दक्षिण भारतीय फिल्में बॉलीवुड के लिए एक थप्पड़ हैं

सुनील पाराशर

हमारे देश में दो चीजों को हमेशा ही आदर से देखा जाता है एक तो माँ और दूसरा सिनेमा इसलिए हमारे देश में सबसे अधिक फिल्मे बनाई और देखी जाती है जितना भाषाएँ है उतनी फिल्मे हिंदी, मराठी, तमिल, तेलगु, उड़िया,मलयालम, हरयाणवी,पंजाबी और न जाने किस किस भाषा की जिससे लाखों लोगों को व्यवसाय भी मिलता है और फिल्मो के द्वारा टूरिज़म को भी बढ़ावा मिलता है. हर सिनेमा उद्योग की अपनी खूबियां और खामियां हैं। ये कहना ग़लत नहीं होगा दक्षिण भारतीय सिनेमा का बेहतरीन काल है लेकिन हिंदी सिनेमा से उसकी तुलना करना गलत है जब से साउथ की फिल्मो को दर्शक मिले है तब से ये सवाल उठने लगा है की साउथ की फिल्मो की सफलता हिंदी फिल्मो के लिए ख़तरा बनती जा रही है, क्या बॉलीवुड ने कभी उत्कृष्ट कृतियों और यथार्थवादी फिल्मों का निर्माण नहीं किया है या लोग जानबूझकर बॉलीवुड की अच्छी फिल्मों की उपेक्षा कर रहे है , जबकि ऐसा नहीं है हिंदी सिनेमा ने आम ज़िंदगी की छोटी जरूरतों व समस्याओ को बेहतर तरीके से दिखाया है जिससे दर्शक जुड़ा हुआ महसूस करता है. भारत में हमेशा ही हिंदी फिल्मों का वर्चस्व रहा ऐसा इसलिए भी रहा क्यों की भारत में जब फिल्मो की शुरुआत हुई वो हिंदी फिल्म राजा हरिश्चंद्र रही जिसको लोगों ने भरपूर प्यार दिया क्योंकि उस समय ये एक अजूबा था धीरे धीरे कई भाषाओं में फिल्में बनती रही और हमारे देश का मनोरंजन स्थल बन गया सिनेमा जैसे जैसे देश तरक्की करता गया फिल्मों में भी नई तकनीक आने लगी और आज हम विश्व में सबसे ज्यादा फिल्म बनाए जाने वाले देशों में गिने जाते है समय के साथ साथ फिल्म में परिवर्तन आने लगे अब फिल्मे डब होने लगी और हिंदी दर्शकों को चॉइस मिलने लगी अब देशी विदेशी निर्माता हिंदी दर्शकों को बिजनेस के रूप में देखने लगे और अच्छी से अच्छी डबिंग करने लगे जो लोगों को पसंद आने लगी। कुछ समय बाद ऐसा लगने लगा की हिंदी फिल्मों में कहानी का अकाल पड़ने लगा, और पिछले दस पंद्रह वर्षो से साउथ की फिल्मो का हिंदी फिल्मो पर प्रभाव पढ़ने लगा जिसकी शुरआत हुई अपरिचित फिल्म से जिसने सिनेमाघर में रिकॉड तोड़ सफलता हासिल की इसके साथ ही सलमान खान की लगातार हिट फिल्म तेरे नाम, वॉन्टेड, रेड्डी जैसी फिल्मे साउथ की रीमेक ही थी जिसको दर्शको ने प्यार दिया और आज हम रीमेक से जायदा साउथ डब फिल्म देखना पसंद करने लगे है क्यों की दर्शको स्टोरी,एक्शन स्पेशल इफक्ट्स और मनोरंजन उन फिल्मों से मिलने लगा है इन फिल्मो को देखकर लगता है हम हॉलीवुड को टक्कर दे सकते है साउथ के निर्देशक राजा मोली जिन्होंने बाहुबली बनाई और उसकी सफलता किसी से छुपी नहीं है जब तक उसका दूसरा पार्ट नहीं आ गया हर जगह एक ही सवाल था बाहुबली को कटप्पा ने क्यों मारा उसका जवाब पहली बाहुबली से बेहतर दूसरे पार्ट में दिखा दिया और पुष्पा का रंग तो देशी ही नहीं विदेशी लोगों सर चढ़कर बोला में झुकेगा नहीं साला या तेरी झलक अशर्फी गीत ने धूम मचा रखी है ये खत्म नहीं हुआ था की राजा मोली की आर आर आर ने धूम मचा दी और इन दिनों चल रही के. जी. एफ. फिल्म दर्शकों को बेहद पसंद आ रही है इन फिल्मो के सफलता से बॉलीवुड घबरा गया है अब उनको कुछ नया करना पड़ेगा और दर्शको को वापस अपनी और खींचना होगा हिंदी फिल्मों ने विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है जिसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती देखा जाये तो अब लोग सिनेमा से अलग हटकर वेब सीरीज़ की तरफ बढ़ रहे जिसमे एडवेंचर, रियल्टी, सेक्स और अलग मूड की कहानियां है जिसको दर्शक देखना पसंद करने लगे है जिसके दूसरे पार्ट का इंतज़ार लोग करते है ,