अजय कुमार
अयोध्या : अयोध्या में विराजमान प्रभु श्रीराम अब रामनवमी की भांति ही श्रावण मास में भी खुशियां मनायेंगे। नवनिर्मित राम मंदिर में आसीन रामलला सावन में झूलनोत्सव को भी हर्षोल्लास से मनाते नजर आयेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं।नए मंदिर में विराजमान रामलला का यह पहला सावन का महीना होगा, जब वह झूले पर विशेष शृंगार के साथ प्रतिष्ठित किए जाएंगे। गर्भगृह में झूलनोत्सव श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि यानी नागपंचमी के दिन नौ अगस्त को प्रारंभ होगा। यद्यपि इस पर अंतिम निर्णय ट्रस्ट लेगा, परंतु पूर्व से यही परंपरा है। श्रावण शुक्ल तृतीया यानी सात अगस्त से मर्णिपवर्त पर झूलनोत्सव शुरू होगा।
श्री राम जन्मभूमि पर निर्मित भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद चैत्र मंदिर में विराजमान होने के बाद चैत्र मास में नवमी तिथि को रामलला का जन्मोत्सव वृहद स्तर पर भव्य रूप से मनाया गया था। इसके बाद यह पहला अवसर होगा, जब वह श्रावण मास में गर्भगृह में झूला झूलेंगे। रामलला का विशेष श्रृंगार करा उन्हें झूले पर प्रतिष्ठित कराएगा। श्रृंगार व झूलनोत्सव की शुरुआत की रूपरेखा तैयार की जा रही है। शीघ्र ही सभी ट्रस्टियों की सहमति से इस पर निर्णय लिया जाना है। परंपरा के अनुसार रामनगरी में झूलनोत्सव की शुरूवात श्रावण मास की तृतीया तिथि से मणि पर्वत से होती रही है। इसी के साथ अधिकांश मठ-मंदिरों में भी झूलनोत्सव शुरू होता है। कहीं पखवारे भर तो कही पूरे माह तक कार्यक्रम होते है। और ठाकुर जी को विधि-विधान से झूला झुलाया जाता है। राम मंदिर में झूलनोत्सव की शुरूवात श्रावण मास के शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि से होती रही है। इसी दिन विशेष श्रृंगार मास के बाद ठाकुरजी झूले पर विराजते हैं। इस बार श्रावण मास 22 जुलाई से शुरू हो रहा, लेकिन शुल्क पक्ष पांच अगस्त से प्रारंभ होगा। पंचमी तिथि नौ अगस्त को पड़ रही है।
चांदी के झूले पर विराजेंगे प्रभूः नए मंदिर में बालक स्वरूप में विराजमान रामलला को चांदी के झूले पर झूला झुलाया जाएगा। शुरूवात मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास करेंगे। वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला के लिए वर्ष 2021 के श्रावण मास में ट्रस्ट ने 21 किलो चांदी का पांच फीट ऊंचा झूला निर्मित कराया था। नए मंदिर में भी उन्हें इसी झूले पर प्रतिष्ठित किया जाएगा।
ट्रस्ट लेगा अंतिम निर्णय: रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि अभी तक तो रामलला को झूले पर पंचमी के दिन से ही झूला झुलाया जाता रहा है। नए मंदिर में भी उसी परंपरा का पालन होगा या बदलाव होगा, इस संबंध में ट्रस्ट जल्द निर्णय लेगा।