संघ शताब्दी वर्ष – राष्ट्र निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनमोल योगदान

Sangh Centenary Year - Invaluable contribution of Rashtriya Swayamsevak Sangh in nation building

दीपक कुमार त्यागी

“देश व दुनिया में प्रसिद्ध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय निर्माण की विचारधारा के दम पर अपनी विशेष पहचान रखता है। यह देश व दुनिया का एक ऐसा संगठन है जो अपनी विशेष कार्यशैली के दमखम पर दुनिया में सनातन धर्म-संस्कृति के रक्षक तौर पर और एक बहुत बड़े सामाजिक संगठन के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है। संघ वर्ष 2025 में स्थापना का 100वां वर्ष धूमधाम से मना रहा है और वह दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि संघ भारत का एक ऐसा संगठन है, जो अपनी स्थापना के दशकों के बाद भी अपनी विचारधारा व उद्देश्यों से जरा भी नहीं भटका है, वह आज भी अपनी विचारधारा पर पूरी तरह से कायम है।”

मां भारती के सपूत स्वतंत्रता सेनानी डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने जंगें आज़ादी के दौर में विजयदशमी के पावन पर्व के दिन 27 सितंबर 1925 को महाराष्ट्र के नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना देश, संस्कृति व समाज हित के कार्यों को करने के उद्देश्य से की थी। इस संकल्प के चलते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना काल से लेकर के आज तक देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय ढांचे को मजबूत करने में निरंतर लगा हुआ है। वैसे निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो आरएसएस के द्वारा किए गए कार्यों ने करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाते हुए गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर के आज़ाद हुए भारत देश के निर्माण में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से सकारात्मक योगदान देने का कार्य किया है। अपने शीर्ष नेतृत्व के सशक्त राष्ट्र, सभ्य समृद्धशाली समाज निर्माण के ओजस्वी विचारों के चलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का राष्ट्र निर्माण व सनातन धर्म की रक्षा करने में अनमोल योगदान रहा है। जिस योगदान को हम लोग आज भी देश के विभिन्न क्षेत्रों में आसानी से देख सकते हैं। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए आरएसएस ने देश में सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर दिन-रात एकजुट होकर के काम किया है।

हालांकि देश की आज़ादी के संघर्ष के दौर से लेकर आज़ाद भारत तक में भी चंद राजनेताओं के क्षणिक राजनैतिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा में लगे हुए स्वयंसेवक हमेशा से ऐसे लोगों के निशाने पर रहे हैं। ऐसी स्थिति के चलते ही राष्ट्र की आज़ादी व सशक्त राष्ट्र निर्माण की यात्रा में संघ के स्वयंसेवकों के अनमोल योगदान को दशकों तक सत्ता व सिस्टम में बैठे कुछ लोगों द्वारा अनदेखा किया गया। देश के चंद राजनेताओं ने धर्म विशेष के लोगों को खुश करने के लिए और केंद्र व राज्यों की सत्ता की कुर्सी हथियाने के लिए ओछी राजनीति करते हुए देश व दुनिया में संघ को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार करने का कार्य तक भी किया है और यह सब आज भी उनके अनुयायियों के द्वारा जारी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में कुछ राजनेताओं के द्वारा पैदा की गयी नकारात्मक स्थिति के बाद भी संघ के द्वारा निस्वार्थ भाव से कार्य करना हमेशा जारी रखा गया है। संघ के राष्ट्र निर्माण व समाज के लिए पूरी तरह से निस्वार्थ भाव से समर्पित स्वयंसेवकों की टोली ने कभी भी इस तरह की हालात की परवाह ना करते हुए, राष्ट्र व समाज हित के लिए अपना कार्य हमेशा निस्वार्थ भाव से करना जारी रखा और कभी भी संघ के इन स्वयंसेवकों ने इन कार्यों का श्रेय लेने तक का भी प्रयास नहीं किया है।

हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सामने राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त सरकारों के दौर में शासन व प्रशासन के द्वारा बार-बार विकट स्थिति उत्पन्न करने के बावजूद संघ के स्वयंसेवकों ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी, उन्होंने कभी भी राष्ट्र व समाज की सेवा करने के कार्यों को करने से मूंह नहीं मोड़ा, विपरीत से विपरीत स्थिति के बावजूद भी स्वयंसेवक निरंतर देश व समाज के हित के कार्य करने में लगे रहे। निष्पक्ष रूप से देखा जाए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ हुए इस भेदभाव के चलते, लोगों को जंगें आज़ादी व उसके बाद के दौर में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निस्वार्थ भाव से देशहित में दिए गए अनमोल योगदान के बारे में कोई ज्यादा जानकारी नहीं है। उसके उल्ट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में लोगों को ग़लत तथ्यों के आधार पर आधी-अधूरी जानकारी देकर के कुछ नेताओं व संगठनों के द्वारा संघ की छवि को बट्टा लगाते हुए अपने हितों को साधने का कार्य निरंतर किया गया है। हालांकि सोशल मीडिया के इस दौर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में लोगों के बीच में जिज्ञासा पैदा करने का काम किया और आम लोगों के बीच संघ के बारे में पैदा की गयी ग़लत धारणाओं को सच्चाई के दम पर काफी हद तक समाप्त करने का कार्य किया है। सोशल मीडिया के माध्यम से अब देश व दुनिया के आम लोगों को भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा किए गए समय-समय पर राष्ट्र व समाज हित के कार्यों की जानकारी आसानी से मिलने लगी है।

लोगों को पता चलने लगा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने स्थापना काल के दौर से ही राष्ट्र निर्माण, एकता और सांस्कृतिक जागरण के दीप को प्रज्ज्वलित करते हुए समाज को संगठित करने और सांस्कृतिक गौरव बढ़ाने पर जोर दिया है। जंगें आज़ादी के दौर में संघ ने जहां लोगों को राष्ट्रभक्ति के भाव से ओतप्रोत करने का कार्य बखूबी किया था, वहीं आजाद भारत में
संघ ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के प्रयास करते हुए एकता और आत्मविश्वास को बढ़ाने का कार्य निरंतर किया है।

देश के दूरदराज इलाकों तक में भी अपनी 55000 शाखाओं व करोड़ों स्वयंसेवकों के माध्यम से पहुंच कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश के युवाओं के एक बहुत बड़े वर्ग को अनुशासन में रहना सिखाते हुए, उनमें नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने का कार्य बखूबी किया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ कार्यों की बानगी देखें तो जंगें आज़ादी के दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में योगदान देते हुए, समाज में राष्ट्रीय चेतना के भाव को जागृत करने का काम बखूबी किया था। जिसके चलते ही संघ के स्वयंसेवकों ने निस्वार्थ भाव से देश के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों में हिस्सा लेने का कार्य किया। संघ ने वर्ष 1947 में देश के विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए हुए विस्थापितों की बढ़-चढ़कर के सहायता करते हुए, उन लोगों के जान-माल की सुरक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य किया। संघ के स्वयंसेवकों ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए महामारी के दौर में लोगों की बढ़-चढ़कर के मदद करने का कार्य हमेशा से ही किया है। संघ युद्ध के हालातों में भी मॉं भारती के वीर सपूतों के साथ जंग के मैदान में निस्वार्थ भाव से हमेशा खड़ा नज़र आया है। संघ के स्वयंसेवकों की टोली अपने अनुशासन व ट्रेनिंग के दम पर ही तो देश में सामाजिक सेवा और आपदा प्रबंधन के कार्य में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लेती आयी है। संघ व उसके अन्य सहयोगी संगठनों ने समय-समय पर देश के विभिन्न हिस्सों में आयी प्राकृतिक आपदाओं (भूकंप, बाढ़, अग्निकांड, चक्रवाती तूफ़ान आदि), युद्ध और अन्य राष्ट्रीय संकटों के समय हमेशा राहत व बचाव के कार्यों में बढ़-चढ़कर के सक्रिय भूमिका निभाने का कार्य किया है।

आज के व्यवसायिक दौर में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए विभिन्न संगठन जैसे विद्या भारती, सेवा भारती जैसे संगठन शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में कार्यरत हैं। विद्या भारती जैसे संघ के संगठनों ने भारतीय संस्कृति और मूल्यों पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने का कार्य पूरे देश में चला रखा है। देश में हजारों स्कूलों के माध्यम से लाखों छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा निरंतर प्रदान की जा रही है। शिक्षा के माध्यम से नैतिकता, देशभक्ति और सामाजिक समरसता जैसे मूल्यों को युवा पीढ़ी में स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। आज देश में 86 प्रांतीय एवं क्षेत्रीय समितियाँ विद्या भारती से संलग्न हैं।

जिसके अंतर्गत 30,000 शिक्षण संस्थाओं में 9,00,000 शिक्षकों के मार्गदर्शन में 45 लाख छात्र-छात्राएं शिक्षा एवं संस्कार ग्रहण कर रहे हैं। इनमें से 49 शिक्षक प्रशिक्षक संस्थान एवं महाविद्यालय, 2353 माध्यमिक एवं 923 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, 633 पूर्व प्राथमिक एवं 5312 प्राथमिक, 4164 उच्च प्राथमिक एवं 6127 एकल शिक्षक विद्यालय तथा 3679 संस्कार केंद्र हैं।

आज देश के विभिन्न हिस्सों के नगरों और ग्रामों में, वनवासी और पर्वतीय क्षेत्रों में झुग्गी-झोंपड़ियों में, शिशु वाटिकाएं, शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, सरस्वती विद्यालय, उच्चतर शिक्षा संस्थान, शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र और शोध संस्थान हैं। देश में इन सरस्वती मंदिरों की संख्या अब भी निरंतर बढ़ रही है और आज विद्या भारती भारत में सबसे बड़ा गैर सरकारी शिक्षा संगठन बन चुका है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत का वर्ष 1962 में चीन से हुए युद्ध में एक बहुत बड़ी भूमिका का निर्वहन किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जिससे प्रभावित होकर संघ को वर्ष 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का निमन्त्रण तक दिया था।

संघ ने देश मे तेजी से चल रहे धर्मांतरण की आंधी को रोकने का कार्य किया है, सामाजिक समरसता और सुधार के लिए निरंतर कार्य किया है। देश के आदिवासी क्षेत्रों में जिस तरह से तेजी से धर्मांतरण करने का जाल बिछाया गया, संघ के स्वयंसेवकों ने जान की बाजी लगाकर उसको काफी हद तक रोकने का कार्य किया है। संघ ने समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव को कम करने और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे अभियान चलाए है। यह समाज के सभी वर्गों को एकजुट करने पर जोर देता है। आदिवासी और वंचित समुदायों के उत्थान के लिए वनवासी कल्याण आश्रम जैसे संघ के संगठन कार्यरत हैं।

संघ ने राष्ट्रीय सुरक्षा के भाव को मजबूत करते हुए आम लोगों में जागरूकता पैदा करने का कार्य बखूबी किया है। संघ ने देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नागरिकों को प्रशिक्षित करते हुए जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया है। संघ ने युवाओं को सेना और अन्य राष्ट्रीय सेवाओं में जाने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया है, संघ ने देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में जनजागृति अभियान चलाकर और विकास कार्यों में भी अपना योगदान दिया है।

दादरा, नगर हवेली और गोवा के विलय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णायक भूमिका रही है।

संघ के स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त 1954 की सुबह पुतर्गाल का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा फहराया, पूरा दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करा कर भारत सरकार को सौंप दिया था। संघ के स्वयंसेवक 1955 से चले गोवा मुक्ति संग्राम में प्रभावी रूप से शामिल रहे थे। गोवा में सशस्त्र हस्तक्षेप करने से पंडित जवाहरलाल नेहरू के इनकार करने पर जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने गोवा पहुंच कर के आंदोलन शुरू किया था, हालांकि बाद में जगन्नाथ राव जोशी सहित संघ के कार्यकर्ताओं को दस वर्ष की सजा हुई, जिसके चलते गोवा के हालत बिगड़ने पर अंततः भारत सरकार के सैनिकों को हस्तक्षेप करना पड़ा और 1961 में संघ की क्रांति के दीप से गोवा स्वतन्त्र हुआ।

संघ ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध चले जेपी आंदोलन में और देश में लगे आपातकाल के विरुद्ध चले आन्दोलन में बड़ी अहम भूमिका निभाने का कार्य किया था और इंदिरा गांधी को सत्ता से बाहर करने का कार्य किया था। जिससे क्षुब्ध होकर ही इंदिरा गांधी ने संघ पर प्रतिबंध तक लगाने का कार्य किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने ही भारत की मूल पहचान रामलाल की जन्मभूमि के लिए चले आंदोलन में बलिदान देकर के राममंदिर आंदोलन को तेज गति देने का कार्य किया था। संघ ने देश में समय-समय पर आयी महामारी के दौर में निरंतर कार्य किया है, प्लेग हो या फिर कोरोना काल के भयावह दौर हो संघ के जांबाज स्वयंसेवकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना देशभर में दवाईयां, राशन व राहत सामग्री वितरण करने का कार्य किया है, लोगों की जागरूकता के अभियान चलाते हुए और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं में सहायता प्रदान की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आज भी निरंतर देश की ज्वलंत समस्याओं का समाधान ढूंढ कर उन समस्याओं का स्थाई समाधान करवाने के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। संघ भारत का एक ऐसा समावेशी और राष्ट्रवादी संगठन बन गया है, जो भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय ढांचे को मजबूत करते हुए दुनिया में भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हुए, राष्ट्र निर्माण में एक सकारात्मक योगदान देने का कार्य कर रहा है।