- आम बजट 2024-25 में एमएसएमई क्षेत्र के लिए भी किए गए कई महत्वपूर्ण प्रावधान
- नई क्रेडिट गारंटी स्कीम के तहत एमएसएमई इकाइयों को कोलेट्रल फ्री ऋण उपलब्ध कराया जाएगा
- स्व-वित्तपोषित गारंटी फंड प्रत्येक उधारकर्ता को 100 करोड़ रुपए तक का गारंटी कवर प्रदान करेगा
- तय समय पर ऋण चुकाने वालों को मुद्रा लोन के तहत अब 10 लाख की बजाय 20 लाख रुपए तक मिल सकेगा लोन
रविवार दिल्ली नेटवर्क
लखनऊ : आम बजट में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) क्षेत्र के लिए भी कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। सबसे प्रमुख घोषणा एक नई क्रेडिट गारंटी स्कीम की है, जिसके तहत एमएसएमई इकाइयों को कोलेट्रल फ्री ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए एक स्व-वित्तपोषित गारंटी फंड स्थापित किया जाएगा, जो प्रत्येक उधारकर्ता को 100 करोड़ रुपए तक का गारंटी कवर प्रदान करेगा। इस पहल से प्रदेश की उन छोटी इकाइयों को भी लाभ मिलेगा जो अपरिहार्य कारणों से समय पर ऋण चुकता नहीं कर पा रही हैं और इससे उनके खातों को एनपीए होने से भी बचाया जा सकेगा। मालूम हो कि योगी सरकार प्रदेश में एमएसएमई इकाइयों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है। बजट में नए प्रावधानों से प्रदेश के एमएसएमई क्षेत्र को नई ऊर्जा मिलेगी।
सर्वस्पर्शी और विकासोन्मुखी बजट
प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग, रेशम उद्योग, हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग मंत्री राकेश सचान ने आम बजट 2024-25 को सर्वस्पर्शी और विकासोन्मुखी बजट बताया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, एमएसएमई इकाइयों को विभिन्न बैंकों से ऋण प्राप्त करने में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनकी आर्थिक स्थिरता पर पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए बजट में एक नया क्रेडिट असेसमेंट मॉडल पेश किया जाएगा, जो डिजिटल फुटप्रिंट्स के आधार पर ऋण की स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल बनाएगा। यह नई प्रणाली बैंकों से ऋण प्राप्त करने में सुविधा प्रदान करेगी, जो अब तक परंपरागत रूप से असेट्स और टर्नओवर के आधार पर ऋण देती रही हैं। बजट में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण की सीमा को 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की घोषणा की गई है। यह सुविधा उन इकाइयों के लिए होगी जिन्होंने पूर्व में लिए गए ऋण को तय समय सीमा में चुकाया है।
कारीगर आसानी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच सकेंगे अपने उत्पाद
एमएसएमई क्लस्टर्स में अगले तीन वर्षों में सिडबी की 24 नई शाखाएं खोली जाएंगी, जिससे एमएसएमई इकाइयों को ऋण प्राप्त करने में सुविधा होगी। ट्रेड्स (Trade Receivables Discounting System) प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण की सीमा को वर्तमान 500 करोड़ रुपए से घटाकर 250 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जिससे अधिक एमएसएमई इकाइयां इस प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हो सकेंगी और आसानी से क्रेडिट प्राप्त कर सकेंगी। पीपीई मॉडल पर ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब एमएसएमई और पारंपरिक कारीगरों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों को बेचने में मदद करेंगे। इसके साथ ही, 100 एनएबी मान्यता प्राप्त फूड टेस्टिंग लैब्स खाद्य प्रसंस्करण संबंधित इकाइयों को उच्च गुणवत्ता वाले परीक्षण सेवाएं प्रदान करेंगी। देश की 500 बड़ी कंपनियों में अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे अपने उद्यम शुरू करने के लिए तैयार हो सकें। ये प्रावधान एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने और देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।