ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल का कथन- राज्यों में होगा परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार

Statement of Energy Minister Manohar Lal- Nuclear power plants will be expanded in the states

प्रमोद भार्गव

केंद्र सरकार अब देष में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने की दृश्टि से ज्यादातर राज्यों में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी। ये संयंत्र केवल उन राज्यों में नहीं लगाए जाएंगे, जो भूकंप प्रभावित राज्य हैं। ऐसा इसलिए जरूरी है, क्योंकि भविश्य में जब कार्बन उत्सर्जन नियंत्रित करने के लिए ताप बिजली संयंत्रों पर निर्भरता खत्म की जाए तो परमाणु ऊर्जा जैसे विष्वसनीय व पर्यावरण को न्यूनतम हानि पहुंचाने वाले ऊर्जा स्रोतों को विद्युत आपूर्ति के लिए प्रयोग में लाया जा सके। सरकार ने इस साल के आम बजट में वर्श 2047 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को मौजूदा 8000 मेगावाट से बढ़ाकर एक लाख मेगावाट करने का लक्ष्य रखा है। इस उद्देष्य की पूर्ति के लिए देष में अनेक छोटे छोटे परमाणु ऊर्जा रिएक्टर आधारित संयंत्र लगाए जाने की तैयारी में केंद्र सरकार हैं।

ऊर्जा मंत्री मनोहरलाल ने कहा है कि ‘वर्श 2037 के बाद ताप विद्युत बिजली उत्पादन संयंत्र नहीं लगाए जाएंगे।‘ यह वर्श 2070 तक षून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने की दिषा में बड़ी पहल है। इस बदली स्थिति में जिन राज्यों में ताप बिजली संयंत्र बंद किए जाएंगे, वहां परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से बिजली का उत्पादन होगा। निजी क्षेत्र की कंपनियों को भी इन संयंत्रों के लगाने का दायित्व सौंपा जाएगा। जम्मू-कश्मीर, गुजरात का कुछ भू-भाग, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के कुछ क्षेत्रों में भूकंप की संभावना हमेशा ही बनी रहती है। इसलिए इन क्षेत्रों में ये संयंत्र नहीं लगाए जाएंगे। भारत के अभी महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान और उप्र में ही परमाणु ऊर्जा संयंत्र बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। इनकी संयुक्त बिजली उत्पादन क्षमता 8000 मेगावाट से कुछ कम हैं। जबकि सरकार द्वारा 12,000 मेगावाट क्षमता की बिजली उत्पादन की मंजूरी इन संयंत्रों को मिली हुई है। हालांकि भारत सरकार के उपक्रम परमाणु ऊर्जा निगम ने मध्यप्रदेश में चार नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने की मंजूरी हाल ही में दी है। जल्दी ही ये संयंत्र नीमच, देवास, सिवनी और शिवपुरी में लगेंगे। सब कुछ सही रहा तो जल्दी ही इन परियोजनाओं पर काम शुरू हो जाएगा। इन संयंत्रों के षुरू हो जाने पर 1200 मेगावाट की अतिरिक्त बिजली पैदा होगी। भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता पिछले 10 साल में करीब दोगुनी हो चुकी है। 2031 तक इसके तीन गुना होने की उम्मीद है। बिजली मंत्री ने यह भी बताया कि फिलहाल देश में बिजली उत्पादन की कुल स्थापित क्षमता 4.72 लाख मेगावाट हैं, जिसमें 2.40 लाख मेगावाट कोयला आधारित ताप विद्युत है। वहीं 2.22 लाख मेगावाट उत्पादन क्षमता नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से है। दिसंबर 2025 तक इस नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन 2.50 लाख मेगावाट हो जाने की उम्मीद है, इस लक्ष्य की पूर्ति हो जाने पर भारत उन देषों में षामिल हो जाएगा, जिनमें ताप संयंत्रों से ज्यादा बिजली का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों से होता है।

भारत की जिस तेजी से आबादी और अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, उसके प्रबंधन और सुचारू सुविधा के लिए षहरीकरण के साथ ऊर्जा की उपलब्धता आवष्यक है। इसी नजरिये से परमाणु ऊर्जा का उत्सर्जन बढ़ाने की दिषा में तेजी से प्रगति के उपाय षुरू हो गए हैं। भीशण गर्मी के चलते इस साल बिजली की मांग 2.41 लाख मेगावाट के चरम पर पहुंच चुकी है। ऊर्जा मंत्री मनोहरलाल का दावा है कि वर्तमान समय में देष में बिजली की आपूर्ति और मांग के बीच महज 0.1 प्रतिषत का अंतर है।

जबकि 12 साल पहले 2013 में आपूर्ति की तुलना में मांग 4.2 प्रतिशत अधिक रहती थी। किसी विशेष स्थिति में यह मांग 2.70 लाख मेगावाट भी हो जाती है। ऐसे में विद्युत की कमी पूरी हो और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन भी न हो, इस मकसद पूर्ति के लिए परमाणु ऊर्जा उपयुक्त मानी जाती है। एक बार यदि कोई परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो जाता है तो लंबे समय तक ऊर्जा की आपूर्ति बनी रहती है। ताप विद्युत परियोजनाओं में कोयला जलाया जाता है। इस कारण बड़ी मात्रा में वायु प्रदूशित होती है। जो अनेक बीमारियों का कारण बनती है। ऐसा अनुमान है कि दुनिया में एक साल में करीब 15 लाख मौतें वायु प्रदूषण से होती हैं। अतएव जीवाश्म ईंधन से बिजली पैदा करना मानव आबादी को बीमार बनाए रखना है। जबकि परमाणु ऊर्जा से पैदा बिजली कार्बन मुक्त होने के साथ सस्ती भी होती है। भारत में कुल ऊर्जा के उत्पादन में 80 प्रतिषत बिजली केवल जीवाष्म ईंधन के रूप में कोयला को ताप विद्युत घरों में जलाने से प्राप्त होती है। हालांकि देष में पानी, सौर्य और वायु ऊर्जा भी बड़ी मात्रा में उपलब्ध होने लगी है। जीवाष्म ईंधन के ये बड़े विकल्प बनकर सामने आए हैं। लेकिन सौर्य और पवन ऊर्जा के उत्सर्जन में मौसम की बड़ी भूमिका रहती है। अतएव तेज हवाएं नहीं चलने पर पवन ऊर्जा का निर्माण धीमा पड़ जाता है। इसी तरह बारिष और ठंड के मौसम में सूरज का ताप मंदा हो जाने से सौर्य ऊर्जा का उत्पादन कम हो जाता है। परमाणु ऊर्जा के लिए थोरियम की उपलब्धता जरूरी है। ये अच्छी बात है कि भारत में थोरियम केरल और बिहार में बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। थोरियम धातु को वायु में गरम करने पर इससे चिंगारियां फूटती हैं, जो ऊर्जा मुक्त होती हैं। भारत में भविष्य के ईंधन के रूप में थोरियम को परमाणु ऊर्जा में बदलने के उपायों पर काम तेजी से चल रहा है। देश में फिलहाल 8 परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में 23 परमाणु रिएक्टर चालू हैं।

परमाणु ऊर्जा को बढ़ाने की दृश्टि से 2024-25 के आम बजट में लघु परमाणु संयंत्रों के लिए सरकार ने बड़े बजट का प्रावधान किया है। परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में यह नया प्रयोग है। पहली बार निजी कंपनियों को लघु परमाणु संयंत्र समूचे देष में स्थापित करने का अवसर दिया गया है। साथ ही मॉड्यूलर (प्रतिरूपक) रिएक्टर के आधुनिकीकरण के लिए शोध और विकास पर भी धनराशि खर्च की जा रही है। जिससे परमाणु ऊर्जा में नई प्रौद्योगिकी का विकास हो। इसे पीपीपी मॉडल पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसका उद्देष्य देष में स्वच्छ एवं वैकल्पिक बिजली को बढ़ावा देना है। साथ ही प्रधानमंत्री सूर्य घर निषुल्क बिजली योजना के तहत छतों पर जो सौर संयंत्र लगाए जा रहे हैं, इन पर भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली छूट जारी रहेगी। अभी तक इस योजना के लाभ के लिए 1.28 करोड़ परिवार पंजीयन करा चुके हैं और 14 लाख आवेदन विचाराधीन हैं। छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) उन्नत परमाणु संयंत्र माने जाते हैं। इनकी बिजली उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट प्रति इकाई है, जो पारंपरिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की बिजली उत्पादन क्षमता की तुलना में एक तिहाई है। ये संयंत्र न्यूनतम कार्बन बिजली का उत्पादन करते हैं।

विकसित भारत के लिए ऊर्जा की उपलब्धता एक बड़ी जरूरत है। इसलिए सरकार सिर्फ पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर नहीं रहना चाहती है। इसीलिए सौर और पवन ऊर्जा पर सरकार पहले ही काफी कुछ कर चुकी है। अतएव अब फोकस परमाणु ऊर्जा पर है। क्योंकि इसमें संभावनाएं अधिक है। लेकिन परमाणु ऊर्जा उत्पादन में सुरक्षा के सवाल आड़े आते रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा को सरकार सचेत है। ऊर्जा बदलाव के संबंध में एक नीतिगत उपाय किए जा रहे है। इनसे तय होगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में किस तरह से पारंपरिक ऊर्जा की जगह धीरे-धीरे अपारंपरिक ऊर्जा के स्रोत का महत्व बढ़ रहा है। इस नीतिगत उपाय के तहत रोजगार, विकास और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों का भी समाधान होगा। अतएव इसी परिप्रेक्ष्य में निकेल, कोबाल्ट, तांबा और लिथियम जैसी धातुओं के उत्पादों के आयात पर षुल्क क्रमषः घटाया जा रहा है। इन उत्पादों का प्रयोग परमाणु और सौर ऊर्जा के साथ दूसरे ऊर्जा उत्सर्जन उपायों में भी होता है। आयात सस्ता होने से इनका निर्माण भारत में करने में आसानी होगी। यही नहीं परमाणु ऊर्जा, नवीनीकरण ऊर्जा और अंतरिक्ष एवं रक्षा क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाली 25 धातुओं पर सीमा शुल्क को पूरी तरह खत्म कर दिया है। हाल ही के वर्षों में कुछ देशों ने छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में सफलता मिली है। इसी का अनुकरण भारत कर रहा है।

भारत में एक ओर अर्से से अटकी परमाणु बिजली परियोजनाओं में विद्युत का उत्पादन षुरू हो रहा है, वहीं निजी निवेष से परमाणु ऊर्जा बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सूरत जिले के तापी काकरापार में 22,500 करोड़ रुपए की लागत से बने 700-700 मेगावाट बिजली उत्पादन के दो परमाणु ऊर्जा संयंत्र 22 फरवरी 2024 को राश्ट्र को समर्पित कर दिए हैं। ये देश के पहले स्वदेशी परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं। ये उन्नत सुरक्षा सुविधाओं से युक्त हैं। ये संयंत्र प्रतिवर्ष लगभग 10.4 अरब यूनिट स्वच्छ बिजली का उत्पादन करेंगे, जो गुजरात में बिजली की आपूर्ति के साथ अन्य प्रांतों को भी बिजली देंगे। ये संयंत्र षून्य कार्बन उत्सर्जन की दिषा में आगे बढ़ने की दृश्टि से मील का पत्थर साबित होंगे।

दूसरी तरफ भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों से 26 अरब डॉलर का निवेष आमंत्रित किया है। यह पहल ऐसे स्रोतों से बिजली बनाने की मात्रा बढ़ाने की दिषा में उठाया गया कदम है, जो वायुमंडल में प्रदुशण और तापमान बढ़ाने वाले कार्बनडाड ऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करते हैं। यह पहली बार है जब परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सरकार निजी कंपनियों से पूंजी निवेष की मांग कर रही है। फिलहाल भारत में परमाणु ऊर्जा कुल बिजली उत्पादन की तुलना में महज दो प्रतिषत भी नहीं है। यदि यह निवेष बढ़ता है तो 2030 तक अपनी स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिषत गैर जीवाष्म ईंधन के उपयोग से प्राप्त लक्ष्य को हासिल करने में सहायता मिलेगी।