंदरखाने तलवारें खिंच गई हैं।

दरअसल, कुछ दिन पहले नितिन गडकरी ने एक चिट्ठी लिखकर हेल्थ इंश्योरेश पर लगे टैक्स हटाने की मांग की थी और उसके बाद से जो नितिन गडकरी अब तक गुजरात लॉबी को कई वजहों से खटक रहे थे, और ज्यादा खटकने लगे। और अब गुजरात लॉबी ने नितिन गडकरी पर सीधा हमला न करके, चिट्ठी का जवाब चिट्ठी से या ये कहें कि चिट्ठी की चोट चिट्ठी से करने के लिए दूसरे अपने खास भाजपा नेताओं का सहारा लिया है। दरअसल, छिंदवाड़ा में करीब 400 करोड़ की लागत से रोड बन रहा है और वहां से कमलनाथ की विरासत चुनाव के जरिए छीनकर विवेक बंटी साहू सांसद बने हैं, जो कि भाजपा के ही हैं। और कहा तो ये जा रहा है कि विवेक बंटी साहू गृह मंत्री अमित शाह के खासमखास हैं और उन्हीं की मेहरबानी पर उन्हें टिकट मिला था और जीते भी। अब उन्हीं भाजपा सांसद विवेक बंटी ने एक चिट्ठी लिखकर नितिन गडकरी को सवालों के कठघरे में खड़ा किया है। इन सवालों में न सिर्फ रोड बनाने की क्वालिटी को लेकर जवाब मांगे हैं, बल्कि नितिन गडकरी के काम में कमियां भी निकाली गई हैं। इससे नितिन गडकरी की छवि पर काफी खराब असर पड़ा है और संघ इस बात से नाराज है कि जिस नेता के खिलाफ कोई आवाज विपक्ष से भी कभी नहीं उठती और उनके काम को लेकर कोई शिकायत नहीं, बल्कि तारीफ ही करता है, उन नितिन गडकरी के काम को लेकर इस प्रकार से चिट्ठी लिखने का क्या मतलब है?

दरअसल, नितिन गडकरी महाराष्ट्र से आते हैं और नागपुर की राजनीति के एक बड़े चेहरे हैं और संघ के दुलारे भी हैं। महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव होने हैं और नितिन गडकरी की छवि खराब करने का नतीजा महाराष्ट्र के चुनावों पर खराब पड़ सकता है, जिसका नुकसान भले ही भाजपा को ही होगा, लेकिन नितिन गडकरी पर इसका ठीकरा फोड़ा जा सकेगा। और दूसरी तरफ राजनीतिक जानकार ये कहते हैं कि नितिन गडकरी ही एक ऐसे नेता हैं, जो मोदी-शाह की आंख के न सिर्फ किरकिरी बने हुए हैं, बल्कि मोदी को रिप्लेस भी कर सकते हैं। हालांकि इसमें कितना सच है, कितना नहीं, ये नहीं कहा जा सकता, लेकिन संघ के चहेते नितिन गडकरी हैं और देश में भी उनकी छवि काफी प्रभावशाली और एक ईमानदार नेता की है। न ही नितिन गडकरी ने कभी कोई ऐसा विवादित बयान दिया, जिससे देश को किसी भी प्रकार का धक्का लगा हो। ऐसे में नितिन गडकरी के खिलाफ भाजपा के सांसद का ही चिट्ठी लिखना एक प्रकार से सीधे संघ को ललकारने जैसा है और इससे भाजपा ही नहीं, बल्कि गुजरात लॉबी के नेता भी संघ के निशाने पर आ गए हैं, ऐसा लगता है। बहरहाल, कई मामलों में भाजपा के अंदर ही नेताओं के बीच चल रहा मनमुटाव संघ और भाजपा की इस तनातनी से और ज्यादा बढ़ सकता है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)