
रविवार दिल्ली नेटवर्क
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 58वें सत्र में इंडिया वाटर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार ने 20 मार्च 2025 को भारत में अल्पसंख्यक मुद्दों पर आम बहस 4 के दौरान एक वक्तव्य दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इंडिया वाटर फाउंडेशन शुरू से ही संसाधनों तक समान पहुँच की वकालत करता रहा है, समावेशी विकास को बढ़ावा देता रहा है और सामाजिक सद्भाव की वकालत करता रहा है जो सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है। भारत सरकार अल्पसंख्यक सशक्तीकरण के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता प्रदर्शित करती है, छह आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक समूहों: मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी के लिए व्यापक पहल के माध्यम से 19.3% आबादी की सेवा करती है। अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय असमानताओं को कम करने और राष्ट्रीय विकास में समावेश को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू करता है। पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, आर्थिक रूप से कमजोर अल्पसंख्यक वर्गों के मेधावी छात्रों का समर्थन करती है, जिसका वित्तपोषण 2008-09 में 700 मिलियन रुपये से बढ़कर 2023-24 में ₹10000 मिलियन हो गया है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय संविधान अल्पसंख्यकों सहित अपने सभी नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है, भेदभाव से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है और जीवन के सभी क्षेत्रों में समान अवसर को बढ़ावा देता है। विविधता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता देश भर में मौजूद जीवंत संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं में झलकती है। अल्पसंख्यक अधिकार दिवस का जश्न विकसित भारत के साझा दृष्टिकोण की पुष्टि करता है, जहाँ हर नागरिक, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, शांति से रह सकता है और देश की सामूहिक समृद्धि में योगदान दे सकता है।