अंतरिक्ष विज्ञान और युवा पीढ़ी को प्रेरित करतीं रहेंगी सुनीता विलियम्स !

Sunita Williams will continue to inspire space science and the young generation!

सुनील कुमार महला

‘अंतरिक्ष की बेटी’ एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स(भारतीय मूल) और बुच विल्मोर 9 माह 14 दिन बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए, उनके धरती पर उतरते ही पूरी धरती खुशी, उल्लास और उमंग से झूम उठी, यह अपने आप में एक बड़ा ऐतिहासिक व गौरवान्वित महसूस कराने वाला क्षण था‌। पाठकों को बताता चलूं कि बीते साल यानी कि वर्ष 2024 में माह जून में दोनों(सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर) अंतरिक्ष में गए थे। कहना ग़लत नहीं होगा कि उनका यह मिशन तकनीकी दिक्कतों(टेक्नीकल प्रोब्लम्स) और शेड्यूल में बार-बार बदलाव के चलते काफी चुनौतीपूर्ण रहा। वास्तव में, सच तो यह है कि कई तरह की दिक्कतों की वजह से कुछ दिन(एक सप्ताह) का ये मिशन सप्ताह से नौ महीने तक लंबा हो गया। ऐसे में 59 साल की सुनीता विलियम्स और 62 वर्षीय बुच विल्मोर की धरती पर वापसी का लगातार इंतजार हो रहा था। बुधवार 19 मार्च को यह इंतजार ख़त्म हो गया और धरती पर उनकी सकुशल वापसी हो गई। गौरतलब है कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर फ्लोरिडा के तट पर उतरने के बाद स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन कैप्सूल से बाहर निकाले गए और उन्हें स्ट्रेचर पर ले जाया गया,जैसा कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर असर होता है। कमजोर मांसपेशियों की वजह से चल नहीं पाने के चलते एस्ट्रोनॉट को स्ट्रेचर पर ले जाने का प्रोटोकॉल है। एक्सपर्ट के मुताबिक अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर वापस सामान्य होने में कई हफ्ते लगते हैं, हालांकि, हाल फिलहाल(जानकारी के अनुसार) दोनों ही ठीक हैं। बहरहाल, यहां पाठकों को बताता चलूं कि सुनीता विलियम्स की वापसी पर गुजरात के मेहसाणा जिले में उनके पैतृक गांव झूलासन में तो डोला माता मंदिर में अखंड पूजा-पाठ, शोभायात्रा आदि के आयोजन हुए।उनकी अंतरिक्ष से वापसी खबर के टेलीकॉस्ट होते ही गांव में दीपावली का सा माहौल हो गया, यह हम सभी को गौरवान्वित व आह्लादित महसूस कराता है। सच तो यह है कि उनकी यह यात्रा ऐतिहासिक बन गई।ऐतिहासिक इसलिए कि अंतरिक्ष में तकरीबन 286 दिन बिताने वाले इन यात्रियों ने प्रति दिन सोलह बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखा, और अंतरिक्ष में इतने लंबे समय तक रहना कोई आसान काम नहीं था। वास्तव में,यह एक हरक्यूलियन टास्क थी। कहना चाहूंगा कि 19 मार्च का दिन स्वर्णिम इतिहास के रूप में लिखा गया। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि स्पेस क्राफ्ट ड्रैगन ने भारतीय समयानुसार 19 मार्च को बुधवार को तड़के 3.27 बजे फ्लोरिडा के तट पर पानी में लैंडिंग की। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ड्रैगन कैप्सूल के अलग होकर समुद्र में लैंडिंग तक 17 घंटे लगे। स्पेस क्राफ्ट के धरती के वायुमंडल में प्रवेश करने के दौरान इसका तापमान 1650 डिग्री सेल्सियस रहा। गौरतलब है कि इस बीच 7 मिनट के लिए कम्युनिकेशन ब्लैक आउट रहा। गौरतलब है कि यह स्पेसएक्स के क्रू-9 मिशन था, तथा स्पेसएक्स एलन मस्क की कंपनी है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि इसरो के चेयरमैन वी नारायणन अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की धरती पर सुरक्षित वापसी को ‘एक उल्लेखनीय उपलब्धि’ बताया है और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए नासा, स्पेसएक्स और संयुक्त राज्य अमेरिका की सराहना की है। एक्स पर साझा किए गए संदेश में नारायणन ने हार्दिक बधाई दी और भविष्य में विलियम्स के साथ सहयोग करने की भारत की इच्छा व्यक्त की। एक्स पर संदेश साझा करते हुए उन्होंने कहा -‘आपका स्वागत है, सुनीता विलियम्स! आईएसएस पर एक विस्तारित मिशन के बाद आपकी सुरक्षित वापसी एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह नासा, स्पेसएक्स और यूएसए की अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है !’ बहरहाल,कहना ग़लत नहीं होगा कि सुनीता विलियम्स पूरी दुनिया के लिए आज एक जीवित किंवदंती बन गई हैं। लोग उन्हें देख रहे हैं, सराह रहे हैं, उनके बारे में और जानना चाह रहे हैं। इतना हद तक कि लोगों ने अपने सोशल नेटवर्किंग साइट्स, मीडिया पर उनके स्टेट्स लगाए,उनसे जुड़े विडियो व बातें शेयर कीं।सच तो यह है कि आज हर जुबां पर उनका नाम है। वास्तव में, जिस साहस, धैर्य, हिम्मत, जीवटता, समर्पण, सकारात्मक सोच से वे अंतरिक्ष में डटी रहीं, वह अपने आप में एक बहुत बड़ी मिसाल ही कही जा सकती है, दुनिया उनकी अंतरिक्ष यात्रा को कभी भी नहीं भूल पाएगी। उनका नाम अंतरिक्ष में सर्वाधिक अवधि तक रहने वाली पहली महिला यात्री के रूप में दर्ज हो गया है। गौरतलब है कि ये दोनों अंतरिक्ष यात्री 6 जून 2024 से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर थे, इसका उद्देश्य स्टारलाइनर की क्षमता का परीक्षण करना था।दोनों अंतरिक्ष यात्री केवल एक सप्ताह के लिए ही अंतरिक्ष में गए थे, लेकिन अंतरिक्ष यान से हीलियम के रिसाव और वेग में कमी के कारण अंतरिक्ष स्टेशन पर नौ महीनों तक रुकना पड़ा था।कहना ग़लत नहीं होगा कि उनका यह कौशल, अंतरिक्ष विज्ञान की ओर हमारी युवा पीढ़ी को प्रेरित व प्रोत्साहित करेगा। वहीं, इसरो वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष क्षेत्र में अनुसंधान से जुड़ी संभावित चुनौतियों का हल निकालने और विशेषज्ञता में कुशलता हासिल करने का अवसर भी मिलेगा।नासा ने जानकारी दी है कि विलियम्स ने अंतरिक्ष में 150 वैज्ञानिक प्रयोग किए और नौ सौ घंटे रिसर्च में बिताए जो अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष में मैराथन दौड़ने वाली पहली अंतरिक्ष यात्री रहीं विलियम्स अपनी तीन अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान बासठ घंटों से ज्यादा का स्पेस वॉक कर चुकी हैं। अंत में यही कहूंगा कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर(सहयोगी)की धरती पर सकुशल वापसी न केवल विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक अहम उपलब्धि है, बल्कि समस्त मानवता के लिए प्रेरणास्रोत भी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की कहानी हमें सिखाती है कि चुनौतियाँ चाहे जितनी भी बड़ी हों, यदि हमारे पास दृढ़ संकल्प, धैर्य हिम्मत और समर्पण है, तो हम उन्हें आसानी से पार कर सकते हैं। कहना चाहूंगा कि अंतरिक्ष में धरती की तरह सुलभ परिस्थितियां उपलब्ध नहीं होतीं हैं, वहां(अंतरिक्ष में) अंतरिक्ष यात्रियों को हमेशा अप्रत्याशित परिस्थितियों का ही सामना करना पड़ता है, इसलिए अंतरिक्ष के क्षेत्र में निरंतर परीक्षण और सुधार आवश्यक होते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि वे लंबी अवधि के मिशनों का सामना कर सकें। हाल फिलहाल सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर संपूर्ण विश्व के लिए एक रोल मॉडल बन गये हैं। अंतरिक्ष में उनका संघर्ष और सफलता हमें नित नई प्रेरणा देता रहेगा। उनके अदम्य साहस, समर्पण, धैर्य और अंतरिक्ष के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें नमन। जय-जय।