डॉ विजय गर्ग
हमारे पैरों के नीचे बहता भू-जल सिर्फ़ पानी का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन की गहराई में छिपा वह आधार है जिस पर गाँव, कस्बे और शहर टिके हुए हैं। पर पिछले कुछ वर्षों में यह आधार धीरे-धीरे ज़हर से भरता जा रहा है—औद्योगिक कचरा, कीटनाशक, प्लास्टिक, रासायनिक खाद और अनुपचारित सीवेज इसकी सबसे बड़ी वजह हैं। यदि अभी कदम न उठाए गए तो आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित पानी का सपना भी दूर हो जाएगा। इसलिए ज़रूरी है कि हम ऐसे उपाय अपनाएँ, ताकि भू-जल तक प्रदूषण का ज़हर पहुँच ही न पाए।
भूमिगत जल क्यों हो रहा है दूषित?
(क) रासायनिक खेती का प्रभाव
अत्यधिक यूरिया, DAP, कीटनाशक और खरपतवारनाशक खेतों में सिंचाई के साथ जमीन में समा जाते हैं। समय के साथ ये रसायन धीरे-धीरे रिसकर aquifer तक पहुँच जाते हैं और पानी को नाइट्रेट, अमोनिया तथा भारी धातुओं से दूषित कर देते हैं।
(ख) औद्योगिक कचरा
छोटे-बड़े उद्योग अपना रासायनिक अपशिष्ट सीधा नालों या खाली जमीन में छोड़ देते हैं। इन अपशिष्टों में क्रोमियम, आर्सेनिक, फ्लोराइड, आयरन और सीसा जैसी धातुएँ होती हैं, जो भू-जल को लंबे समय तक विषैला बनाए रखती हैं।
(ग) शहरी सीवेज और कचरा
तेज़ी से बढ़ते शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता कम है। अनट्रीटेड सीवेज और सड़ते कचरे का ज़हरीला रस (leachate) जमीन में रिसकर भू-जल को संक्रमित करता है।
(घ) लैंडफिल और प्लास्टिक
कूड़े के पहाड़ों से निकलने वाला जहरीला द्रव groundwater recharge ज़ोन में सबसे बड़ा खतरा है। प्लास्टिक माइक्रोपार्टिकल्स तो अब लगभग हर जगह भू-जल में पाए जा रहे हैं।
क्यों ज़रूरी है भू-जल को प्रदूषण से पहले ही बचाना?
- एक बार भू-जल दूषित होने पर इसे साफ करना बहुत कठिन और महँगा है।
- दूषित पानी कैंसर, थायरॉयड, हड्डियों की कमजोरी, किडनी रोग, गर्भस्थ शिशु पर प्रतिकूल प्रभाव, और रक्त संबंधी बीमारियाँ पैदा करता है।
- भू-जल कई क्षेत्रों में पीने के पानी का 70–90% तक स्रोत है।
- ज़मीन के अंदर का पानी लगातार चलता रहता है—एक जगह का ज़हर दूसरी जगह तक पहुँच सकता है।
- इसलिए रोकथाम ही असली समाधान है।
ऐसे कदम जो भू-जल को सुरक्षित रख सकते हैं
(क) कृषिगत सुधार
- रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद, गोबर, वर्मी-कम्पोस्ट और बायो-फर्टिलाइज़र का प्रयोग।
- Integrated Pest Management (IPM) के ज़रिए कीटनाशक का सीमित उपयोग।
- फसल चक्र (crop rotation) और मृदा जाँच की अनिवार्यता।
(ख) उद्योगों पर सख़्त निगरानी
- Zero-Liquid Discharge तकनीक लागू की जाए ताकि एक बूंद भी प्रदूषित जल बाहर न जाए।
- ETP (Effluent Treatment Plant) की नियमित जाँच।
- गैर-अनुपालन करने वाले उद्योगों पर भारी जुर्माना और लाइसेंस निलंबन।
(ग) रेन-वाटर हार्वेस्टिंग और रिचार्जिंग
- स्वच्छ वर्षा जल को जमीन में उतारना भू-जल की गुणवत्ता सुधारने का सबसे सस्ता और कारगर तरीका है।
- घर, स्कूल, ऑफिस और पार्कों में छत का पानी recharge wells में ले जाएँ।
- नदी, तालाब और जोहड़ों का पुनर्जीवन किया जाए।
(घ) कचरा प्रबंधन का आधुनिकीकरण
- वैज्ञानिक तरीके से ठोस कचरा निपटान (sanitary landfill)।
- लैंडफिल के नीचे जियो-मेम्ब्रेन लगाना अनिवार्य।
- प्लास्टिक कचरे की अलग संग्रहण और पुनर्चक्रण व्यवस्था।
(ङ) सीवेज ट्रीटमेंट में सुधार
- हर कस्बे और शहर में decentralized STP विकसित किए जाएँ।
- treated water को हरित क्षेत्रों, उद्योगों और निर्माण कार्यों में पुन: उपयोग किया जाए।
(च) भू-जल संरक्षण ज़ोन
- recharge zones में निर्माण व प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रोक।
- गाँव-शहरों के पास “no-waste discharge zones” की घोषणा।
हम नागरिक क्या कर सकते हैं?
- घर में रासायनिक क्लीनर का कम उपयोग, जैविक विकल्प अपनाएँ।
- प्लास्टिक और पेंट-आधारित कचरा नालियों में न फेंकें।
- वर्षा जल संचयन को अपनाएँ।
- प्रदूषणकारी गतिविधियों की सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।
- स्कूलों और पंचायतों में जागरूकता अभियान चलाएँ।
समापन : पानी की हर बूंद भविष्य है
भू-जल हमारा अदृश्य लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक धन है। यदि इसकी सुरक्षा आज नहीं की गई तो कल हमें पीने योग्य जल के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
आज यह समझने का समय है कि पानी को शुद्ध रखना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं—यह समाज, उद्योग, किसान और हर नागरिक की साझा जिम्मेदारी है।
हम यदि समय रहते कदम उठा लें, तो यह संभव है कि प्रदूषण का ज़हर भू-जल तक पहुँचने से पहले ही रोक दिया जाए, और हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और जीवनदायी जल विरासत में छोड़ सकें।





