रावेल पुष्प
कोलकाता : भारतीय भाषा परिषद और सदीनामा ने देश की हिन्दी,बंगाली,पंजाबी,उर्दू और उड़िया पांच भाषाओं की भाषायी पत्रकारिता के 200 साल के इतिहास पर एक सेमिनार आयोजित किया ।
कार्यक्रम की शुरुआत में भारतीय भाषा परिषद् की अध्यक्ष डॉ कुसुम खेमानी ने अपने स्वागत भाषण में पत्रकारिता के इतिहास, वर्तमान एवं भविष्य की दशा- दिशा पर चर्चा करते हुए ऐसे आयोजनों की सार्थकता को रेखांकित किया।
लोक गायक दीपमय दास ने लालन फकीर के गीतों की बाउल प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम में जहां बांग्ला पत्रकारिता पर अपना वक्तव्य रख रहे थे – अमल सरकार और समीर गोस्वामी वहीं हिंदी में वक्ता थे हिंदी अंतराष्ट्रीय विश्वविद्यालय,वर्धा के जनसंचार विभाग के प्रोफेसर तथा अध्यक्ष कृपा शंकर चौबे, ओमप्रकाश अश्क,सन्तन कुमार पांडे और वरिष्ठ पत्रकार सीताराम अग्रवाल।
इसके पश्चात बंगाल में पंजाबी पत्रकारिता पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे पंजाब सरकार द्वारा शिरोमणि साहित्यकार से सम्मानित हरदेवसिंह गरेवाल,जगमोहन सिंह गिल,रावेल पुष्प और जगमोहनसिंह खोखर।
उर्दू पत्रकारिता के इतिहास पर विस्तार से चर्चा की वरिष्ठ पत्रकार जहांगीर काजमी ने और ओड़िया पर सारगर्भित वक्तव्य रखा कोरापुट सेंट्रल यूनिवर्सिटी,उड़ीसा से पधारे डाॅ.सौरव गुप्ता ने।
इस मौके पर लेखक महेश कटारे की हिंदी पुस्तक काया के वन में पुस्तक का बांग्ला अनुवाद – भर्तहरि : संसार – अरण्य’ का लोकार्पण उपस्थित विशिष्ट साहित्यकारों और पत्रकारों द्वारा हुआ, जिनमें शामिल थे- साहित्यिक पत्रिका वागर्थ के सम्पादक शंभुनाथ, दैनिक छपते छपते के सम्पादक विश्वंभर नेवर, पश्चिम बंगाल हिन्दी अकादमी के सदस्य रावेल पुष्प। मौके पर पुस्तक की अनुवादिका मधू कपूर तथा काकलि घोषाल भी उपस्थित रहीं।
इस अवसर पर श्रोता-वक्ता सम्वाद भी आयोजित हुआ जिसमें लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया ।
कार्यक्रम का संयोजन ,संचालन और जनसम्पर्क के कार्य को जहां अंजाम दिया रेणुका अस्थाना ,नवीन प्रजापति और रितिका सिंह ने, वहीं सदीनामा की उप सम्पादक मीनाक्षी सांगानेरिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा सदीनामा समूह के प्रमुख जीतेन्द्र जितांशु ने की थी,जिसकी भरपूर सराहना नगर के साहित्य और पत्रकारिता क्षेत्र में हुई।