आपदा प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्यूचर

Society for Bright Future towards strengthening disaster management

एन. कोचर

भारत में प्राकृतिक आपदाओं का कहर लगातार बढ़ रहा है. पिछले वर्ष भारत में 400 से ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं आईं जो कि बीते दो दशक में सबसे अधिक हैं. इन आपदाओं में जानमाल का सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी का हुआ. इन आपदाओं ने लोगों को स्थायी और अस्थायी रूप से विस्थापित किया. बीते साल आपदाओं के चलते लगभग 1.18 लाख लोग विस्थापन की पीड़ा से गुजरे.

पिछले छह सालों में बाढ़ के कारण 55 फ़ीसदी लोग आतंरिक रूप से विस्थापित हुए, जबकि 44 फीसदी लोग आंधी-तूफ़ान के कारण विस्थापित हुए. इसके अलावा भूस्खलन, भूकंप और सूखे जैसे जलवायु सम्बन्धी आपदाओं ने भी हजारों लोगों को घर से बेघर किया. साल 2024 प्राकृतिक आपदाओं के लिए तो चिंताजनक था ही, मौजूदा साल में हालात और भी बदतर हैं. इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर के अनुसार, 2025 के गुजरे छह महीनों में ही 1.6 लाख से ज्यादा लोग प्राकृतिक आपदाओं के कारण बेघर हुए हैं.

प्राकृतिक आपदा के मामले पश्चिम बंगाल के उत्तरी हिस्से में सबसे ज्यादा दर्ज किये गए हैं. 20 मई को मालदा के मथनशीपुर में मिट्टी के कटाव के चलते लगभग अस्सी हजार लोग विस्थापित हुए और जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ. असम में बाढ़ के कारण 42000 लोग बेघर हुए. त्रिपुरा में भी हालत गंभीर है. यहाँ 10 बाढ़ की घटनाओं में 21000 लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा. उनके घर बह गए, मवेशी मरे, राशन-चारा सब बाढ़ की भेंट चढ़ गया.

भारत में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही हैं. मुख्य वजह है जंगलों का समाप्त होना, जगह जगह कंट्रक्शन, सुरंगों का निर्माण, पहाड़ों को काटना और बढ़ती जनसंख्या. यह बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप और भूस्खलन को न्योता दे रही हैं. फिर भारत का 60 फीसदी हिस्सा भूकंप की चपेट में हमेशा रहता है. यहाँ 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र बाढ़ से ग्रस्त है और 68 फ़ीसदी सूखे की चपेट में है.

देश भर में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की 16 बटालियन और 28 क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र विभिन्न प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए कार्य कर रहे हैं. मगर जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन की दर में तेजी आ रही है और हर साल देश के अनेक भागों में बड़ी आपदाएं आ रही हैं, सरकार की तरफ से होने वाली कोशिशें कम मालूम पड़ती हैं. जिस जगह घटना होती है, वहाँ एनडीआरएफ के जवानों के साथ बहुत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और स्वयं सेवी संस्थाओं के वोलेंटियर्स लोगों को राहत पहुंचाने, उनकी जान बचाने, उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और उनकी चिकित्सा एवं खाने पीने का इंतजाम करने के लिए आ जुटते हैं.

पिछले दिनों 12 और 13 जुलाई को दिल्ली के जामिया नगर स्थित मरकज के हॉल में ‘सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्यूचर’ की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ जिसमें देश भर में फैले संस्था के वॉलिंटियर्स ने शिरकत की. सोसाइटी फॉर ब्राइट फ्यूचर आपदाओं के जोखिम को रोकने और कम करने, ऐसी घटनाओं के दौरान प्रभावी प्रतिक्रिया प्रदान करने और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए, उनकी चिकित्सा और भोजन आदि का प्रबंध करने और उन्हें सामान्य जीवन में लौटने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस कार्यशाला में देश भर से आये वोलेंटियर्स ने आपदा प्रबंधन से जुड़े अपने अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा किया. इसके अलावा लोगों के जीवन को बचाने और उन्हें तुरंत राहत पहुंचाने के लिए नयी योजनाओं की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा के साथ प्रशिक्षण कार्यशाला भी आयोजित की गयी.

कार्यशाला के अंतिम दिन आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वयंसेवकों को स्मृति चिन्ह और सर्टिफिकेट प्रदान कर न सिर्फ उनके कार्यों का उल्लेख किया गया बल्कि उनका उत्साहवर्धन भी हुआ. ऐसे लोग जो अपनी जान की परवाह ना करके दूसरे की जान की हिफाजत करना अपना धर्म समझते हो, कम ही होते हैं. उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है.

पुरस्कार समारोह में श्री मिर्ज़ा जफर बेग (अध्यक्ष, जामिया को ऑपरेटिव बैंक), श्री फ़ारूक़ सिद्दीकी (प्रमुख, एनसीटी, एएमपी), श्री चरण सिंह (अधीक्षक, समाज कल्याण विभाग, जीएनसीटी दिल्ली) और सुश्री नसीम अंसारी कोचर (वरिष्ठ पत्रकार एवं एसोसिएट एडिटर, दिल्ली प्रेस) सहित कई सम्मानित अतिथि उपस्थित रहे.

श्री एम. साजिद (निदेशक, विज़न 2026), श्री मोहम्मद शफ़ी मदनी (महासचिव, एसबीएफ), श्री इरफ़ान अहमद (राष्ट्रीय समन्वयक, एसबीएफ), डॉ. आमिर जमाल (स्वयंसेवक समन्वयक) ने स्वयंसेवकों की हौसला अफजाई की और उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया.