केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शीघ्र ही विस्तार एवं फेरबदल की प्रबल सम्भावनाएँ

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र के समाप्त होने के साथ ही केंद्र में एनडीए की नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वालीसरकार के मंत्रिपरिषद में शीघ्र ही बड़े बदलाव होने के संकेत मिल रहें हैं । माना जा रहा है यह विस्तार कर्नाटकाचुनाव से पहलें भी हो सकता है अन्यथा चुनाव बाद तो इसे टाला नही जा सकता।

मोदी मंत्रिपरिषद का पिछला एक मात्र विस्तार जुलाई 2021 में हुआ था।

राजनीतिक विश्लेषण में जुटे लोगों का मानना है कि पीएम मोदी इस बार भी पिछलीं बार की तरह अपने मंत्रीपरिषद में बड़े पैमाने पर फेरबदल कर सकते है। बताया जा रहा है कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव कोदेखते हुए वे कांग्रेस शासित प्रदेशों और दक्षिणी राज्यों के सांसदों को अधिक प्रतिनिधित्व देंगे। लोकसभा आमचुनाव से पहलें मोदी मंत्रिपरिषद के संभवत आख़िरी विस्तार और फेरबदल की सुगबुगाहट शुरू होने के साथकई सांसदों ने अपने स्तर पर मंत्री पद हासिल करने के प्रयास आरम्भ कर दिए हैं।साथ ही आगामी लोकसभा मेंभी अपनी टिकट पक्की करने की क़वायद भी शुरू कर दी हैं।

बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुछ वर्तमान मन्त्रियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर मंत्रिपरिषद सेछुट्टी कर सकते हैं। पिछले विस्तार में उन्होंने इसी तर्ज पर 12 मंत्रियों की छुट्टी की थी। तब एक दर्जन मंत्रियोंको मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था। आगामी लोकसभा चुनाव में अब एक वर्ष से कुछ अधिक का समय ही शेषहैं, लेकिन भाजपा संगठन और केन्द्र सरकार के सरग़ना अभी से चुनावी रणनीति बनाने और उसकी सटीकक्रियान्वित में जुट गए है।

राहुल गाँधी की लोकसभा सदस्यता चले जाने के बाद विपक्षी दलों के एक साथ भाजपा के विरुद्ध गठबंधन कीसंभावना को देखते हुए बी जे पी और अधिक आक्रामक हो कर चुनाव दंगल में उतरना चाहती है। भाजपा इसबार 2019 से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रही है।केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तारएवं फेरबदल के साथ ही भाजपा के केंद्रीय संगठन में भी फेरबदल की खबरें है। इस वर्ष 2023 के अंत तककांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ ही भाजपा शासित मध्य प्रदेश के साथ ही मिजोरम औरतेलंगाना में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले उत्तर पूर्व के त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड राज्यों मेंहुए विधानसभा चुनावों में भाजपा बाजी मार चुकी है।

लोकसभा आम चुनाव से पहलें शेष प्रदेशों में होने वाले विधान सभा चुनावों को ‘सत्ता का सेमीफाइनल’ कहाजा रहा है ।इससे अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा के लिए मौंटे तौर पर मतदाताओं के मिज़ाज कापता चलेगा।

राजनीतिक के सूत्रों के अनुसार भाजपा का निशाना उत्तर भारत के हिन्दी भाषी प्रदेश हैं। विशेष कर राजस्थानएवं छत्तीस गढ़ की कांग्रेस सरकारों को सत्ता से बाहर करना हैं।ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राजनीतिकगलियारों में चर्चा है कि 2024 में होने वाले लोक सभा चुनावों को ध्यान में रखकर भाजपा के केन्द्रीय संगठनऔर एनडीए सरकार के मंत्रिपरिषद में विस्तार होगा। मंत्रिपरिषद में कर्नाटका, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थानऔर छत्तीसगढ़ के साथ ही उत्तर पूर्वी तथा दक्षिणी भारत आदि प्रदेशों के साथ ही देश की सबसे बड़ी आबादीवाले उत्तर प्रदेश से कुछ नए और अनुभवी सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है।

भाजपा कुछ जातियों के वोट बैंक को भी लामबंध करना चाहती है। भाजपा पंजाब में अपनी कमजोर पकड़ कीभरपाई दिल्ली में एक बड़ी जाट रैली कर करना चाहती है। जिसका फ़ायदा पार्टी को राजस्थान हरियाणा औरउत्तर प्रदेश में मिल सकता है।प्रधानमंत्री मोदी का फ़ोकस ओबीसी वोटों पर भी हैं जिनका प्रतिशत हर प्रदेश मेंएक बड़े वोट बैंक के रूप में हैं।

भाजपा ने पिछलें वर्षों में गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर, त्रिपुरा,मेघालय और नागालैंड आदि प्रदेशों में अपनी सरकारें बनाईहै। उसने अधिकांश प्रदेशों में अपनी सरकार को रिपीट किया है। गुजरात में तों भाजपा ने पिछलें सभी रिकार्डोंको ध्वस्त करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ सरकार में वापसी की है। हालांकि, भाजपा को हिमाचल प्रदेश में हारका मुँह देखना पड़ा है और वहाँ कांग्रेस की सरकार बनी है। इसके अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप ) भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए सिर दर्द बनी हुई हैं। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भी आप पार्टी के सामनेभाजपा को हार मिली है वहीं आप ने कांग्रेस को पंजाब में सत्ता से बाहर किया है।

भाजपा नए सिरे से सरकार के साथ संगठन में भी बदलाव कर हर हालात में आगामी लोकसभा चुनाव जीत करलगातार तीसरी बार सत्ता पर क़ाबिज़ होने में कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती हैं। दूसरी बार भाजपा केराष्ट्रीय अध्यक्ष बने जे पी नड्डा मोदी के चाणक्य केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्ग दर्शन में चुनाव रणनीतिको सतह पर उतारने में जुट गए है।बताया जाता है कि प्रदर्शन की कसौटी पर खरे नही उतरने वाले सांसदों कीटिकट इस बार संकट में पड़ने वाली हैं। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार भाजपा देश भर में गहन सर्वे करवा अपनेवर्तमान सांसदों और जीत की सम्भावनाओं वाले नेताओं के बारे में फ़ीड बेक रिपोर्ट तैयार करवा रहीं हैं।