
अशोक भाटिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सादगी की हाल ही में एक और मिसाल देखने को मिली। प्रधानमंत्री मोदी भाजपा की कार्यशाला में एक साधारण सांसद की तरह शामिल हुए और कार्यक्रम की कार्यवाही में शुरुआत से ही हिस्सा लिया। यह कार्यशाला उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारी के लिए भाजपा सांसदों के लिए आयोजित की गई थी। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी आगे की सीट पर न बैठकर सबसे पिछली पंक्ति में बैठे और एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह बैठक में भाग लिया।इस दौरान सांसदों ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री मोदी को ऐतिहासिक #GenNextGST रिफॉर्म्स के लिए बधाई दी। यह घटना भाजपा के भीतर एकता और विनम्रता का प्रतीक बन गई है, जहां प्रधानमंत्री ने अपनी सादगी से सभी को प्रभावित किया।
भाजपा ने उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति और तैयारी के लिए दिल्ली में सांसदों की एक विशेष कार्यशाला आयोजित की थी। इस कार्यक्रम की कार्यवाही रविवार सुबह से शुरू हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसमें शुरुआत से ही हिस्सा लिया। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी जब वहां पहुंचे, तो उन्होंने आगे की सीट पर बैठने की बजाय पीछे की पंक्ति चुन ली। वह एक सामान्य कार्यकर्ता या सांसद की तरह बैठक में शामिल हुए और सभी चर्चाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया। यह कदम प्रधानमंत्री की विनम्रता और पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़ाव को दर्शाता है।
यह कार्यशाला मुख्य रूप से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा सांसदों को तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। यह चुनाव मंगलवार 9 सितंबर को होने वाला है, और एनडीए ने 425 सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित करने की रणनीति बनाई है। कार्यशाला में सांसदों को मतदान प्रक्रिया की बारीकियां समझाई गईं, ताकि कोई गलती न हो। प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और महत्वपूर्ण बना दिया, और सांसदों में उत्साह बढ़ाया।
इस कार्यशाला के दौरान सांसदों ने एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐतिहासिक जीएसटी रिफॉर्म्स के लिए बधाई दी गई। यह रिफॉर्म्स जीएसटी प्रणाली में नई पीढ़ी के सुधारों का हिस्सा हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए लाए गए हैं। सांसदों ने प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता की सराहना की और कहा कि इन सुधारों से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को विनम्रता से स्वीकार किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने का संदेश दिया।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी का पीछे की सीट पर बैठना एक संदेश था कि भाजपा में सभी बराबर हैं। वह आगे की सीट पर न बैठकर सामान्य सांसद की तरह कार्यक्रम में शामिल हुए, जो उनके जमीन से जुड़े व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जहां लोग प्रधानमंत्री की विनम्रता की तारीफ कर रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री का यह कदम पार्टी की जड़ों को मजबूत करता है और युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पीछे बैठने की तस्वीर सोशल मीडिया पर सुबह से वायरल हो रही थी , जिसमें वे सुबह 10:45 बजे पार्टी की सांसद कार्यशाला में पहुंचे और… पीछे जाकर चुपचाप बैठ गए। न कोई उद्घाटन भाषण, न तामझाम। बस सांसदों के बीच, गंभीरता से सुनते हुए देखे गए। प्रधानमंत्री मोदी को 10 या 15 मिनट के लिए इस कार्यशाला में नहीं पहुंचे, उन्होंने पूरा दिन बिताया। एक आम सांसद की तरह भागीदारी थी। यह तस्वीर देखते ही देखते वायरल हो गई। तब से बहुत सारे लोग सोशल मीडिया में भाजपा की सांसद कार्यशाला के बारे में जिज्ञासा है। लोग सोशल मीडिया में सर्च कर रहे हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं, इस कार्यशाला के बारे में और ये भी बताएंगे कि यह भाजपा के लिए इतनी अहम क्यों है?
भाजपा सांसद कार्यशाला को आप पार्टी का पॉलिटिकल स्कूल कह सकते हैं। यहां सांसदों को बताया जाता है कि जनता तक कैसे पहुंचना है। कैसे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना है और विपक्ष के वार का जवाब कैसे देना है। यानी किताबों वाली क्लास नहीं, बल्कि चुनावी मैदान के लिए ट्रेनिंग क्लास। इसका उद्देश्य सांसदों को सरकार की नीतियों, योजनाओं और राजनीतिक रणनीतियों के साथ जोड़ना होता है। यह सांसदों के लिए सीखने, समझने और साझा करने का मंच है। यहां सांसदों को बताया जाता है कि जनता तक योजनाओं को कैसे पहुंचाना है और विपक्ष के नैरेटिव का जवाब कैसे देना है।
इस कार्यशाला में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसद।केंद्रीय मंत्री, पार्टी अध्यक्ष और संगठन के सभी बड़े पदाधिकारी।कभी-कभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी भाजपा बुलाती है व वे भी शामिल होते हैं। जैसा कि आपको बता चुके है इस बार तो प्रधानमंत्री खुद पीछे बैठकर पूरी क्लास अटेंड करते रहे।
अब आप जानना चाहते होंगे कि इस कार्यशाला में किस तरह के प्रस्ताव पास होते हैं? तो हम आपको बतादे कि यह कार्यशाला सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं रहती। यहां ठोस राजनीतिक और सामाजिक प्रस्ताव पास किए जाते हैं।आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी भारत और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस जैसे मुद्दों पर चर्चा होती है।सांसदों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में इन प्रस्तावों को जनता तक पहुंचाएं।इसमें ऐसे सुझाव भी शामिल होते हैं जिन्हें बाद में सरकार की नीतियों में जगह मिल सकती है।
आपको बतादे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से सांसद कार्यशालाओं में हिस्सा लेते रहे हैं। लेकिन पहले वे ज्यादातर उद्घाटन या समापन भाषण देकर निकल जाते थे। इस बार का बदलाव यही है कि उन्होंने पूरे दिन हर सत्र में बैठकर सांसदों की बातें सुनीं। यह पार्टी कार्यकर्ताओं और सांसदों को यह संदेश देने का तरीका है कि हर आवाज मायने रखती है और जमीनी अनुभव को महत्व दिया जाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सांसदों को यह दिखाया कि वह सिर्फ नेतृत्व नहीं करते, बल्कि सुनते भी हैं। यह संदेश गया कि प्रधानमंत्री सांसदों की राय सुनने आए हैं, सिर्फ भाषण देने नहीं। यह पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक संवाद को मजबूत करता है। इससे पार्टी में लोकतांत्रिक माहौल और मजबूत होता है। यह सांसदों का मनोबल बढ़ाने वाला कदम है कि उनकी बात सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंच रही है। संदेश गया कि सांसदों की जमीनी राय को गंभीरता से लिया जा रहा है और उसे भविष्य की नीतियों में शामिल किया जाएगा। यह कार्यकर्ताओं और सांसदों को यह संदेश देने का तरीका भी था कि पार्टी में हर राय मायने रखती है।
इस कार्यशाला में चार सत्र-कई अहम प्रस्ताव है जसमें । पहला सत्र: राष्ट्र निर्माण पर केंद्रितथा ।इसमें कमलेश पासवान आत्मनिर्भर भारत पर, सुधांशु त्रिवेदी स्वदेशी भारत पर, बांसुरी स्वराज ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर और डॉ। हेमांग जोशी ने युवा शक्ति और रोजगार पर सांसदों की क्लास ली। सांसदों को समझाया गया कि सरकार की नीतियां आत्मनिर्भरता और युवाओं को केंद्र में रखकर बनाई जा रही हैं। दूसरा सत्र: सोशल मीडिया का प्रभावी प्रयोग-ज्योतिमय महतो ने सोशल मीडिया टीम बिल्डिंग पर बात की। सी।पी। जोशी सरकारी योजनाओं का नैरेटिव बनाने पर। अतुल गर्ग ने नमो ऐप के बारे में विस्तार से बताया और उसका इस्तेमाल कैसे करें, इसे समझाया। तो संगीता यादव ने महिला समूह की सोशल मीडिया अप्रोच पर बात की। सांसदों को यह समझाया गया कि जनता तक सीधे पहुंचने का सबसे बड़ा माध्यम आज सोशल मीडिया है। हर सांसद को डिजिटल कम्युनिकेशन स्किल सीखनी होगी।। तीसरा सत्र: स्थायी समितियों के समूहों की- चर्चासंजय जायसवाल और बांसुरी स्वराज ने कृषि, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य पर बात की। तेजस्वंत पांडा और संबित पात्रा ने रक्षा, विदेश, आईटी पर। ऊर्जा, कोल, इंडस्ट्री पर शशांक त्रिपाठी और अपराजिता सारंगी ने बात रखी। शिक्षा, संस्कृति, कानून पर संचालन पी।पी। चौधरी और सुनील कुमार ने की। रेलवे, ट्रांसपोर्ट का संचालन भानुभरि महताब जबकि रिपोर्टिंग रमेश अवस्थी ने की। हर सांसद को अपने क्षेत्रीय मुद्दे और कमेटी से जुड़े अनुभव साझा करने का मौका दिया गया। चौथा सत्र: क्षेत्रीय समूहों की चर्चागरीय क्षेत्र खास तौर पर मत्स्य पालन योजनाओं पर चर्चा। लेफ्ट विंग क्षेत्र पर भी बात। इसमें गरीब कल्याण योजना की चर्चा। ग्रामीण क्षेत्र की चर्चा में किसान सम्मान निधि पर बात होनी है। शहरी क्षेत्र की बात स्वच्छता अभियान पर फोकस रही तो पहाड़ी और उत्तर-पूर्व क्षेत्र का जिक्र आया तो सीमावर्ती क्षेत्र का विकास मुद्दा रहा।
बता दें कि इस दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य विधायी कौशल, शासन रणनीतियों और राजनीतिक संचार पर ध्यान देना है। नेताओं ने केंद्र सरकार के विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने और विपक्ष का मुकाबला करने के तरीकों पर चर्चा की। रविवार को सांसद पूरे दिन की कार्यशाला में शामिल हुए। सोमवार को भी तीन घंटे का एक और सत्र निर्धारित है।
बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होगा। प्रधानमंत्री मोदी उपराष्ट्रपति चुनाव से एक दिन पहले, सोमवार को भाजपा और उसके सहयोगी दलों के सांसदों के लिए रात्रिभोज का आयोजन भी कर रहे हैं। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्ष के उम्मीदवार, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधा मुकाबला है। हालांकि, संख्या बल के आधार पर राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है।