उदयपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना से कई माह पहलें जाने-माने सुरक्षा विशेषज्ञ और विदेश नीति के जानकार ने किया था आगाह….

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली/उदयपुर : विश्व के पर्यटन मानचित्र पर सिरमोर माने जाने वाली दक्षिणी राजस्थान की झीलों की नगरी उदयपुर में पिछलें दिनों टेलर कन्हैया लाल साहू की शहर के बीचों बीच घने बाजार में सरे आम तालिबानी ढंग से की गई जघन्य हत्या की दुर्भाग्य पूर्ण घटना से पूरे देश में हर किसी का मन उद्वेलित हैं और नागरिकों में भारी असन्तोष है।हर मज़हब के लोगों ने इस विभत्स घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए दोषियों को उनके अक्षम्य गुनाह के लिए ऐसी कड़ी सजा देने की माँग की है जो कि सारी दुनिया के लिए एक नज़ीर बने,ताकि भविष्य में कोई ऐसा दुःसाहस नहीं कर सकें। देश और प्रदेश की शीर्ष अनुसंधान संस्थाएँ गिरफ़्तार किए गए और इस जघन्य काण्ड को अंजाम देने वाले आरोपियों को उस हर कसौटी पर ले रही हैं जिससे यह ज्ञात हो सके कि उनके तार किससे जुड़े हैं?

राजस्थान जैसे ऐतिहासिक, गौरवशाली और शान्त प्रिय एवं साम्प्रदायिक सद्भाव का उदाहरण माने जाने वाले प्रदेश में हुए इस विभत्स हत्या काण्ड से आम-अवाम के दिलों पर जो गहरे घाव लगे हैं और देश-विदेश में राज्य की प्रतिष्ठा पर जो आघात लगा है उसको भरना शायद बहुत ही मुश्किल होगा।हत्यारों द्वारा इस निर्मम और बेरहमी से की गई घटना की विडियो बना कर सोशल मीडिया पर प्रसारित करना और देश के प्रधानमंत्री को भी ललकारना समूचे पुलिस, प्रशासनिक और ख़ुफ़िया तन्त्र की कार्यप्रणाली और देश की गंगा-यमुना तहज़ीब तथा टूटते हुए सामाजिक ताना-बाना पर सवालिया निशान छोड़ गया हैं।

किया था आगाह…

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से कुछ माह पहलें ही जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के पूर्व सुरक्षा सलाहकार एवं जाने माने सुरक्षा विशेषज्ञ और विदेश नीति के जानकार अभिनव पण्ड्या ने आकाशवाणी,उदयपुर को दिए अपने विशेष साक्षात्कार में केन्द्र और राज्य सरकार को आगाह करते हुए सुझाव दिया था कि भारत को अपनी बाहरी सुरक्षा के साथ ही देश की आन्तरिक सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरुरत है।

उन्होंने अपने इस इंटर्व्यू में जम्मू और कश्मीर के युवाओं को देश की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयासों को बढ़ाने के साथ ही दक्षिणी राजस्थान के उदयपुर जैसे विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों को देश विरोधी ताकतों के लिए सॉफ़्ट टार्गेट बनने से रोकने के लिए और अधिक सतर्कता एवं प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया था।

पण्ड्या ने कहा था कि देश की खुफ़िया और सुरक्षा एजेंसियाँ प्रायः राष्ट्रीय राजधानी और जम्मू कश्मीर एवं अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में ही अपना ध्यान केन्द्रित रखते हुए अधिक सक्रिय रहती है। ऐसे में देश की आंतरिक सुरक्षा के उपायों पर अधिक ध्यान केन्द्रित नहीं हों पाता है,जो कि गम्भीर चिन्ता का विषय है।उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकारों को इसके लिए अग्रसक्रिय प्रबंध सुनिश्चित करने का सुझाव भी दिया था।

उन्होंने कहा था कि उदयपुर दुनिया के खूबसूरत नगरों में से एक है,जो कि देश-विदेश के सैलानियों के साथ ही फिल्मी सेलिबेट्रिज और देश दुनिया के मशहूर व्यक्तियों एवं औद्धयोगिक हस्तियों के परिवारजनों की डेस्टिनेशन मेरिज और अन्य कार्यक्रमों के लिए भी अपनी एक अलग ही पहचान बना कर और अधिक लोकप्रिय हो रहा है।

उन्होंने कहा था कि उदयपुर शहर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मन्त्री अमित शाह के गृह प्रदेश गुजरात से सटा हुआ है।पण्ड्या ने इंगित किया था राजस्थान अपेक्षाकृत एक शान्तिप्रिय प्रान्त है और उदयपुर जैसा खूबसूरत शहर देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए पर्यटन का स्वर्ग जैसा हैं, लेकिन यहाँ की सुरक्षा व्यवस्थाएँ औसत दर्जे की है।यें इतनी अधिक माकूल और प्रभावी नहीं है,जितनी होनी चाहिए।साथ ही राज्य का खुफ़िया तन्त्र भी राष्ट्रीय मानदण्डों की तुलना में कमतर है। ऐसी परिस्थितियों में राष्ट्र विरोधी ताक़तों की कुदृष्टि से यह सुन्दर शहर किसी भी वक्त देश विरोधी और अलगाववादी ताक़तों का सॉफ़्ट टार्गेट बन सकता है और इसका कुप्रभाव यहाँ की इकोनोमी की रीढ़ की हड्डी पर्यटन और डेस्टिनेशन मेरिज आदि के लिए यहाँ आने वाले देश विदेश के पर्यटकों के साथ ही औद्धयोगिक घरानों और अन्य मशहूर हस्तियों को उदयपुर आने के लिए हतौत्साहित करेगा और इससे न केवल शहर की वरन देश की अर्थ व्यवस्था और पर्यटन पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।

उन्होंने एक बातचीत में उदयपुर से सटे हुए आदिवासी क्षेत्रों में नक्सलवाद और अलगावकारी गतिविधियों के बढ़ने हालातों पर भी चिन्ता व्यक्त की थी और कहा था कि उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉड गेज लाईन के शुरु होने के बाद इन आसन्न खतरों के साथ अपराधों के और अधिक बढ़ने की आशंका को भी नकारा नहीं जा सकता।

पण्ड्या ने यह भी सुझाव दिया था कि इन परिस्थितियों को देखते हुए यह जरुरी है कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिल कर तथा और अधिक सावचेत रहते हुए यथाशीघ्र अपेक्षित कदम उठायें।

लोगों का मानना है कि यदि समय रहते इन सुझावों पर गौर किया जाता तों उदयपुर जैसे सुन्दर पर्यटक शहर एवं राजस्थान जैसे ऐतिहासिक प्रदेश पर आज यह बदनुमा दाग नहीं लगता और कन्हैया लाल तेली जैसे व्यक्ति का बलिदान भी नही होता।लोगों का यह भी कहना है कि आज जरुरत इस बात की है कि असामाजिक तत्वों और नफ़रत फैलाने वालों का सार्वजनिक रूप से बहिष्कार किया जाए और सभी लोग मिल कर ऐसे प्रयास करें कि प्रदेश की प्रतिष्ठा पुनः बहाल हों सकें।

यह अच्छा संकेत है कि प्रदेश में सभी दल, वर्ग, धर्म, सम्प्रदाय और समुदायों के साथ प्रशासनिक तन्त्र भी इस दिशा में प्रयत्नशील हुआ है।उदयपुर शहर के विधायक और राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चन्द कटारिया सबसे पहलें घटना स्थल पर पहुँचने वाले नेता थे। इसी प्रकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी तत्काल एस आई टी गठित की और अपने गृह नगर जोधपुर का दौरा बीच में ही छोड़ जयपुर पहुँचें सर्व दलीय मीटिंग की और पूरे प्रशासनिक महकमें के साथ उदयपुर आकर पीड़ित परिवार जनों से मिलें और उन्हें फौरी मदद भी की ।इसके अलावा उन्होंने घटना के एक मात्र चश्मदीद गवाह और घायल व्यक्ति की भी अस्पताल जाकर कुशलक्षेम पूछी।साथ ही वारदात को अंजाम देने के बाद भाग रहें युवकों को राजसमन्द -अजमेर के मध्य भीम कस्बे के पास धर दबोचने वाले पुलिसकर्मियों को आउट ओफ़ टर्न प्रमोशन दिया।

उन्होंने उदयपुर के आईजी पुलिस एवं एसपी तत्काल प्रभाव से तबादला और लापरवाही के दोषी अन्य सभी पुलिस अधिकारियों एवं बीट प्रभारी को बर्खास्त करने के आदेश दिए है। साथ ही तुरन्त उदयपुर में कर्फ़्यू और पूरे प्रदेश में धारा 144 एवं इंटरनेट बंदी लगा दी गई थी ।

उदयपुर के नागरिकों ने संयम और शांति बनाए रख प्रशासन के सहयोग से कर्फ़्यू में ढील के साथ भगवान जगन्नाथ की यात्रा भी निकाली।