सीता राम शर्मा ” चेतन “
क्या दुनिया का कोई भी देश, देश की सरकार, उसका संविधान या फिर कोई तर्क इस बात की गांरटी दे सकता है कि उसके यहां जन्म लेने वाले हर व्यक्ति को वहां की सरकार नौकरी देने के लिए बाध्य है ? किसी देश, देश के संविधान, देश की सरकार या फिर तर्क के लिए ही सही इस बात पर विचार भी किया जा सकता है कि ऐसी बाध्यता होनी चाहिए ? कदापि नहीं । यह ना आज संभव है ना ही भविष्य में संभव होगा । होना भी नहीं चाहिए । अब बात इस पर कि किसी भी देश की सरकार सरकारी नौकरी के लिए लोगों की बहाली क्यों करती है ? इसका एकमात्र यही उत्तर है – देश की व्यवस्था को बेहतर तरीके से चलाने के लिए । फिर देश की व्यवस्था को अतीत के अच्छे बुरे अनुभव, वर्तमान की जरूरत और भविष्य में आने वाली चुनौतियों का आकलन, मूल्यांकन करते हुए उसके लिए सर्वाधिक उपयोगी और सार्थक नीतियों का निर्धारण कौन करेगा ? इसका उत्तर है – सरकार । अब बात सरकार की, तो कम से उन देशों की सरकार पर तो भरोसा किया ही जाना चाहिए, जो दुनिया के लोकतांत्रिक देश हैं । लोकतांत्रिक सरकार अर्थात जहां कोई राजतंत्र वाली या फिर तानाशाह सरकार ना होकर जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार है । गौरतलब है कि लोकतांत्रिक देश में यदि कोई सरकार देशहित या जनहित के किसी भी मुद्दे पर कोई गलत निर्णय लेती है, तो उसमें भविष्य में बदलाव भी संभव है । वहां उसकी शुरुआत में भी उस फैसले अथवा नीति और क्रियान्वयन में बदलाव या उससे अलगाव के लिए लोकतांत्रिक तरीके से विरोध-प्रदर्शन किया जा सकता है, पर क्या वह विरोध-प्रदर्शन ऐसा हो, जैसे भारत सरकार की वर्तमान अग्निवीर योजना के विरोध में किया जा रहा है ? उत्तर बिल्कुल साफ और सपाट है – बिल्कुल नहीं । विरोध प्रदर्शन के नाम पर सार्वजनिक तोडफ़ड़, हिंसा और देश की संपत्तियों में आगजनी और नुकसान का ऐसा तांडव और वो भी उस विभाग या क्षेत्र की सरकारी नीति और नियम के विरोध में जिसका मूल आधार ही देश और उसकी संपत्ति की रक्षा करना है ! यह सिर्फ अनुचित और निंदनीय ही नहीं घोर दंडनीय अपराध है । जिसकी सजा उन्हें और उनके पीछे छिपे लोगों के साथ उन्हें भी मिलनी ही चाहिए, जो किसी भी नैतिक या अनैतिक, हिंसा या अहिंसा के माध्यम से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें इस तरह के विरोध-प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करते हैं । उनके हिंसक विरोध- प्रदर्शन को अपने षड्यंत्रकारी और पापी समर्थन की शक्ति देते हैं । वास्तव में ऐसे लोगों को दंडित करके ही हम लोकतंत्र को ज्यादा मजबूत और लोकतांत्रिक व्यवस्था को ज्यादा धारदार, असरदार और शक्तिशाली बना सकते हैं । अब सीधी और खरी बात सेना को लेकर वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निवीर योजना और उसके नियम नीति की । इसको जब तक राष्ट्र प्रथम और राष्ट्रहित सर्वोपरि के व्यापक दृष्टिकोण से नहीं सोचा समझा जाएगा, इस पर किसी भी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए । इसको लेकर हिंसक विरोध या धरना-प्रदर्शन की तो दूर-दूर तक गुंजाइश ही नही होनी चाहिए । अग्निवीरों की बहाली का कार्यक्षेत्र, देश का सबसे विश्वसनीय, सम्मानित, और उत्कृष्ट विभाग है, जिसे हम बोलचाल की भाषा में सैन्य विभाग या सैना के नाम से जानते हैं । यह एकमात्र ऐसा विभाग या क्षेत्र है, जिसके साथ देश के हर जागरूक और जिम्मेवार नागरिक के साथ हर साधारण आदमी, वह महिला हो या पुरुष, वृद्ध हो या बच्चा, खुद से भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ महसूस करता है । जिसके प्रति वह जाति, धर्म और रंग रूप के हर भेद भूलकर अपनत्व का एक अटूट आत्मीय संबंध रखता है । क्या उस अत्यंत महत्वपूर्ण, प्रसंशनीय, गौरवशाली और उत्कृष्ट सम्मानित क्षेत्र में सेवा देने को तैयार रहने वाले किसी युवा से वैसे आचरण की आशा कोई भी नागरिक कर सकता है, जैसा बेहद निंदनीय और शर्मनाक आचरण इन दिनों देश के कुछ युवा आपरूपी या फिर कुछ षड्यंत्रकारियों के बहकावे में आकर ही कर रहे हैं ? बिल्कुल नहीं । इस योजना के विरोध में होते ऐसे उपद्रव को लेकर सरकार का यह फैसला शत-प्रतिशत सही और स्वागत योग्य है कि रक्षा क्षेत्र में ऐसे लोगों की बहाली किसी भी हाल में नहीं की जाएगी, जो विरोध-प्रदर्शन के लिए हिंसक प्रदर्शन और सार्वजनिक तथा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं । उचित तो यह होगा कि भविष्य में ऐसे लोगों को किसी भी सरकारी नौकरी या सहयोग के लिए अयोग्य घोषित करने की भी जरूरी घोषणा कर दी जाए क्योंकि हिंसक या आसानी से किसी के बहकावे में आने की प्रवृति और आचरणगत कमजोरी वाले लोग किसी भी सरकारी पद पर कार्य करने के योग्य नहीं समझे जा सकते । बेहतर होगा कि देश का हर युवा सेना के मर्यादित क्षेत्र की गरिमा को ध्यान में रखते हुए सेना और सरकार के द्वरा बनाई गई अग्निवीर योजना के राष्ट्रीय महत्व और उदेश्य को जानते समझते हुए तत्काल इसके विरोध का रास्ता छोड़कर वर्तमान में लाई गई नीति और नियमों के अनुसार अपनी सेवा देने की तैयारी करे, यूं भी सेना के सर्वोच्च क्षेत्र की गरीमा, अनुशासन के साथ देश के लिए सेवा, समर्पण और त्याग से भरे युवा निःसंदेह भविष्य के उस पच्चीस प्रतिशत में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर लेंगे, जब चार साल बाद भी वे खुद को अपनी सेवा देते रहने के योग्य घोषित कर देंगे । शेष बाहर होते पचहत्तर प्रतिशत युवा भी राष्ट्र सेवा और दायित्व के भाव कर्म की अनमोल शिक्षा दीक्षा के साथ अपने प्रेरणादायक जीवन को इच्छानुसार अलग-अलग क्षेत्र में लगाएंगे । सेवा, सृजन और सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करेंगे । आशा है देश के युवा तत्काल सैन्य क्षेत्र की दूरदर्शी इस नई और प्रभावशाली अग्निवीर योजना के व्यापक राष्ट्रीय महत्व को जानते समझते हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन के सर्वथा अनुचित मार्ग को छोड़कर खुद को अग्निवीर बनाने का गौरवशाली प्रयास करेंगे और उसमें सफल भी होंगे । शुभकामनाओं के साथ, जय माँ भारती !