मानवीय संवेदनाओं का चित्रण कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’

Story collection depicting human sensitivities ‘Woh Mile Facebook Par’

सुरेन्द्र अग्निहोत्री

पंजाब के खोजी पत्रकार, लेखक तथा प्रतिष्ठित कनाडाई पत्रकार फैबियन डावसन के साथ मिलकर जस्टिस फॉर जस्सी सहित अनेक पुस्तकों के लेखक जुपिन्द्रजीत सिंह का कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’ मेरे हाथों में आया तो बस पढ़ता ही चला गया। उनकी कहानियाँ मन-मस्तिष्क को झिंझोड़ती ही नहीं, बल्कि मस्तिष्क में अपने लिए एक कोना स्वयं ही तलाश कर जगह बना लेती हैं। साथ ही पाठक को सोचने पर विवश कर देती हैं और एक सामाजिक संदेश उन कहानियों में होता है। जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ावों को लेखका ने बहुत ही सलीके से तराशा है। उनके पात्र अपने इर्द-गिर्द के ही महसूस होते हैं। कहानी का शीर्षक ’वो मिले फेसबुक पर’ अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है। आवरण पृष्ठ की साज-सज्जा आकर्षक है। मानवीय संवेदनाओं और पुष्प को चित्रित करता आवरण पृष्ठ कहानी-संग्रह के बारे में बड़ी खामोशी से बहुत कुछ कह जाता है, बस हमें ध्यान से देखने की जरूरत भर है उसे ।जुपिन्द्रजीत सिंह का यह कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’ अपने आप में एक अद्भुत रचना है। जिस समाज में आज झूठ का ज्यादा बोलबाला है, उस समाज में लेखक ने सच का दीया हाथ में लेकर समाज को एक नई दिशा दिखाने का सफल प्रयास किया है। 36 कहानी रूपी पंखुडियों में सिमटा ’’वो मिले फेसबुक पर’’ अपनी खुशबू से पाठकों को महकाता है ही, साथ ही वेदना को बखूबी बयाँ कर जाता है। 192 पृष्ठों का कहानी-संग्रह अपनी बात प्रभावशाली ढंग से कहने में पूरी तरह सफल है। पहली कहानी’एक छोटी सी प्रेम कथा’ एक मर्मस्पर्शी कहानी है। यह प्रगतिशील सोच का प्रतिनिधित्व करती है। कहानी ’विस्थापित’ दिल को छू जाती है,विकास के नाम पर मनुष्य ही नहीं अपितु वृक्षों पक्षियों के विस्थापन के दर्द का अहसास होता है।

कहानी ’बस शान्ति बची रहे’ ,नियंत्रण रेखा पर शतरंज सहित कहानी-संग्रह की समस्त कहानियाँ बेहद खूबसूरत और संदेश देने वाली हैं । लेखक ने कहानियों के माध्यम से समाज की सोच में बदलाव लाने का प्रयास किया है, वह प्रशंसनीय है ।कहानी-संग्रह ’ वो मिले फेसबुक पर ’ की भाषा सरल तो है ही, वाक्यों की रचना भी काफी सशक्त है, जो अपनी बात कहने का पूरा दमखम रखते हैं । पारिवारिक-दांपत्य जीवन एवं मानवीय संबंधों की त्रासदी के समकालीन सत्य तथा स्त्री-मन के कोमल भाव जगत को चित्रित करती हैं। रचनाकार ने कुछ प्रासंगिक सामाजिक मुद्दों को भी अपनी कहानियों में उठाया है।

मस्तिष्क के प्रत्येक खांचे में जुपिन्द्रजीत सिंह जी की एक-एक कहानी इस प्रकार समा जाती है, जैसा कि उस पात्र को अपने आस-पास या बिल्कुल करीब से देखा हो, यह उनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता है । अंत में इतना ही कहना चाहूँगा कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’ पाठको कों एक बार अपनी ’सोच’ को सोचने को विवश जरूर करेगा ।अंग्रेजी में लिखी स्टोरी का मीनाक्षी चौधरी ने हिन्दी में अनुवाद किया है।बेहतर शिल्पगत सजगता एवं सघनता से संपन्न कहानी-संग्रह ’वो मिले फेसबुक पर’ है ।

पुस्तक-वो मिले फेसबुक पर,
लेखक- जुपिन्द्रजीत सिंह
प्रकाशक- शतरंग प्रकाशन, एस-43 विकासदीप,स्टेशन रोड, लखनऊ-226001
मूल्यः 350/-