इसे ‘डंका बजना’ कहें या ‘लंका लगना ‘ ?

Should we call it 'Danka Bajna' or 'Lanka Lagna'?

निर्मल रानी

‘गोदी मीडिया’ सहित सत्ता की भक्त मण्डली,सरकारी विभागों व विज्ञापनों द्वारा गत दस वर्षों से सत्ता का गुणगान किया जा रहा है। सरकारी तौर पर भले ही खंडन क्यों न किया जाये परन्तु ‘भक्त मण्डली’ यह प्रचारित करने में कोई कसर उठा नहीं रखती कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा दिया। इस प्रोपेगेंडा के जवाब में विपक्षी नेताओं का यह सवाल तो वाजिब है कि रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने वाले एक वर्ष से अधिक समय से सुलग रहे डबल इंजन की सरकार वाले राज्य मणिपुर में शांति बहाल क्यों नहीं करवा पाये ? इसी तरह के अनेक फ़र्ज़ी दावों के आधार पर यह प्रचारित किया जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व में भारत का डंका बज रहा है। ‘डंका बजने’ की परिकल्पना का प्रचार भी आपको भारत के ही गोदी मीडिया द्वारा संचालित टी वी और अख़बारों में दिखाई देगा विदेशों में नहीं। इसी तरह प्रचार माध्यमों के बल पर ‘सबका साथ सबका विकास’ और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का भी एक वातावरण बनाया गया। यह और बात है कि विपक्षी दलों से सम्बन्ध रखने वाले पूरे देश के एक दो नहीं बल्कि अनेक नेताओं को जांच व जेल का भय दिखा कर अपने पाले में शामिल कर उनके भ्रष्टाचारी होने पर पर्दा डाल दिया गया। कई भ्रष्टाचारी कंपनियों से इलेक्टोरल बाण्ड के माध्यम से ‘वसूली ‘ की गयी और उनके भ्रष्टाचारों की तरफ़ से आँखें मूँद ली गयीं। कई ऐसी कम्पनीज़ ने करोड़ों रूपये के इलेक्टोरल बाण्ड ख़रीदे जिनके ख़िलाफ़ ईडी और इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई चल रही थी या फिर ये कार्रवाइयां बॉन्ड ख़रीदे जाने के समय के आसपास हुई हैं। इनमें फ़्यूचर गेमिंग, वेदांता लिमिटेड और मेघा इंजीनियरिंग जैसी कंपनियां हैं जो सबसे ज़्यादा क़ीमत के बॉन्ड ख़रीदने वालों में शामिल है। इन कम्पनीज़ की ओर से बाण्ड की ये ख़रीदारी ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की कार्रवाइयों के आसपास ही हुई है।

शायद इसी भ्रष्टाचार के परिणाम स्वरूप पिछले कुछ ही दिनों में जिस तरह ‘अमृत काल ‘ में एक के बाद एक कई ‘विकास योजनाओं’ के पोल खुले हैं उसे देखकर तो हरगिज़ नहीं कहा जा सकता कि विकसित भारत के मार्ग पर दौड़ने वाला हमारा देश भ्रष्टाचार मुक्त भी हो रहा है। अयोध्या धाम को ही ले लीजिये। राम मंदिर निर्माण को लेकर ऐतिहासिक प्रोपेगेंडा रचा गया। एक तीर से कई शिकार खेले गये। ‘जो राम को लाये हैं हम उनको लायेंगे’ का नारा देकर जहाँ यह ग़लतफ़हमी पाली गयी कि 2024 के चुनाव में ‘राम जी की कृपा ‘ होनी तय है और उसी अति उत्साह में ‘अबकी बार चार सौ पार’ का शगूफ़ा छोड़ दिया गया उसी के साथ साथ उस विपक्ष को राम विरोधी व रामद्रोही साबित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गयी जो भाजपा के 22 जनवरी के मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को धार्मिक नहीं बल्कि राजनैतिक कार्यक्रम बताकर उसमें शरीक नहीं हुआ। इसी के साथ साथ भव्य राम मंदिर,राम पथ ,महर्षि बाल्मीकि एयरपोर्ट,और अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन का निर्माण व जीर्णोद्धार कराकर यह भी प्रचारित किया गया कि अयोध्या अब विकसित अयोध्या बन चुकी है। परन्तु पिछले दिनों 24 घंटे की बारिश में उसी अयोध्या में हाहाकार मच गया। हाई टेक बताये जा रहे अयोध्या राम मंदिर की छत से पानी टपकने लगा। राम पथ पर लगभग 20 जगहों पर सड़कें धंस गईं और उन सड़कों में बड़े बड़े गड्ढे पड़ गये। पूरी दुनिया के मीडिया में अयोध्या की इस हालत का भी ख़ूब ज़िक्र हुआ।

इसी बारिश की शुरुआत में नई दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-1 की छत का एक हिस्सा ढह गया इस घटना में एक 45 वर्षीय टैक्सी चालक की मौत हो गई और लगभग दस लोग घायल हो गए थे। उस दिन इस घटना के कारण टर्मिनल 1 से अनिश्चित काल के लिए ऑपरेशन निलंबित कर दिया गया था। यहां से हर दिन लगभग 200 उड़ानें आती जाती हैं।

इसी तरह इन्हीं दिनों में राजकोट हीरासर स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर टर्मिनल के बाहर पैसेंजर पिकअप-ड्रॉप एरिया में ऊपर लगी कैनोपी ढह गई। पीएम मोदी ने गत वर्ष जुलाई में राजकोट एयरपोर्ट के इस नए टर्मिनल भवन का लोकार्पण किया था। इस एयरपोर्ट का 1400 करोड़ से ज़्यादा की लागत से विस्तार हुआ था। इसी तरह मानसून की पहली बारिश ने अडानी समूह द्वारा संचालित राजधानी लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट एयरपोर्ट के नवनिर्मित टर्मिनल 3 की भी पोल खोलकर रख दी है। इसी वर्ष 10 मार्च को बड़े ही धूमधाम से टर्मिनल थ्री का उद्घाटन हुआ था। परन्तु इस टर्मिनल के वेटिंग एरिया की छत से भी पानी टपकने लगा। मुंबई एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 के वेटिंग एरिया में भी छत से पानी टपकने लगा।

जबलपुर में भी डुमना हवाई अड्डे के नव विस्तारित टर्मिनल की कैनोपी का भी एक हिस्सा भारी बारिश के कारण टूट गया था।

इस घटना में कैनोपी के नीचे खड़ी एक सरकारी अधिकारी की कार क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस एयरपोर्ट का भी तीन महीने पहले ही स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। भारत में केवल एयरपोर्ट की छतें ही लीक नहीं हो रहीं बल्कि नीट के पेपर भी लीक हो रहे हैं। गोया ‘साहब की हुक्मरानी का डंका’ पूरी दुनिया में ज़ोर शोर से बज रहा है।

बिहार में ‘डबल इंजन ‘ की सरकार ने तो भ्रष्टाचार व लापरवाही में पिछले दिनों गोया विश्व कीर्तिमान ही स्थापित कर लिया। यहाँ मात्र दस दिन के भीतर ही राज्य के अररिया, सिवान, पूर्वी चंपारण, किशनगंज और मधुबनी ज़िलों में पाँच बड़े पुल धराशायी हो गए। इन पुलों में से तीन निर्माणाधीन पुल थे जबकि दो पुलों का निर्माण हो चुका था। इन हादसों से जनता का हज़ारों करोड़ रुपया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़, पानी में बह गया। इन पांच पुलों से पहले भी बिहार में गत मार्च में सुपौल में कोसी नदी के उपर बन रहे पुल का एक हिस्सा गिरा था, इसमें एक मज़दूर की मौत हुई थी और 10 अन्य घायल हो गए थे। इसके पश्चात् 22 जून को सिवान में गंडक नहर पर बनी पुलिया ध्वस्त हो गई थी। 22 जून की ही रात को पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन प्रखंड के अमवा में निर्माणाधीन पुल गिर गया था। बताया जाता है कि 1.60 करोड़ की लागत से बन रहे इस पुल के ऊपरी भाग की ढलाई शाम के समय ही हुई थी और रात होते होते यह ध्वस्त भी हो गया। इसी तथाकथित विकास की इतनी तीव्र गति और विश्व मीडिया में विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाले इन हादसों के ज़िक्र को साहब का ‘डंका बजना’ कहें या ‘लंका लगना ‘?