सीता राम शर्मा ” चेतन “
उफ्फ ! ये षड्यंत्र, स्वार्थ, चोरी और सीनाजोरी के साथ धूर्तता, पाखंड, बेशर्मी की पराकाष्ठा है कि स्वतंत्रता प्राप्ती के बाद से देश की राजनीतिक व्यवस्था का मुख्य अंग रही कांग्रेस पार्टी आज वो सबकुछ कर रही है, जो ना किसी भी दृष्टिकोण से उचित है और ना ही स्वीकार करने योग्य ! कांग्रेस के चरित्र का खुलकर सामने आता यह सत्य और तथ्य अब तो कम से कम आम भारतीय जनमानस के साथ उसके मुख्य और साधारण कार्यकर्ताओं, प्रशंसकों, चाटुकारों में उस जरूरी परिवर्तन की मांग करता है जो देश के साथ उनके और उनकी अगली पीढ़ियों के लिए गंभीर रूप से अत्यंत आवश्यक है । अत्यंत आश्चर्य नहीं घोर दुखद आश्चर्य और स्वाभाविक उत्पन्न होते जरूरी क्षोभ के साथ यह लिखना कहना पड़ रहा है कि कांग्रेसी नेताओं और उसके तमाम समर्थकों के साथ आम जनता द्वारा उसकी देशविरोधो इन नीतियों का मूखर और कारगर विरोध नहीं करने की यह मूर्खता बेहद चिंतनीय, खतरनाक और आत्मघाती है । बेहद चिंतनीय आत्मघाती इस अत्यंत मूर्खतापूर्ण स्थिति का त्वरित विकल्प कोई जनजागरूकता कार्यक्रम, सरकारी संदेश, नीति, योजना या दूसरा कुछ भी नहीं हो सकता, इसका एकमात्र त्वरित समाधान है विवादित और धरना-प्रदर्शन होते ऐसे हर मुद्दे पर न्यायालय का त्वरित हस्तक्षेप । उसका न्यायपूर्ण कठोर आदेश । सरकार यदि करना चाहे तो वह यह करे कि ऐसे हर अनैतिक, अनावश्यक, षड्यंत्रकारी विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ कठोर कानून बनाए और फिर उसको पूरी कठोरता के साथ लागू भी करे । गौरतलब है कि इस दिशा में देश के भीतर की जो दयनीय स्थिति रही है उससे कठोरता से ही आसानी से उबरा जा सकता है । इस दिशा में यदि एक अंतिम मुश्किल का चिंतन सरकार को प्रभावित कर सकता है तो वह है अंतर्राष्ट्रीय दबाव और क्षोभ । इसके लिए जरूरी है कि सरकार दुनियाभर को सार्वजनिक तौर पर यह स्पष्ट संदेश दे कि वह हमारे देश के अंदरूनी मुद्दों और देश के सुरक्षित वर्तमान तथा भविष्य के लिए उठाए जाने वाले कार्योे में हस्तक्षेप ना करे । उसे अपने देश के सुरक्षित वर्तमान और भविष्य के लिए जो जरूरी काम हैं, करने का पूरा अधिकार है । अपनी परिस्थितियों के अनुसार उन्हें वह चाहे जितनी कठोर नीतियों, कानूनों और कार्रवाईयों के माध्यम से करे, किसी को भी उन पर मानवाधिकार या किसी दूसरे अनैतिक, अमान्य कुतर्कों के माध्यम से कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । ना ही ऐसे विषयों पर भारत किसी भी देश के अंदरूनी मामलों में कोई हस्तक्षेप या दुष्प्रचार करता है या भविष्य में ही करेगा । फिलहाल प्रमुखता से बात संदर्भित विषय कांग्रेस द्वारा देश भर में किए जा रहे आधारहीन और बेहद शर्मनाक हो-हल्ले, धरना-प्रदर्शनों की, तो उसके नेताओं, कार्यकर्ताओं, चाटुकारों और नासमझ समर्थकों को यह जानने समझने की जरूरत है कि ये हो-हल्ला, धरना-प्रदर्शन क्यों ? क्या आम जनता के विरूद्ध सरकार ने कुछ किया है ? या फिर क्या कांग्रेस के विरूद्ध सरकार ने कुछ किया है ? जवाब हर हाल में बेहद जरूरी तौर पर सबको सोचने, जानने और समझने की जरूरत है और वह बिल्कुल साफ है – नहीं । जिस मुद्दे पर कांग्रेस जोर-जोर से अपनी छाती पीटती, रूदन करती शोर मचा रही है, वह ना सरकार के द्वारा आम जनता के खिलाफ बनाई गई किसी नीति, किए गए या किए जाने वाले काम के विरोध में है और ना ही कांग्रेस पार्टी के खिलाफ किए गए किसी काम या षड्यंत्र के विरोध में । यह घोर अनैतिक और अक्षम्य विरोध सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस के कुछ नेताओं के भ्रष्टाचार को छिपाने, दबाने के लिए किया जा रहा है जिसमें मुख्य दोषी की भूमिका में वो गांधी परिवार है, जो पूरी कांग्रेस को अपनी प्राइवेट कंपनी की तरह चला रहा है । यहाँ सबसे बड़ा, महत्वपूर्ण और जरूरी सवाल यह भी कि यदि गांधी परिवार के ये दोनों सदस्य, जिन पर एक-दो नहीं नेशनल हेराल्ड केस में हजारों करोड़ के भ्रष्टाचार के आरोप हैं, यदि गलत हैं तो फिर इतना असहनीय डर और रूदन क्यों ? गौरतलब है कि इस संदर्भ में पूरी कांग्रेस और उसकी समर्थक जमात जिस केंद्र सरकार और उसके मुखिया पर बदले की कार्रवाई का सर्वथा आधारहीन आरोप लगा रही है, कभी केंद्र सरकार के उसी मुखिया ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए भी आरोप लगने पर हुई वैधानिक सुनवाई का स्वागत करते हुए बिना हो-हल्ला और धरना-प्रदर्शन किए करवाए उसका सामना किया था । जांच एजेंसियों के समक्ष उपस्थित हो उसके हर जरूरी सवाल का जवाब पूरी विनम्रता के साथ दिया था, जबकि फिलहाल कांग्रेस के ये आरोपी नेता ना तो देश के किसी अति महत्वपूर्ण और जवाबदेह पद पर आसीन हैं और ना ही जांच एजेंसी के सामने उपस्थित होते राहुल गांधी के द्वारा विनम्रता से जवाब देने की खबरें ही आ रही है । हाँ, हर दिन सुनवाई के लिए इडी कार्यालय जाने से पहले जांच को अनावश्यक प्रभावित करने के एक षड्यंत्र के तहत उग्र भीड़ प्रदर्शन जरूर किया जा रहा है, जो बिल्कुल गलत, अक्षम्य और प्रथम दृष्टया अपराध की श्रेणी में आता है । यदि नहीं आता है तो ऐसे विरोध और धरना-प्रदर्शनों को, जो जांच को प्रभावित करने वाले और उसमें बाधा उत्पन्न करने वाले हैं, समय रहते देश के न्यायपूर्ण, सुरक्षित वर्तमान और भविष्य के लिए अपराध के दायरे में लाना चाहिए । कुलमिलाकर सारांश यही है कि नेशनल हेराल्ड मामले में हुए बड़े भ्रष्टाचार के दोषी गांधी परिवार के दो सदस्यों से देश की एक मुख्य जांच एजेंसी इडी द्वारा की जा रही वैधानिक पूछताछ पर पूरी कांग्रेस जिस तरह बौखलाई हुई है और विरोध-प्रदर्शन कर रही है, वह देश विरोधी, अलोकतांत्रिक और दंडनीय अपराध है । नहीं है तो अब होना चाहिए । जिसे जनता को समझने और न्याय व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ करना चाहिए ।