खेल-खेल में शिक्षा और सुधार की अनोखी पहल “संडे इज़ फंडे”

"Sunday is Funday" a unique initiative for education and improvement through play

मुंबई (अनिल बेदाग) : महाराष्ट्र के दूरदराज के क्षेत्रों, विशेषकर नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली जिले में, मियाम चैरिटेबल ट्रस्ट की संस्थापक नीतू जोशी ने एक अनोखी और सराहनीय पहल की शुरुआत की है — “संडे इज़ फंडे”। इस पहल का उद्देश्य है आदिवासी बच्चों को नशे की ओर झुकने से रोकना, और उन्हें खेल, शिक्षा और संवाद के माध्यम से एक स्वस्थ व सकारात्मक जीवन की दिशा में प्रेरित करना।

गढ़चिरौली जैसे इलाकों में, जहां मनोरंजन और विकास के साधन सीमित हैं, वहां के बच्चे अक्सर अपने परिवेश से प्रभावित होकर तंबाकू और नशे की लत का शिकार हो जाते हैं। नीतू जोशी और मियाम ट्रस्ट ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए “संडे इज़ फंडे” नामक कार्यक्रम की शुरुआत की, जो हर रविवार को आयोजित किया जाता है।

इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए साइकल, खिलौने, और खेल सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। विभिन्न खेलों और गतिविधियों के ज़रिए बच्चों को न सिर्फ मनोरंजन मिलता है, बल्कि उन्हें खेल-खेल में पढ़ाई भी करवाई जाती है। अब ये बच्चे बिना झिझक के संवाद करने लगे हैं, अपनी बात खुलकर रखने लगे हैं और शिक्षा की ओर उनका झुकाव लगातार बढ़ रहा है। कार्यक्रम के अंत में बच्चों को चॉकलेट और छोटे उपहार भी दिए जाते हैं, जिससे उनका उत्साह बना रहता है।

नीतू जोशी का कहना है, “हमारा उद्देश्य सिर्फ बच्चों को खेलना नहीं सिखाना, बल्कि उनके आत्मविश्वास को जागृत करना है। अगर बचपन में सही दिशा मिले तो वही बच्चे आगे चलकर जिम्मेदार नागरिक बनते हैं। इस पहल से हम एक बेहतर समाज की नींव रख रहे हैं।”

गौरतलब है कि मियाम चैरिटेबल ट्रस्ट सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि जल संरक्षण, अनाथ बच्चों की मदद, और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए भी लगातार कार्यरत है। किसानों और आदिवासियों के बच्चों को निशुल्क किताबें, स्कूल फीस और शैक्षणिक संसाधन उपलब्ध करवाना इस संस्था की प्राथमिकता है।