संदीप ठाकुर
संकटग्रस्त उद्योगपति गौतम अडानी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
कोर्ट ने आज शेयर बाजार के विभिन्न नियामकीय पहलुओं के साथ अडाणी समूह की
कंपनियों के शेयरों में गिरावट की जांच के लिए बृहस्पतिवार को देश की
शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए एम सप्रे की अगुवाई में एक समिति के
गठन का आदेश दिया। समिति को अपनी रिपोर्ट दो माह के अंदर सीलबंद लिफाफे
में देनी होगी। अडानी से फैसले का स्वागत करते हुए जांच में हर संभव मदद
का आश्वासन दिया है।अमेरिका की शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट
के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में हाल में आई भारी गिरावट के
मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने यह बड़ा कदम उठाया है। इसके साथ ही न्यायालय
ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को निर्देश दिया है कि वह
इस मामले में अपनी जारी जांच को दो माह में पूरा करे और स्थिति रिपोर्ट
सौंपे।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि समिति इस मामले में पूरी
स्थिति का आकलन करेगी और निवेशकों को जागरूक करने और शेयर बाजारों की
मौजूदा नियामकीय व्यवस्था को मजबूत करने के उपाय सुझाएगी। पीठ ने केंद्र
सरकार के साथ-साथ वित्तीय सांविधिक निकायों, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय
बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन को समिति को जांच में पूरा सहयोग देने का
निर्देश दिया है। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ओ पी भट्ट और
न्यायमूर्ति जे पी देवदत्त भी छह समिति के सदस्य होंगे। समिति के अन्य
सदस्यों में नंदन नीलेकणि, के वी कामत, सोमशेखर सुंदरसन शामिल हैं। पीठ
ने कहा कि समिति निवेशकों को जागरूक करने के उपाय सुझाएगी और यह भी जांच
करेगी कि क्या अडाणी समूह या अन्य कंपनियों के मामले में प्रतिभूति बाजार
के संदर्भ में नियमों के कथित उल्लंघन से निपटने में किसी तरह की
नियामकीय चूक तो नहीं हुई।