
प्रियंका सौरभ
सीने में ज्वाला, निगाहों में अंगार,
फौलाद से भी सख्त हिंद का ललकार,
अब न केवल सरहदें कांपेंगी,
दुश्मन के दिल भी थर्राएंगे बार-बार।
लहू में खौलता इतिहास का गुस्सा,
हर कतरे में बसा प्रतिशोध का झोंका,
यह न सिर्फ युद्ध, यह प्रतिशोध है,
यह इज्जत का संग्राम है,
यह हिंद का अभिमान है।।
अबकी बार न रुकेंगे, न झुकेंगे,
हर गद्दार का हिसाब लेंगे,
इस बार न कूटनीति, न समझौता,
सीधा वार, आर या पार।
मिसाइलों की गर्जना, टैंकों का शोर,
हर कोने में गूंजेगा हिंद का जोर,
उधमपुर से कराची तक,
लद्दाख से बलूचिस्तान तक,
सियाचिन की चोटी से कराची के तट तक,
हर बंकर, हर चौकी, हर मोर्चा,
गूंज उठा ‘जय हिंद’ के नारों से।
धधक उठेगी जमीन, कांप उठेगा आसमान,
हर धमाके में गूंजेगा हिंदुस्तान,
न चट्टानें रोक पाएंगी, न नदियाँ बहा पाएंगी,
हर बंकर में लहराएगा तिरंगा।
हर गोली में वंदे मातरम्,
हर सांस में भारत मां का जयकार,
मिट जाएंगे, मगर झुकेंगे नहीं,
यही है हिंद का वचन, यही है रण का इकरार।
अबकी बार इतिहास नहीं,
भविष्य का युद्ध है ये,
सिर्फ जीतेंगे, सिर्फ मिटाएंगे,
भारत की अस्मिता, हर हाल में बचाएंगे।
जय हिंद! जय भारत!