संदीप ठाकुर
‘जवान’ की बेहिसाब सफलता का सही सही कारण किसी के समझ नहीं आ रहा। न
एक्टर,न डॉयरेक्टर ,न प्राेड्यूसर और न डिस्ट्रीब्यूटर । फिल्म ने बॉक्स
ऑफिस पर कई रेकार्ड बनाए । कलेक्शन का रेकॉर्ड,भीड़ का रिकॉर्ड,टिकट
रेट्स बढ़ा कर मल्टीप्लैक्स मालिकान द्वारा अधिक पैसा वसूलने का रेकॉर्ड
बगैरह बगैरह। फिल्म पूरी तरह से दक्षिण भारत की मसाला फिल्म है। गजब का
एक्शन ,वीएफएक्स और फाेटाेग्राफी। हाे भी क्याें नहीें शाहरुख खान काे
छाेड़ पूरी टीम साउथ की है। मूवी अतीत में घटे सत्य घटनाओं का कॉकटेल है।
मूवी में सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी की वजह से रोगियों
की मौत, किसान आत्महत्याएं, हमारे सैनिकों को नुकसान पहुंचाने वाले घटिया
हथियारों के लिए होने वाले सौदों, पानी और हवा को प्रदूषित करने वाले
कारखानों व कुछ खास उद्याेगपतियाें के माेटे कर्जे माफ कर देने की बातें
हैं जिनकी प्रस्तुति दमदार है। यह फिल्म ऐसे आदमी की भावनात्मक यात्रा को
दर्शाता है जो समाज में हो रही गड़बड़ियों को सुधारने निकला है। हालांकि
उसका तरीका गलत है लेकिन मंशा सही है। सवाल यह है कि ढलान पर जा रहे शाह
रुख के कॅरियर काे फिल्म ” जवान ” उफान पर ला पाएगी
‘जवान’ खालिस मसाला सिनेमा है जिसे साउथ स्टाइल में ट्रीट किया गया है।
लेकिन इसमें देश के सामाजिक-राजनीतिक मसलों पर खुलकर दिखाया गया है।
बदलते समय ने बड़े परदे पर आज के मुद्दों को प्रमुखता से उठाना शुरु कर
दिया है, मसलन लिव-इन रिलेशनशिप, एलजीबीटीक्यू+ अधिकार और संबंध, जाति
संघर्ष, ‘मुठभेड़’ में की जाने वाली हत्याएं, ग्रामीण-शहरी विभाजन,
ऑटिज्म, अकेलापन, मानसिक स्वास्थ्य, वगैरह। इसी तरह जवान फिल्म में भी
ज्वलंत मुद्दे काे तेज रफ्तार वाले एक्शन थ्रिलर के चाशनी में लपेट कर
दर्शकाें के सामने पराेसा गया और दर्शकाें ने भी ज्वंलत और भ्रष्टाचार
काे उजागर करने वाले इस फिल्म काे भरपूर प्यार दे रहे है। लगभग पौने तीन
घंटे की इस मूवी में दक्षिणी राज्यों की सफल अभिनेत्री नयनतारा,तमिल
सिनेमा के मेगा स्टार विजय सेतुपति और निर्देशक एटली कुमार ने अपने
कामाें से गजब का तड़का लगाया है। फिल्म की समाप्ति से पहले का एक भाषण
जिसमें नायक अपने संबाेधन में लाेगाें से कहता है कि अपनी एक उंगली के
ताकत काे पहचानाे और वाेट डालने से पहले उम्मीदवाराें से सवाल कराे कि
महाेदय,आप अगले पांच साल में क्या करेंगे ? अगर परिवार में कोई बीमार
होता है, तो आप उनके लिए क्या करेंगे? हमें रोजगार दिलाने के लिए आप क्या
करेंगे ? संबाेधन स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार के क्षेत्रों में सेवा देने
की मांग और धर्म, नस्ल या जाति के नाम पर न भटकने को लेकर है। सिनेमा हॉल
में बजने वाली ताली की गड़गड़ाहट यह बताती है कि संबाेधन हिट है। इस
संबाेधन का लब्बाे लुआब यह है कि जाति,घर्म,संप्रदाय की सपनीली दुनियां
से बाहर निकल हकीकत काे जानाे और उसके आधार पर चुनाव में अपना
जनप्रतिनिधि चुनाे।
‘जवान’ 7 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हुई और पूरे देश में घूम मचा
दिया । देशभर से सिनेमाघरों के अंदर और बाहर प्रशंसकों के नाचने, पटाखे
फोड़ने, रंगों से खेलने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए।। इसकी
शुरुआती कमाई के आंकड़ों को देख आभास हो गया था कि ‘जवान’ एक मेगा
ब्लॉकबस्टर साबित होने वाली है। ‘जवान’ अब तक की सबसे बड़ी बॉलीवुड ओपनर
बन गई है। इस फिल्म ने पहले दिन भारत में सभी भाषाओं में 75 करोड़ रुपये
से अधिक की कमाई करके सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और हिंदी भाषा में 65 करोड़
रुपये का कलेक्शन कर पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई
थी। फिल्म में ढेर सारी खामियां हैं लेकिन रफ्तार इतनी तेज है कि दर्शक
का ध्यान उन खामियाें की तरफ जाता ही नहीं।