
संजय गोयल
हार्ट अटैक आने पर क्या करें क्या नहीं इस संबंध में डॉक्टरो ने दी जानकारी
नई दिल्ली : पहले हार्ट अटैक के बाद दूसरा अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। यह समय से पहले और दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु का कारण बन सकता है, जिसे रोका जा सकता है। इस खतरे को कम करने के लिए आमतौर पर मरीजों को स्टैटिन दवाएं, ब्लड थिनर, एंजियोप्लास्टी, बायपास सर्जरी और अन्य इलाज दिए जाते हैं। इसके बावजूद, हर साल 3 से 5 प्रतिशत मरीजों को दोबारा हार्ट अटैक आने का खतरा बना रहता है, खासकर भारतीय समुदाय में।
इसी महत्वपूर्ण विषय पर आज संजीवन अस्पताल में एक सेमिनार आयोजित किया गया, जिसका विषय था “हार्ट अटैक के बाद हार्ट अटैक! कैसे रोकें?”
सेमिनार में पहले हार्ट अटैक झेल चुके मरीजों और फैमिली फिजिशियनों को आमंत्रित किया गया।
इस मौके पर डॉ. मानव अग्रवाल, निदेशक और कार्डियोलॉजिस्ट, संजीवन अस्पताल ने बताया कि जिन मरीजों को दोबारा हार्ट अटैक होता है, उनकी जीवन की गुणवत्ता पहले से बहुत कम हो जाती है। उन्हें डिप्रेशन, मानसिक तनाव और कमजोरी का सामना करना पड़ता है। उनका मानसिक संतुलन और समझने की शक्ति पहले हार्ट अटैक के मुकाबले कम हो जाती है। इसी कारण दवाएं समय पर लेना और जीवनशैली में बदलाव करना उनके लिए कठिन हो जाता है, जिससे उनकी आगे की सेहत, बार-बार अस्पताल में भर्ती होने और इलाज के खर्च पर असर पड़ता है। इस खतरे को ही “रेजिडुअल रिस्क” कहा जाता है।
रेजिडुअल रिस्क कई कारणों से होता है – जैसे उम्र ज़्यादा होना, पुरुष होना, ब्लड प्रेशर और शुगर का कंट्रोल में न होना, धूम्रपान करना, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा होना आदि। ये सभी कारण दोबारा हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं।
डॉ. प्रेम अग्रवाल, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, संजीवन अस्पताल ने बताया कि हार्ट अटैक के मरीजों में खतरा और अधिक बढ़ जाता है जब उनके साथ डायबिटीज, मोटापा, किडनी की बीमारी जैसी समस्याएं भी होती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आज के समय में गलत खानपान दुनिया भर में मौत का सबसे बड़ा कारण बन गया है। अगर हम अपने खाने की आदतों में सुधार करें, तो हार्ट अटैक के दोहराव के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
उन्होंने एक स्वस्थ और संतुलित आहार लेने की सलाह दी – जो कि ज्यादातर शाकाहारी हो, जिसमें मछली, फल, दालें, और ड्राय फ्रूट्स हों। खाना कम नमक वाला और बिना सैचुरेटेड फैट वाला होना चाहिए। वसा (फैट) केवल पौधों से प्राप्त तेलों से मिलनी चाहिए।
डॉ. प्रेम अग्रवाल ने यह भी कहा कि अगर डाइट और एक्सरसाइज से हम एलडीएल कोलेस्ट्रॉल 70 से कम नहीं रख पा रहे हैं, तो हमें स्टैटिन या पीसीएसके 9 (PCSK9) इनहिबिटर जैसी दवाएं लेनी चाहिए ताकि खतरे को कम किया जा सके।
सेमिनार की अध्यक्षता डॉ. बी.सी. बंसल, वरिष्ठ न्यूरो-फिजिशियन ने की, और इसे बड़ी संख्या में डॉक्टर्स और पहले हार्ट अटैक झेल चुके मरीजों ने भाग लेकर सफल बनाया।