रविवार दिल्ली नेटवर्क
- शिक्षण संस्थानों के आस-पास की दुकानों पर छापेमारी करवाए प्रदेश सरकार
- यह दुकानें और खोखें ही बने हुए हैं नशे के कारोबार का मुख्य केंद्र
- सेवानिवृत प्रशासनिक अधिकारी बी.आर. कौंडल ने सरकार को दिया सुझाव
- मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता के माध्यम से सरकार के समक्ष रखी अपनी बात
- कहा- कार्रवाई न करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान करे सरकार महिला मंडलों को सौंपे सरकार अहम जिम्मेदारी, ऐसे होगा नशे का खात्मा
मंडी : हिमाचल प्रदेश सरकार से सेवानिवृत अधिकारी एवं अधिवक्ता बी.आर. कौंडल ने प्रदेश सरकार को सुझाव दिया है कि सरकार शिक्षण संस्थानों के आस-पास की दुकानों पर छापेमारी करवाए और इस प्रक्रिया को नियमित प्रक्रिया भी बनाए। क्योंकि शिक्षण संस्थानों के पास की कुछ दुकानें और खोखे ही नशे के काले कारोबार का मुख्य केंद्र बने हुए हैं। बी.आर. कौंडल ने यह सुझाव आज मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता के माध्यम से दिया।
उन्होंने कहा कि छोटे-बड़े सभी शिक्षण संस्थानों के बाहर नशे का काला कारोबार चल रहा है। इसमें पुलिस के कुछ लोगों की भी मिलीभगत होती है जिस कारण ही यह कारोबार खूब फल फूल रहा है। पुलिस विभाग और प्रदेश सरकार के जो आंकड़े दर्शाए जाते हैं वो धरातल के कोसो दूर हैं। सरकार को चाहिए कि जिनकी जबावदेही बनती है उनके खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान करे, तभी चिट्टे और अन्य जानलेवा नशों की बिक्री पर रोकथाम लग सकती है।
बी.आर. कौंडल ने कहा कि आज दुर्गम क्षेत्रों में नीजि और वन भूमि पर बड़े स्तर पर भांग और अफीम की खेती की जा रही है जबकि विभाग के पास ऐसा कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस, वन और राजस्व विभाग की संयुक्त टीमों का गठन किया जाना चाहिए। ग्रामीण स्तर पर नशे की रोकथाम में महिला मंडल सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए इन्हें पुलिस की पूरी प्रोटेक्शन के साथ कार्रवाई की अनुमति दी जानी चाहिए।
बी.आर. कौंडल ने अपने यह सुझाव प्रदेश सरकार को भी भेजे हैं और उम्मीद जताई है कि सरकार इस दिशा में कार्य करके नशे के काले कारोबार पर रोकथाम लगाने का प्रयास करेगी।