….. तो अजिंदर की अगुआई में भारत पहले ही महिला हॉकी विश्व कप जीत जाता रजत

भारत को अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल में नहीं मिला पेनल्टी स्ट्रोक

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : अपने जमाने की बेहतरीन पेनल्टी कॉर्नर हिट और मुस्तैद फुलबैक पंजाब की अजिंदर कौर की अगुआई में भारत की महिला टीम मांडेलियू (फ्रांस) में 1974 में पहली बार एफआईएच महिला हॉकी विश्व कप में शिरकत की थी और सेमीफाइनल में पहुंचने और इसमें हार के बाद और कांस्य पदक मैच में जर्मनी से हारकर चौथे स्थान पर रही थी जो कि उसका उसका अब तक कासबसे शानदार प्रदर्शन है। यह भी तब भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए तत्कालीन भारतीय महिला हॉकी संघ(आईडब्ल्यूएचएफ) की अध्यक्षा विद्या स्टोक्स के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से करीबी संपर्क और देश के हॉकी प्रेमी ग्वालियर, पटियाला और लखनउ घरानों से मिली आर्थिक मदद और यूरोपीय क्लबों के खिलाफ नुमाइशी मैच खेलने से फ्रांस में महिला हॉकी विश्व कप के लिए पैसे की जुगत हो पाई थी।

अजिंदर कौर वाली 1974 में विश्व कप में शिरकत करने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम में तब उन सहित पंजाब की एक तिहाई खिलाड़ी थी। तब भारतीय टीम में पंजाब की ही इतनी खिलाडिय़ों को लेकर किसी को भी ऐतराज भी नहीं था। भारतीय महिला टीम तब जैसे तैसे हॉकी विश्व कप के लिए फ्रांस तो पहुंच थी। तब वहां उसके सामने कदकाठी और दमखम में कहीं ज्यादा मजबूत लंबी मजबूत कदकाठी वाली यूरोपीय खिलाड़ी थी अजिंकदर कौर जैसी मजबूत डिफेंडर, रूपा सैनी जैसी ‘हरफनमौलाÓ, परमिंदर, चंचल और कंवलजीत जैसी फॉरवर्ड की मौजूदगी में भारतीय महिला टीम ने अपनी हॉकी की कलाकारी से दमखम वाली रफ टफ हॉकी खेलने वाली यूरोपीय टीमों को पर पहला मैच हारने के बाद पूल में दमदार प्रदर्शन कर जीत दर्ज कर शीर्ष स्थान पा सेमीफाइनल में स्थान पाया लेकिन इसमें और फिर कांसे के मुकाबल में हार कर चौथे स्थान पर रही।

1974 में भारतीय टीम को यदि किस्मत का साथ मिला होता तो 48 बरस पहले ही विश्व कप में रजत जीतने के साथ आगाज कर सकती थी। यदि अजिंदर कौर की अगुआई वाली भारतीय महिला हॉकी सेमीफाइनल तब रजत जीत जाती तो बहुत मुमकिन था तब इतिहास में उसकी चर्चा 1975 में अशोक कुमार सिंह के निर्णायक गोल से क्वालालंपुर में पाकिस्तान को फाइनल में हरा पुरुष हॉकी विश्व कप जीतने वाली टीम की तरह होती। भारत ने तब बेल्जियम से 0-2 से हारने के बादं मैक्सिको को 3-0, स्पेन को 4-1 से और तब पहले संस्करण की चैंपियन बनी नीदरलैंड को 1-0 से हरा अपने पूल में शीर्ष पर रह कर सेमीफाइनल में स्थान बनाया। बदकिस्मती से विवादास्पद अंपायरिंग के चलते 1974 में भारतीय टीम सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से 0-1 और तत्कालीन पश्चिम जर्मनी से कांस्य पदक मैच में 0-2 से हार कर पहले ही महिला हॉकी विश्व कप में कांसा जीतने से चूक गई थी। भारत की महिला टीम को अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल में एक निश्चित पेनल्टी स्ट्रोक नहीं दिया गया अन्यथा वह जीत के साथ फाइनल में पहुंच कर पहले ही विश्व कप में रजत पदक जीत सकती थी। यदि आज की सी टेक् नलॉजी तब उपलब्ध रहती तो भारत को जरूर ही पेनल्टी स्ट्रोक दिया जाता

भारत की 1974 के महिला हॉकी विश्व कप में शिरकत करने चौथे स्थार पर रही टीम : अजिंदर (कप्तान), गीता(उपकप्तान),रेखा, परमिंदर, अविनाश, रूपा सैनी, कंवलजीत, किरण, लॉरेन, चंचल, नीना, रजनी, मृदुला, निम्मी, ओटिला।