सचिन पायलट के कांग्रेस छोड़ने और नई पार्टी बनाने के कयास अफ़वाह ही साबित हुए

  • लेकिन अभी भी गहलोत से मतभेद और मनभेद खत्म नही हुए

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली : राजस्थान के पूर्व उप मुख्य मन्त्री सचिन पायलट द्वारा ग्यारह जून को कांग्रेस को छोड़ने और नईपार्टी की घोषणा करने के कयास रविवार को अफ़वाह ही साबित हुए । हालाँकि सचिन पायलट अभी भीअपनी माँगों से पीछे हटने के लिए तैयार नही दिखें और इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिए गएस्पष्टीकरण से भी संतुष्ट नही दिखें । साथ ही अपने तीखे तेवरों का प्रदर्शन करते हुए वे मुख्यमंत्री अशोकगहलोत का नाम लिए बिना उन पर व्यंग बाण छोड़ने से भी नहीं चुके।

दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ़ खुले संघर्ष का ऐलान करते हुए सचिन पायलट ने पिछलें ग्यारह अप्रेल को जयपुर के शहीद स्मारक पर एक दिन का उपवास और ग्यारह मई को अजमेर सेजयपुर की पदयात्रा पूरी करने पर विशाल सभा का आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन किया था । उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के खिलाफ़ लगाए आरोपों की जाँच, पेपरलीक मामले में आरपीएससी को भंग करने तथा पेपरलीक से प्रभावित युवकों को मुआवज़ा देने की अपनी तीन प्रमुख माँगों को पूरा करने के लिए गहलोतसरकार को 31 मई तक की मोहलत दी थी और ऐसा नही करने पर खुला जन संघर्ष का ऐलान भी किया थाजिसके कारण यें कयास लगाए जा रहें थे कि सचिन पायलट अपने पिता दिवंगत राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर ग्यारह जून को कोई बड़ी घोषणा कर सकते है लेकिन इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्षमल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी की मध्यस्थता से दोनों नेताओं को दिल्ली बुला कर कराई गईसुलह की खबरों के कारण इसकी सम्भावनाएँ काफी कम रह गई थी और रविवार को ऐसा ही हुआ । सचिनपायलट ने ऐसी कोई घोषणा नही की लेकिन वे अपने विरोधियों पर व्यंग बाण छोड़ने में पीछे नही रहें। इससेयह बात साफ़ हो गई कि राजनीतिक मजबूरियों में भले ही गहलोत और सचिन गुटों में कोई सुलह सार्वजनिकरूप से साया हो जायें लेकिन उनके मतभेदों से अधिक मनभेद की दरारें अभी भी नही भरी है और शायद निकटभविष्य में भी पूरी तरह से भरती दिखाई नही देती। यदि ऐसे ही हालात बने रहें तो इस वर्ष नवम्बर-दिसम्बर मेंहोने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका नुक़सान उठाना पड़ सकता है।हालाँकि गहलोत और पायलटदौनों को पार्टी का ऐसेट बताने वाले राहुल गाँधी हर हालात में दोनों के दिल मिलाने के प्रयासों में जुटे है। बतायाजा रहा है कि सचिन पायलट के युवकों में क्रेज़ और अशोक गहलोत की लोकप्रिय योजनाओं के कारण कांग्रेसहाई कमान द्वारा सचिन पायलट को चुनाव संयोजन समिति का चेयरमेन और गहलोत के नेतृत्व में आगामीचुनाव लड़ने की रणनीति बनाई जा रही है।

यह बात साफ़ हो गई है कि वर्तमान में गहलोत के पास विधायकों का बहुमत है इसलिए विधानसभा चुनाव सेपहले पंजाब की तरह गहलोत अथवा प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा को बदलने का प्रश्न ही नही उठता।सचिन पायलट के आज के कार्यक्रम में भी बमुश्कील नौ दस विधायक और कुछेक मंत्री ही शरीक हुए उनमें भीगहलोत समर्थक मंत्री और विधायक भी शामिल थे।

गहलोत समर्थकों का कहना है कि स्वर्गीय राजेश पायलट और मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्रीइन्दिरा गाँधी और राजीव गांधी के समय से ही एक साथ काम किया और राजेश पायलट की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्युके बाद भी हमेशा सचिन पायलट को कभी राजस्थान से बाहर का नेता नही मान अपने भतीजे की तरह संरक्षणदिया लेकिन बक़ौल गहलोत हर गलती कीमत माँगती है के अनुसार सचिन पायलट के विद्रोही तेवरों और पार्टीसे बगावत के कारण उन्हें प्रदेश के उप मुख्य मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दोनों पदों से लम्बे समय से विमुखहोना पड़ा है। अभी भी उन्हें यह बात समझ लेनी चाहिए कि बेटा बन ही हक़ पाता जा सकता है बाप बन करनहीं।

इधर रविवार को अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर पायलट ने एक बार फिर अपने विरोधियों परनिशाना साधा और दौसा में राजेश पायलट की मूर्ति के अनावरण के बाद सभा को संबोधित करते हुए गहलोतके एक बयान का जवाब हुए कहा कि जो लोग कहते हैं कि पेपरलीक मामले पर मुआवजे की मांग बुद्धि कादिवालियापन है। उन्हें अपनी ही बात कि हर गलती कीमत माँगतीं है पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा किसच्चे मन से गरीब, नौजवानों आदि की मदद करने के लिए बड़ा दिल होना चाहिए।

गौरतलब है कि इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट की मांगें मानने से इनकार करते हुए पेपरलीकमामले पर मुआवजे की मांग को बुद्धि का दिवालियापन बताया था।

वहीं वसुंधरा सरकार के घोटालों का जिक्र करते हुए पायलट ने कहा कि मैं पांच साल प्रदेशाध्यक्ष रहा तोवसुन्धरा सरकार के दांत खट्‌टे कर दिए। मैंने साल के 365 दिन वसुंधरा सरकार का विरोध किया। लेकिनकभी कोई गलत बात नहीं कही, यदि उन्होंने खान आवंटित की, मामला उठा तो कैंसिल कर दिया, लेकिनइसकी जांच तो होनी चाहिए। उन्होंने गहलोत जा नाम लिए बिना कहा कि किसी ने सही कहा है कि हर गलतीसजा मांगती है।

सचिन पायलट यहाँ तक ही नही रुकें,उन्होंने कहा कि हमारे आपस में कैसे भी संबंध हों, सबसे बड़ा न्याय नीलीछतरी वाला ही करता है। आज नहीं तो कल न्याय जरूर मिलेगा।

पायलट ने दौसा के गुर्जर छात्रावास में अपने पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्यतिथि परआयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि राजेश पायलट ने छोटे से किसान के घर में जन्म लेकर ऊंचाई परपहुंचकर अपना दामन साफ रखा है, यह एक राजनेता की सबसे बड़ी सफलता है।

उन्होंने कहा कि मैंने जो आवाज उठाई है, उससे पीछे हटने वाला नहीं हूं। हम किसी पद पर हों या न हों, जनताहमेशा याद रखती है कि नेता कहते क्या थे और करते क्या है ? राजनीति में जनता की विश्वसनीयता ही सबसेबड़ी पूंजी होती है। मैंने कभी ऐसा कोई काम नहीं किया, जिससे इस विश्वास में कमी आ सके… आगे भी यहकमी नहीं आने दूंगा।

पायलट ने कहा कि परिस्थिति कोई भी हो, मैं आप लोगों के लिए संघर्ष करूँगा और न्मेरा याय दिलाने कावादा आज भी है और कल भी रहेगा।

पायलट बोले कि राजनीति में अपनी बात रखना जरूरी है, बेबाकी से बोलना, सच्चाई और ईमानदारी के साथविपरीत परिस्थितियों में समझौता न करना मुझे अपने पिता राजेश पायलट ने सिखाया है। मेरी आत्मा जोबोलती है, वही जनता भी बोलती है।

पायलट ने अपनी बात पर जोर देकर बोला कि राजनीति में भ्रष्ट लोगों और भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं होनीचाहिये। भविष्य में यदि निराशा दिखती है तो मेहनत करने का मन नहीं करता है। मुझे भी राजनीति में 20 सालहो गए, मैंने हमेशा नौजवानों का भविष्य बेहतर बनाने के लिए काम किया है। मेरी आवाज में बुलंदी मेरे पिता केकर्म क्षेत्र दौसा के लोगों के कारण है।

उन्होंने कहा कि राजेश पायलट ने छोटे से किसान के घर में जन्म लिया और ऊंचाई पर पहुंचकर भी अपना दामनसाफ रखा उनके जहन में गरीब और वंचित रहते थे।

सचिन ने सभा में बड़बोले मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को अपने पैतृक गांव बैदपुरा के लिएजल्दी निकलने के बहाने भाषणदेने से रोक कर कोई भी कोंट्रोवरसी नही होने देने का ध्यान रखा।

दिवंगत राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने के लिए भंडाना स्थित स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में चिकित्सामंत्री परसादी लाल मीणा, महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला, खाद्य एवंनागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, मंत्री हेमाराम चौधरी, कृषि विपणन राज्य मंत्री मुरारीलालमीणा आदि पहुंचे थे।

वहीं विधायकों में सचिन समर्थक विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत, ओमप्रकाश हुडला, मुकेश भाकर, रामनिवासगावड़िया, खिलाड़ी राम बैरवा, इंद्राज गुर्जर, जीआर खटाना, राकेश पारीक एवं सुरेश मोदी समेत जयपुर कीपूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल, पूर्व विधायक नसीम अख्तर, नवीन पिलानिया, महेंद्र सिंह रलावता व महेंद्र मीणाआदि प्रार्थना सभा में मौजूद रहे।

दौसा के गुर्जर छात्रावास में आयोजित राजेश पायलट की मूर्ति अनावरण कार्यक्रम में मंत्री हेमाराम चौधरी, मुरारी लाल मीणा, राजेंद्र गुढ़ा ही शामिल हुए। वहीं खादी बोर्ड अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा, प्रदेश कांग्रेसउपाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी, राजस्थान यूनिवर्सिटी अध्यक्ष निर्मल चौधरी आदि कई अन्य नेता भी मौजूद रहें।

  • राजनीतिक घटनाओं पर नज़दीक से निगाहें रखने वाले लोगों का मानना है कि विदेश से लोटने के बाद यदिराहुल गाँधी राजस्थान की राजनीतिक परिस्थितियों को समय रहते कण्ट्रोल नही करेंगे तथा पार्टी के दोनोंदिग्गजों गहलोत और पायलट के मध्य समन्वय नही कराएँगे तों पिछले साढ़े चार वर्षों में गहलोत सरकार द्वाराकिए गए बेहतर कार्यों से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के रीपीट होने के प्रयासों पर पानी फिर सकता है। विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता राजेन्द्र राठौड़ सचिन पायलट को अपने मुद्दों पर डटे रहने के लिए उकसा रहें है और कहरहें है कि अन्यथा लोग इसे कुर्सी पाने का खेल कहेंगे ।